अगर आपका बच्चा रेलवे स्टेशन पर खोया है तो अब कर सकते हैं उम्मीद-पहल आरपीएफ की

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रेलवे सुरक्षा बल यानि आरपीएफ यूं तो हर रोज 20-25 बच्चों को उनके घर तक पहुंचने में मदद करती है। इस समय आरपीएफ 35 स्टेशनों पर मुसीबत में फंसे बच्चों को मदद पहुंचाने का काम कर रही है। 3 साल में इसके तहत 21 हजार बच्चों को मदद पहुंचाई गई। आरपीएफ अभियान की इस कामयाबी से खुश रेलवे मंत्रालय ने बच्चों की सुरक्षा के लिए चलाए जा रहे अभियान आपरेशन मुस्कान को 47 और स्टेशनों पर चलाने का निर्देश दिया है। यानि अब देश के 82 रेलवे स्टेशनों पर आरपीएफ का आपरेशन मुस्कान अपनों से बिछड़े बच्चों को उनके घर पहुंचने में विशेष मदद करेगा।

ऑपरेशन मुस्‍कान’ लापता बच्‍चों के बचाव और पुनर्वास के लिए गृह मंत्रालय द्वारा चलाई गई  एक प्रमुख पहल है। यह एक समर्पित अभियान है जहां पुलिस संगठन गुमशुदा बच्‍चों की खोज और बचाव के लिए विभिन्‍न कार्य योजनाएं चलाते हैं और ऐसे बच्‍चों को उनके परिवार से मिलाते हैं। रेलवे पुलिस और रेलवे रक्षा बल बचाव उपाय करती है और रेल गाडि़यों और रेलवे परिसरों में ऐसे गुमशुदा बच्‍चों की सहायता करती है जिन्‍हें सुरक्षा और सहायता की जरूरत होती है।

वर्ष 2014, 2015 व 2016 के दौरान आरपीएफ ने 20,931 बच्‍चों का बचाव किया इनमें 1,317 ऐसे बच्‍चे थे जो मानव तस्‍करी में फंसे थे। इनमें 944 लड़के और 373 लड़कियां शामिल थीं। वर्तमान वर्ष 2017 में अगस्‍त तक 7,126 बच्‍चों को रेलवे सुरक्षा बल ने मुक्‍त कराया है इनमें 185 ऐसे बच्‍चे थे जो मानव तस्‍करी के जाल में फंसे थे, इनमें 124 लड़के और 61 लड़किया शामिल हैं।

इस अभियान के तहत रेलवे स्‍टेशनों पर विशेष बूथ और बाल सहायता स्‍थल बनाए हैं। यहां पर रेलवे सुरक्षा बल के कर्मचारी 24 घंटे तैनात रहते हैं। इनके अलावा महिला व बाल विकास मंत्रालय द्वारा नामांकित स्‍वयंसेवी संग्‍ठन और बाल सहायता से संबद्ध कर्मचारी भी तैनात रहते हैं। यह सेवा रेलवे के लिए मानदंड संचालन प्रक्रिया के तहत चलाई जाती है ताकि रेलवे परिसरों और गाडि़यों में इस प्रकार के जरूरतमंद बच्‍चों को सहायता और संरक्षण प्राप्‍त हो सके।  यह सेवा रेल मंत्रालय राष्‍ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा कमिशन (एनसीपीसीआर) व महिला व बाल विकास मंत्रालय संयुक्‍त रूप से चला रहा है।

दरअसल बड़ी संख्‍या में घर से भागे हुए, माता-पिता से बिछुड़े हुए और मानव तस्‍करी में फंसे बच्‍चे देश के विभिन्‍न भागों में यात्रा करते पाए जाते हैं। रेलवे ऐसे बच्‍चों की सहायता करती है और कई रेलवे परिसरों में ही उनको शरण देती है और उनके जीवन-यापन करती है। ये बच्‍चे हिंसा, शोषण और उपेक्षा के शिकार होते हैं। रेलवे सुरक्षा बल का लक्ष्‍य ऐसे लाखों बच्‍चों की सुरक्षा करना है जो अपना रास्‍ता भटक कर माता-पिता से बिछुड़ गए हैं। यह बल ऐसे बच्‍चों की तस्‍करी रोकने के लिए समर्पित है और समय पर उपर्युक्‍त कार्रवाई करके बच्‍चों का बचाव करती है।

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