वो दोनों एक ही दिन, एक ही जगह पैदा हुए औऱ एक ही मां की औलाद हैं। यानि आपस में भाई बहन। दोनों दिल्ली पुलिस में तैनात हैं। लेकिन दोनों आजकल पुलिस गलियारे में चर्चा का विषय बने हुए हैं नाम है बाबू और बाबे। भाई बहन की इस जोड़ी की हर चगह चर्चा का कारण है दोनों का गोल्ड और ब्रांज मेडल जीतकर लाना।
भाई-बहन की यह जोड़ी दिमाग, मेहनत-मशक्कत, काबिलियत और बहादुरी की ‘नजीरें’ पेश करता है। दिल्ली पुलिस ने भाई बहन की इस जोड़ी को मेरठ से खरीदा था। अद्भूत प्रतिभा के धनी बेजुबान भाई-बहन की यह जोड़ी दिल्ली पुलिस के डॉग स्क्वॉड (मॉडल टाउन स्थित दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के अधीन संचालित डॉग सेंटर मुख्यालय) सेंटर में तैनात डॉग्स हैं।
दोनों का जन्म 24 अप्रैल 2014 को इंडियन आर्मी के मेरठ स्थित प्रजनन केंद्र में हुआ था। यह अलग बात है कि लेब्राडोर नस्ल की बहन बाबे ने एक साल पहले यानी 30 मार्च 2016 को और भाई बाबू ने ठीक एक साल बाद ट्रेनिंग पूरी होने पर 30 मार्च 2017 को दिल्ली पुलिस ज्वाइन की। जी जनाब हाल ही में चेनन्ई में हुई 61 वीं औल इंडिया पुलिस डयूटी मिट में दोनों के कारनामे देखकर लोगों ने दांतों तले ऊंगली दबा ली। एक साल की ट्रेनिंग के बाद ही ये दोनों दिल्ली पुलिस के लिए स्वर्ण औऱ कांस्य पदक जीतने में जुटे हैं।
दोनों बेजुबान जुड़वां हैं। नस्ल एक ही है। जन्म स्थान भी एक ही (मेरठ स्थित भारतीय सेना का प्रजनन केंद्र) हैं। लेकिन दिल्ली पुलिस में इन दोनों को काम अलग अलग मिला है बहन बाबे विस्फोटक खोजने की महारथी है और भाई बाबू अपराधियों को पहचान कर उन्हें दबोचने की काबिलियत रखता है।
लेकिन इस भाई बहन की जोड़ी की काबलियत औऱ लोकप्रियता का चर्चा तब तक बेमाने होगी जब तक उनके हैंडलरों की भी चर्चा ना हो जाए। असल में बाबू के हैंडलर हैं कास्टेबल पवन कुमार यादव जो दिल्ली पुलिस में 2014 में डाग हैंडलर के रूप में भर्ती हुए औऱ उन्हें कुछ ही समय बाद बाबू मिला।
बाबे के हैंडलर हैं 1987 में भर्ती हुए एएसआई विपिन कुमार।
और सभी संवेदनशील जगहों की डयूटी के साथ साथ जिस तौर तरीके से उन दोनों ने बाबू औऱ बाबे को प्रशिक्षित किया वो भी काबिले तारीफ हैं।