जानिए रिटायर्ड शिक्षक ने गीता का कैसे किया अनुवाद

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 मंगलेश तिवारी 
बिहार के बक्सर निवासी बहुआयामी प्रतिभा के धनि व उदभट विद्वान रामाधार तिवारी ‘आधार’ अपने कृतित्व के दम पर इतिहास पुरुष बन गए हैं. रघुनाथपुर के रहने वाले रिटायर्ड शिक्षक श्री तिवारी ने भागवत गीता का अंग्रेजी मुक्तछंद में अनुवाद कर कृतिमान रच दिया है. वे दुनियां के दूसरे व्यक्ति हैं जिन्होंने गीता को मुक्तछंद में अंग्रेजी में अनुवादित किया है. इसके पहले वर्ष 1875 ई. में काशीनाथ त्रिंबक तेलंग द्वारा यह कार्य किया गया था. ‘गीता द इंग्लिश वर्सेस’ नामक पुस्तक में धर्म, अनुशासन व दार्शनिक बिंदुओं पर नोट्स भी अंग्रेजी में मुक्तछंद रूप में अनुवादित किये गए हैं. ramadhar tiwariपुस्तक दिल्ली के आयन प्रकाशन से प्रकाशित है. प्रथम संस्करण में इसकी 150 प्रतियां छपी हैं.
गीता के अंग्रेजी अनुवाद के उद्देश्य के संबंध में श्री तिवारी ने बताया कि आदमी की सबसे मुख्य पहचान उसके बोलने की शक्ति है. अपने मन के सुख दुःख की बात दूसरे को बताने का माध्यम भाषा है. अगर संसार के सभी लोग एक ही भाषा बोलते तो सभी एक दूसरे की बात आसानी से समझ जाते. लेकिन, ऐसा नहीं है. भारत की पौराणिक ग्रंथों की भाषा संस्कृत है. हजारों वर्ष पूर्व लिखा गया श्रीमद भागवत गीता आज भी प्रासंगिक है. असंख्य ऐसे लोग है जो गीता के मूल तत्व को जानने की इच्छा रखते हैं. लेकिन, भाषायी व्यवधान के कारण यह संभव नहीं हो पाता है. इसीलिए गीता के मूल तत्व को इसके मुक्तछंद रूप में अनुवाद किया गया है.
रामाधार तिवारी ‘आधार’ मूलतः पटना जिले के उस्फा के रहने वाले हैं. उन्होंने बताया कि उच्च शिक्षा तक की पढ़ाई पटना से की. लेकिन, आर्थिक तंगी के कारण बीच में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ी. हालांकि, इसके बाद ब्रह्मपुर के बंसवर उच्च विद्यालय में नौकरी हो गई. तब से ब्रह्मपुर में ही बस गए. उनकी अन्य कृतियों में अंग्रेजी पोएट्री ‘गोल्डन डिअर’ (2010), एक मुट्ठी जिंदगी(2011) व फिलासफी ऑफ लिटरेचर (2013) में प्रकाशित हुयी थी.
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