मोबाइल चोरों का एक खास सिंडिकेट ऐसे करता था काम, दिल्ली से पंजाब और झारखंड तक फैला था जाल, दिल्ली क्राइम ब्रांच ने दबोचा

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मोबाइल चोरों का एक खास सिंडिकेट बेहद खास तरीके से काम कर रहा था। इस सिंडिकेट में चोर झारखंड के थे और चोरी के फोन रिसिवर पंजाब और दिल्ली के। यह सिंडिकेट नेपाल में आकर्षक दामों पर मोबाइल फोन का निपटारा कर दिया करते थे। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने इस सिंडिकेट के 8 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनके पास से 99 फोन, लैपटॉप और पैसे आदि बरामद किए गए हैं।

मोबाइल सिंडिकेट का ऐसे हुआ पर्दाफाश

क्राइम ब्रांच के डीसीपी अमित गोयल के मुताबिक हेडकांस्टेबल विनोद को सूचना मिली थी कि झारखंड का मोबाइल फोन चोरों का गिरोह दिल्ली एनसीआर में सक्रिय है, जो साप्ताहिक बाजारों और भीड़भाड़ वाले स्थानों से मोबाइल फोन चुराता था। एसीपी रमेश चंद्र लांबा की देखरेख और इंस्पेक्टर सतेंद्र मोहन की नेतृत्व में इंस्पेक्टर महिपाल सिंह. एसआई गौरव. अंकित, हेडकांस्टेबल नवीन, सुनील, तरूण, विनोद और नितेश की टीम को इस सिंडिकेट का पर्दाफाश करने का जिम्मा सौंपा गया।

सूचना के आधार पर दिल्ली के न्यू उस्मानपुर में छापेमारी की गई और महेंद्र महतो, सूरज कुमार महतो, कारू कुमार, अलोपी महतो नामक 04 चोरों को उनके रिसीवर पप्पू कोली के साथ गिरफ्तार किया गया और उनके पास से 46 मोबाइल फोन बरामद किए गए। पूछताछ से पता चला कि इस अपराध में शामिल व्यक्ति संगठित तरीके से इन चोरी और निपटान को संचालित कर रहे थे। क्राइम ब्रांच में संगठित अपराध की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया और जांच शुरू की गई।

पूरे ऑपरेशन के दौरान कुल 08 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें से 05 चोर और 03 रिसीवर हैं। पूछताछ के दौरान पता चला कि रिसीवर पप्पू कोली अपने रिसीवर कामिल रहमान मोबाइल फोन बेचता था, जिसे बाद में गिरफ्तार कर लिया गया और उसके पास से 49 मोबाइल फोन बरामद किए गए। कामिल रहमान ने खुलासा किया कि वह खरीदे गए मोबाइल फोन को अपने कपूरथला पंजाब के निवासी रिसीवर हरबेज सिंह को बेचता था।

हरबेज बाद में तकनीकी विश्लेषण की मदद से पंजाब में पाया गया और उसके कब्जे से एक लैपटॉप, सिम, नेपाल बोर्डिंग पास, मोबाइल फोन और चोरी किए गए फोन के कई कवर बरामद किए गए। हरबेज ने खुलासा किया कि वह खरीदे गए मोबाइल फोन को नेपाल और चीन जाकर बेचता था। उन्होंने बताया कि मोबाइल फोन की स्थिति और मॉडल के आधार पर, वह प्रति मोबाइल लगभग ₹15,000 से ₹20,000 तक की बचत करते थे और क्षतिग्रस्त मोबाइल फोन को तोड़कर उनके स्पेयर पार्ट्स को चीन में बेच दिया जाता था।

पूछताछ के दौरान, यह भी पता चला कि कारू, महेंद्र, सूरज और अलोपी नाम के 04 चोर झारखंड के एक ही गांव के हैं और अपने दिल्ली स्थित साथी नदीम उर्फ ​​छोटा के साथ मिलकर शराब की दुकानों, बाजारों, रेलवे प्लेटफॉर्म, साप्ताहिक बाजारों आदि जैसे भीड़भाड़ वाले स्थानों पर चोरी की वारदात करते थे। वारदात को अंजाम देने के लिए, उपरोक्त चोर एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करते थे। इनमें से एक चतुराई से अपने शिकार के करीब पहुंच जाता था और जैसे ही शिकार का ध्यान उसके मोबाइल फोन से हटता था, वह तेजी से उससे मोबाइल चोरी कर लेता था और फिर बिना समय गंवाए चोरी का मोबाइल फोन दूसरे साथी को दे देता था, ताकि अगर किसी तरह चोर पकड़ा भी जाए, तो उससे कोई बरामदगी नहीं हो सके। चोर मोबाइल फोन चुराने के बाद उन्हें स्टोर कर लेते थे और फिर एक सीमा के बाद उन्हें रिसीवर पप्पू कोली को बेच देते थे, जो उन्हें आगे कामिल को बेच देता था, जो उन्हें हरबेज को बेच देता था, जो चोरी किए गए मोबाइल फोन को पूरी तरह से नष्ट करने के लिए नेपाल और चीन जाता था।

सबके पैसे थे फिक्स

  1. करू कुमार (चोर) अनपढ़ है और वह अपने गांव में चाय की दुकान चलाता है। वह चोरी किए गए मोबाइल फोन को ₹1,500/- से लेकर ₹4,000/- तक की कीमत पर बेचता था। वह दिल्ली में चोरी के 14 मामलों में पहले भी शामिल रहा है।
  2. सूरज कुमार महतो (चोर) ने तीसरी कक्षा तक पढ़ाई की है और बेरोजगार है। वह अपने सह-आरोपी/मुखिया कारू कुमार से उसके साथ काम करने के लिए ₹6,000/- लेता था।
  3. महेंद्र महतो (चोर) ने तीसरी कक्षा तक पढ़ाई की है और पेशे से मजदूर है। वह मोबाइल फोन चोरी करने में मदद करने के लिए अपने साथी अलोपी को ₹10,000/- देता था। उसके खिलाफ चोरी के 03 पुराने मामले दर्ज हैं। अलोपी महतो (चोर) अनपढ़ है और ऑटो चालक है। उसे सह-आरोपी महेंद्र से उसके साथ काम करने के लिए ₹10,000/- महीने मिलते थे।

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