Arvind Kejriwal-अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है। यह जमानत 1 जून तक के लिए है। कोर्ट ने रिहाई की बात कहते हुए यह भी कहा है कि केजरीवाल को 2 जून को सरेंडर करना होगा। क्या आप जानते हैं कि केजरीवाल को मिलने वाली अंतरिम राहत और रेगुलर जमानत में क्या फर्क है। आइए आज आपको बताते हैं दोनों तरह की जमानत में क्या अंतर होता है।
Arvind Kejriwal Bail
अंतरिम जमानत का अर्थ होता है एक सीमित समय के लिए दी जाने वाली बेल। कई मामलो में कोर्ट कई शर्तों के साथ अंतरिम जमानत देती है। अंतरिम जमानत की आखिरी तारीख के बाद व्यक्ति को सरेंडर करना पड़ता है। अंतरिम राहत वाली बेल तभी मिलती है जब नियमित या एंटीऑप्टटरी जमानत का कोइ आवेदन सुनवाई के लिए लंबित नहीं होता है। कुछ मामलो में कोर्ट अंतरिम जमानत की समय सीमा को बढ़ा भी सकती है।
नियमित जमानत के लिए कोई भी आरोपी कोर्ट में आवेदन कर सकता है। कोर्ट सीआरपीसी की धारा 437 और 439 के तहत आरोपी को नियमित जमानत दे सकती है। रेगुलर बेल के अलावा एक और बेल होती है जिसे अग्रिम जमानत कहा जाता है। यह जमानत किसी व्यक्ति को गिरफ्तारी से पहले मिलती है। जब किसी व्यक्ति को यह लगता है कि वह गिरफ्तार हो सकता है तो वह कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दे सकता है।
अग्रिम जमानत हर तरह के मामलो में नहीं मिलती। यह मामले की संवेदनशीलता पर भी काफी कुछ निर्भर करता है। जैसे हत्या, रेप जैसे गंभीर आपराधिक मामले में अग्रिम जमानत नहीं मिलती है। ऐसे में व्यक्ति को नियमित जमानत के लिए सबसे पहले निचले कोर्ट मे आवेदन करना पड़ता है। इसके बाद वह उच्च अदालतों में जमानत का आवेदन लेकर जा सकता है।
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