Birds of Water-यह पानी में रहने वाला पक्षी है। बिल्कुल कौवे की तरह काला कलूटा। यह तालाब, झील, नदी और पोखरे के पानी में गहरा गोता लगाकर तैरता है। पानी में रहने वाले जीव मछली, केकड़ा और छोटे मेढ़क इसका भोजन हैं। जी हां इस लेख में हम इसी खास कौवे के बारे में बताने जा रहे हैं। यह कौवा पानी में रहता है। भारत में लोग इसे पनकौवा (Cormorant) के नाम से जानते हैं।
Birds of Water-यह खासियतें हैं पनकौवा की
पन कौवा कभी कभी पानी से निकलकर उंची चट्टान या पेड़ की डाल पर बैठकर अपना पंख सुखाते हुए देखा जा सकता है। भारत में दो तरह के पन कौवे देखे जा सकते हैं। एक छोटा पनकौवा और दूसरा बड़ा पनकौवा। आदमी को देखते ही यह पानी के अंदर डुबकी लगा लेता है और मछुआरे अगर पानी में जाल बिछाते हैं तो यह किसी उंचे पेड़ की डाल पर बैठ जाता है।
पन कौवा करीब 20 इंच लंबा होता है। चोंच से लेकर पूंछ तक इसका रंग चमकीला काला होता है। इनमें नर और मादा दोनो एक समान होते हैं। मादा की लंबाई थोड़ी छोटी होती है। मादा को रिझाने के लिए पनकौवा उसे मछलियां खिलाता है और पंख फैलाकर सिटी भी बजाता है। इसका प्रजनन काल जलाई से सितंबर अक्टूबर तक देखा गया है।

तालाब मैं किसी उंची जगह पर या पेड़ की डाल पर यह अपना घोसला बनाते हैं। मादा पनकौवा तीन से चार अंडे देती है। पन कौवे की चोंच लंबी पतली औऱ नुकीली और नीचे की तरफ घुमावदार होती है। बतख की बजाय पनकौवा पानी में गहरा गोता लगाकर तैर भी लेता है और मछलियां पकड़ लेता है। दक्षिण भारत के कुछ मछुआरे उसके इसी गुण का लाभ मछली पकड़ने में लेते हैं।
उसके गले में रस्सी बांध कर उसे पानी में छोड़ दिया जाता है जैसे ही वह मछली पकड़ता है रस्सी से उपर खींच कर उसके चोंच से मछली छीन ली जाती है। गले में रस्सी होने की वजह से वह उसे निगल नहीं पाता है। काले रंग औऱ लंबी टेढ़ी गर्दन होने की वजह से वह जल्दी पहचान में आ जाता है। पेड में रहने वाले काले कौवे के कोई भी अवगुण इसमें नहीं पाए जाते हैं। मगर काले रंग के कारण इसे पन कौवा कहा जाता है।
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