Medicinal plants-इन औषधीय पौधों से होगी जमकर कमाई, वैज्ञानिकों ने किया है विकसित

Medicinal plants-दुनिया आयुर्वेद की तरफ लौट रही है। इस लिहाज से दुनिया भर की नजर भारत पर है। भारत में जड़ी बूटियों से देशी दवाईयां तो बनती ही हैं औषधीय पौधों से भी कई तरह की दवाईयां बनती हैं। यह तो हम सबको ही पता है कि औषधीय पौधों का इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों के इलाज में किया जाता है। हाल ही में वन संपदा के वैज्ञानिकों ने 5 खास किस्म के औषधीय पौधों को जारी किया है। दावा है कि इन पौधों की खेती से खासकर पहाड़ के किसानों को कई गुणा लाभ हो सकता है।

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Medicinal plants-दुनिया आयुर्वेद की तरफ लौट रही है। इस लिहाज से दुनिया भर की नजर भारत पर है। भारत में जड़ी बूटियों से देशी दवाईयां तो बनती ही हैं औषधीय पौधों से भी कई तरह की दवाईयां बनती हैं। यह तो हम सबको ही पता है कि औषधीय पौधों का इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों के इलाज में किया जाता है। हाल ही में वन संपदा के वैज्ञानिकों ने 5 खास किस्म के औषधीय पौधों को जारी किया है। दावा है कि इन पौधों की खेती से खासकर पहाड़ के किसानों को कई गुणा लाभ हो सकता है।

Medicinal plants की ये किस्में हुई हैं लांच

भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (ICFRE) की वैरायटी रिलिजिंग कमेटी की बैठक कोयंबटूर में 1 सितंबर को हुई थी। केंद्रीय वन मंत्रालय के विशेष सचिव आईएफएस चंद्र प्रकाश गोयल की अध्यक्षता और ICFRE देहरादून के डीजी आईएफएस अरूण सिंह रावत की सह अध्यक्षता में हुई इस बैठक में Himalayan Forest Research Institute (HFRI) शिमला की तरफ से तीन महत्वपूर्ण उच्च मूल्य वाले शीतोष्ण औषधीय पौधों (high value temperate medicinal plants) की 05 किस्मों का प्रस्ताव दिया गया। HFRI के वैज्ञानिक डा. जगदीश सिंह और डा. संदीप शर्मा द्वारा विकसित इन वैरायटी पर पिछले डेढ़ दशकों से काम किया जा रहा था।

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कोयबटूर में वैरायटी कमेटी की बैठक

डां. जगदीश और डा. संदीप ने कमेटी के सदस्यों को बताया कि पहले चरण में हिमाचल प्रदेश और लद्दाख, यूटी के भौगोलिक स्थानों की स्क्रीनिंग करके इन औषधीय पौधों के बेहतर आनुवंशिक स्टॉक की पहचान और चयन किया गया था। इसके अलावा मनाली के निकट जगतसुख में स्थित फील्ड रिसर्च स्टेशन में फील्ड जीन बैंक (FGB) की स्थापना और रखरखाव किया गया। दूसरे चरण में पहचान किए गए औषधीय पौधों को विभिन्न पर्यावरणीय हालात में उगा कर देखा गया।

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Medicinal plants से इतनी हो सकती है कमाई

इन खास किस्मों को विकसित करने वाले वैज्ञानिक डा. जगदीश सिंह और डा. संदीप शर्मा के मुताबिक हिमाचल हिमालय के उच्च पहाड़ी समशीतोष्ण क्षेत्र के किसान पी. कुरोआ से 2,76000 रु प्रति हेक्टेयर, वी. जटामांसी से 1,61000 रु प्रति हेक्टेयर और एस. हेक्साड्रम से 2,83000 रु प्रति हेक्टेयर की कमाई कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें इन किस्मों की व्यवसायिक खेती करनी होगी। वैरायटी रिलिंजिंग कमेटी ने चर्चा के बाद पी. कुरोआ की दो किस्मों को एचएफआरआई-पीके-1 और एचएफआरआई-पीके-2, वी. जटामांसी की दो किस्में एचएफआरआई-वीजे-1 और एचएफआरआई-वीजे-2, और एस हेक्सैंड्रम की एक किस्म एचएफआरआई-एसएच-1 को मंजूरी दे दी।

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