एप्प का सदस्य बन सोशल मीडिया पोस्ट लाइक कर कमाई के चक्कर में हजारो ने गंवाए करोड़ो रुपये, दिल्ली पुलिस ने गिरोह का किया पर्दाफाश

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नई दिल्ली। इंडिया विस्तार। दक्षिण-पश्चिम दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने एप्प आधारित मल्टी लेबल फर्जीवाड़े का खुलासा किया है। इस सिलसिले में 7 लोग गिरफ्तार किए गए हैं।  यह गिरोह  लोगों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट पर लाइक के बदले धन देने का झांसा देता था। पुलिस के मुताबिक गिरोह ढाई हजार लोगों से अब तक 30 करोड़ रुपये की ठगी कर चुका है। गिरोह को दुबई से चलाने वाले दो सरगना अभी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं।

दक्षिण पश्चिम दिल्ली के डीसीपी इंगित प्रताप सिंह के मुताबिक पुलिस को ट्विटर के माध्यम से राहुल सक्सेना नाम के शख्स ने शिकायत दी थी। राहुल ने प्रधानमंत्री कार्यालय और दक्षिण पश्चिम जिला पुलिस को टैग करते हुए शिकायत में इस घोटाले की तरफ ध्यान दिलाया था। इसके बाद पुलिस ने ई-मेल के माध्यम से पीड़ित से शिकायत ली। साथ ही एसीपी अभिनेंद्र जैन की देखरेख में साइबर सेल प्रभारी इंस्पेक्टर रमन कुमार सिंह की टीम गठित की गई। जांच के दौरान इस तरह की ठगी के शिकार लोग सामने आने लगे, जिसके बाद पुलिस ने आरके पुरम निवासी आरती की शिकायत पर 17 दिसंबर को एफआईआऱ दर्ज की। इंस्पेक्टर रमन सिंह की टीम ने उसी दिन बिजवासन इलाके से गिरोह के सदस्य भीम को गिरफ्तार कर लिया।

एप आधारित कैब कंपनी का रोल

भीम की गिरफ्तारी होते ही अन्य आरोपी गुरुग्राम की मल्टीस्टोरी इमारत में छिप गए। इऩ सभी के मोबाइल नंबर बंद होने से पुलिस को सुराग नहीं मिल रहा था। एसआई प्रभात ने फरार आरोपियों के उपलब्ध मोबाइल नंबर पर सक्रिय ओला-उबर की सेवाओं की जानकारी ली तो पता चला कि सभी आरोपी एप आधारित कैब से गुरुग्राम की एक इमारत के सामने उतरे हैं। पुलिस ने फुटेज के आधार पर आरोपी जितेंद्र कुमार, रोहित, अरुण, सागर और राजीव को गुरुग्राम से गिरफ्तार कर लिया।

दुबई में बैठे हैं सरगना

पूछताछ में मालूम हुआ कि गिरोह के सरगना देवेश लाल और सन्नी चाइना हैं। दोनों दुबई से बैठकर गिरोह का संचालन कर रहे थे। भारत में देवेश का भाई रोहित गिरोह का काम देख रहा था, जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।

गिरोह इसी साल अगस्त से काम कर रहा था। आरोपियों ने लवलाइक नाम का एप्प विकसित किया  था। साथ ही www.task4.in नाम की वेबसाइट बना रखी थी। आरोपी वेबसाइट और एप्प के जरिए आरोपी लोगों को फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम व अन्य सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म पर दूसरे के पोस्ट को लाइक करने पर कमाई का झांसा देते थे लेकिन इसके लिए सदस्यता शुल्क आदि के नाम पर पहले हजारों रुपये वसूलते थे। अभी तक की जांच में पुलिस को ढाई हजार लोगों से 30 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी का पता चला है।

मल्टी लेवल मार्केटिंग की तर्ज पर कारोबार

गिरोह ने मल्टीलेवल मार्केटिंग की तर्ज पर धंधा शुरू किया था। कंपनी का सदस्य बनवाने पर उसकी कमाई का कुछ हिस्सा संबंधित व्यक्ति को मिलता था। इस वजह से पीड़ितों ने अपने परिवार, नाते-रिश्तेदारों को भी इससे जोड़ा। पुलिस अधिकारी ने बताया कि गिरोह के शिकार लोग पूरे देश में हैं। फिलहाल सभी से संपर्क साधने की कोशिश की जा रही है।

50 हजार तक सदस्यता शुल्क

कंपनी का सदस्य बनने के लिए लोगों से एक हजार रुपये से लेकर 50 हजार तक का शुल्क वसूला गया था। इसके तहत प्रत्येक लाइक पर छह रुपये से लेकर 13 रुपये तक देने का झांसा दिया जाता था। लोगों को सबूत के तौर पर लाइक किए पोस्ट का स्क्रीनशॉट एप्प पर अपलोड करना होता था। आरोपियों ने सदस्यता शुल्क लेने के लिए विभिन्न बैंक खातों की व्यवस्था की थी। आरोपियों ने कई लोगों से सदस्यता शुल्क के नाम पर रुपये ले लिए लेकिन लाइक करने पर उन्हें रुपये नहीं दिए गए।

दुबई में जारी है धंधा

दिल्ली पुलिस ने ठगी में शामिल एप और वेबसाइट को बंद करा दिया है लेकिन जांच में पता चला है कि दुबई में बैठे सरगना ने अब दूसरा एप्प शुरू कर दिया है। पहले की तरह इसका भी सर्वर दुबई में है। देवेश लाल और सन्नी चाइना, चीन के सिमकार्ड से धंधा चला रहे हैं। पुलिस अधिकारी ने बताया कि ठगी की रकम का बड़ा हिस्सा दुबई में खपाया जा रहा है।

कई यू-ट्यूबर व एंकर भी शिकार

पुलिस अधिकारी ने बताया कि कई प्रसिद्ध यू-ट्यूबर और एंकर गिरोह के शिकार हुए हैं। पहले उन्होंने अपने पोस्ट के प्रमोशन के लिए इनका सहारा लिया था। फिर कमाई करने के लिए खुद भी यू-ट्यूब और फेसबुक पर समर्थन में पोस्ट डाला था। पुलिस ने ऐसे कई लोगों से पूछताछ भी की है।

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