सीआरपीएफ पत्थरबाजों से निपटने के लिए एक विशेष प्रकार के कारतूस का इस्तेमाल करती थी। यह उन दिनों की बात है जब जम्मू कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं के साथ साथ पत्थरबाजी भी चरम पर था। http://indiavistar.com से खास बातचीत में पूर्व आईपीएस एस एन श्रीवास्तव ने इसका खुलासा किया है। बातचीत की दूसरी कड़ी में हमने उनसे जम्मू कश्मीर में आतंकवादी और पत्थरबाजी वाली घटनाओं पर विस्तृत बातचीत की।
सीआरपीएफ ने बना ली थी विशेष रणनीतिः
दिल्ली पुलिस के पूर्व सीपी एसएन श्रीवास्तव से बातचीत की पिछली कड़ी में आपने जाना था कि दिल्ली की वह दो कौन सी घटनाएं हैं जो रिटायर होने के बाद भी एसएन श्रीवास्तव को याद आती हैं यही नहीं आपने एसएन श्रीवास्तव से दिल्ली की ट्रैफिक के बारे में भी अहम सुझाव सुने थे। बातचीत की दूसरी कड़ी उनकी सीआरपीएफ में एडीजी रहने के दौरान जम्मू कश्मीर में तैनाती के दिनो पर आधारित है। नीचे दिए गए वीडियो लिंक को क्लिक कर पूरा इंटरव्यू देख सकते हैं।
जम्मू कश्मीर में सीआरपीएफ ने एसएन श्रीवास्तव को उस समय कमान दी थी जब वहां केवल आतंकवादी घटना ही नहीं बल्कि पत्थरबाजी भी चरम पर थी और लोकल पॉलिटिशियन भी देश विरोधी गतिविधियों में लगे हुए थे उन्होंने बताया कि वहां जाते ही सीआरपीएफ पर आतंकी हमले से सामना हुआ था। इस हमले में 22 लोग मारे गए थे और 11 जवान जख्मी थे। चुनौती बड़ी थी लेकिन रणनीति बनाई गई और उसके बाद एक साल तक किसी तरह की आतंकी घटना नहीं हुई।
इसी तरह आतंकी बुरहान बानी के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद कानून और व्यवस्था की बड़ी चुनौती खड़ी हो गई। पत्थरबाजी की घटनाएं बढ़ने लगीं। इससे निपटने के लिए सीआरपीएफ ने विशेष प्रकार के कारतूस यानि पैलेट गन की मदद ली। मगर बहुत जरूरी होने पर ही इसे चलाया जाता था। जम्मू कश्मीर पुलिस सीआरपीएफ और आर्मी मिलकर के काम करते थे । लॉ एंड ऑर्डर के लिए तो सीआरपीएफ और जम्मू कश्मीर एंड जहां आतंकी घटनाएं होती थी उसमें आर्मी का भी महत्त्वपूर्ण रोल होता था ।
फोर्स जवानों की हौसला अफजाई के लिए एस एन श्रीवास्तव व्यक्तिगत रूप से जवानों से मिलने उनके कैंप में रातो रात चले जाते थे। बिना किसी की जानकारी के वह रातो रात जाते और सुबह होने से पहले वापस आ जाते थे। इससे जवानो के हौसले पर बहुत फर्क पड़ा। उरी घटना के बाद सभी कमांडर्स को बुलाकर मीटिंग ली गई। इस मीटिंग के बाद सीआरपीएफ ने खास रणनीति बनाई।
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