कई साल पहले हुए विम्हांस के एक सर्वेक्षण में बताया गया था कि दिल्ली पुलिस में 52 प्रतिशत कर्मी मनोरोग से ग्रसित हैं। इसका सबसे बड़ा काऱण था सालों इंतजार के बात भी ना तो सेवा शर्तों में सुधार औऱ ना ही समयबद्ध तरक्की। साल दर साल गुजरते रहे कई कमेटियां बनीं उनकी सिफारिशें आईं मगर दिल्ली पुलिस के सिपाही से लेकर सबइंसपेक्टरों की हालत में कोई सुधार नहीं आया।
प्रोन्नति की आस में लोग रिटायरमेंट की उम्र तक पहुंचने लगे। लेकिन साल 2016 ने दिल्ली पुलिस में बदलाव ला दिया है। मौजूदा पुलिस आयुक्त आलोक कुमार वर्मा, मुख्यालय के संयुक्त आयुक्त प्रवीर रंजन, डीसीपी आर ए संजीव और दूसरे आला अधिकारियों की पहल और कोशिशों की बदौलत इस साल अब तक 23,236 पुलिसकर्मियों को पदोन्नति मिल चुकी है। इनमें 9364 हवलदार और 9338 कांस्टेबल शामिल हैं।
खास बात ये कि इस साल दिल्ली पुलिसकर्मियों की समयबद्ध तरक्की के लिए अक पालिसी भी निर्धारित कर दी गई और अब सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर स्तर के पुलिसकर्मियों को तय समय पर पदोन्नत होने का रास्ता खुल गया। पदोन्नति पाने वाले पुलिसकर्मियों का मानना है कि इस नीति से पुलिस में भ्रष्टाचार, हताशा कुंठा और निराशा जैसे सभी मामलों में व्यापक कमी आएगी और अंततः पुलिस की छवि सुधरने की दिशा में ठोस कदम साबित होगा।