दिल्ली पुलिस के एक्शन प्लान के बारे में जानिए ये आपके ही काम की हैं

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आलोक वर्मा

नई दिल्ली, आलोक वर्मा। दिल्ली पुलिस ने इस साल 30 सितंबर तक अवैध हथियारों की तस्करी में 2787 लोग, अवैध शराब की तस्करी में 4371 लोग औऱ ड्रग तस्करी में 628 लोग गिरफ्तार किया है। इससे कई गुणा ज्यादा संख्या स्ट्रीट क्राइम को अंजाम देने वाले बदमाशों की गिरफ्तारी का है। संगठित अपराध के खिलाफ दिल्ली पुलिस को यह सफलता ऐसे ही नहीं मिली बल्कि इसके पीछे कई महीनों के मंथन, लगातार निगरानी औऱ मजबूत रणनीति के साथ बनाई गई कार्य-योजना की है।

दिल्ली पुलिस की कार्रवाई एक निर्धारित कार्ययोजना के तहत् हो इसके लिए गहन मीटिंगे होती रहीं, ब्लू प्रिंट तैयार होते रहे। अब उसके कुछ नतीजे सामने आने लगे हैं। आम आदमी के लिए दिल्ली पुलिस को ज्यादा से ज्यादा जवाबदेह बनाने के लिए आईसीएमएस(ICMS) यानि इंडिग्रेटेड कंपलेन मॉनिटरिंग सिस्टम की शुरूआत की गई है। इसके तहत् आम आदमी की शिकायत औऱ उस पर कार्रवाई पर निगरानी थानास्तर से लेकर पुलिस मुख्यालय स्तर तक की जाती है।

दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव का मानना है कि किसी सुसंगठित संगठन या संस्थान का सफल संचालन बिना किसी लक्ष्य निर्धारण के नहीं हो सकता। दिल्ली पुलिस में लक्ष्य निर्धारण और उसकी प्राप्ति के लिए कार्य-योजना बनाने का मंथन काफी दिनों से चल रहा था। दिल्ली के सीपी एस एन श्रीवास्तव की इस पहल का नतीजा दिखने लगा है।

दिल्ली पुलिस अब हर फ्रंट पर कार्य योजना यानि एक्शन प्लान के तहत काम करने लगी है। इस एक्शन प्लान का ब्लू प्रिंट थाना स्तर से लेकर पुलिस मुख्यालय तक बनता है। इसी के तहत काम करने की दिशा तय होती है और फिर लक्ष्य का निर्धारण भी।

हालांकि पुलिस में प्राथमिकताएं बहुत तेजी से बदलती हैं। समाज में बदलाव होता है। बदली हुई प्राथमिकता दिल्ली पुलिस की कार्य-दिशा भी बदल देती है। लेकिन दिल्ली पुलिस का मुख्य काम दिल्ली को आतंक और अपराध से सुरक्षित रखना है। इसी के लिए निरंतर काम भी करना है। इसी मकसद से दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव के नेतृत्व में विभिन्न लक्ष्यों के लिए कार्ययोजना तैयार होनी शुरू हुई।

आतंक से मुक्ति

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल आतंक से दिल्ली को मुक्त रखने के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेवार है। स्पेशल सेल इसी के लिए निरंतर काम भी करती है। लेकिन दिल्ली को आतंक से मुक्त रखने में जिला और थाना स्तर की पुलिस की भूमिका भी अहम है। दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव के निर्देश पर इस दिशा में अहम फैसले लिए गए हैं। इस कार्य योजना के तहत दिल्ली पुलिस के आंख और कान को सक्रिय करना है। इलाके में आने वाले हरेक नए शख्स की पूरी जानकारी थानाध्यक्ष स्तर पर हो इसको सुनिश्चित किया जा रहा है। किराएदार और नौकर पहचान जांच अभियान को कारगर तरीके से लागू करने पर जोर के साथ साथ फोन सिम और पुरानी कार बेचने वालों को विशेष सजग किया जा रहा है। यही नहीं प्रत्येक जिला और थाना पुलिस को लक्ष्य निर्धारित करने के लिए कहा गया है। इसके तहत् रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन सहित अपने इलाके की संवेदनशील जगहों की पहचान कर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की कार्ययोजना है।

पुलिस रिस्पांस

दिल्ली पुलिस की कार्ययोजना में रिस्पांस का बहुत बड़ा महत्व है। किसी शहर की कानून औऱ व्यवस्था में रिस्पांस की बहुत बड़ी अहमियत होती ही है। दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव के मुताबिक आए दिन नए डेवलपमेंट होते रहते है। नए मुद्दों पर इससे जुड़े कुछ लोग इसे अपने हिसाब से अपने मुताबिक और अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश करते है। ताकि उनका निहित या राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति हो सके। कई बार ऐसे लोग सही भी हो सकते हैं मगर इस पूरी कार्रवाही में सर्वाधिक जरूरी है रिस्पांस। पुलिस के पास कोई मामला आए औऱ उस पर उचित और सही कार्रवाई हो जाए यह जरूरी है। सही और उचित कार्रवाई होने पर सही लोगों को लाभ औऱ अनुचित फायदे के लिए तोड़ मरोड़ करने वालों का मकसद नाकाम होता है।

महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध-

महिलाओं के आवाजाही वाली जगहों की पहचान कर महिला पुलिसकर्मियों की निगरानी

दिल्ली पुलिस की कार्ययोजना में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध को रोकने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाई गई है। इस मामले में सबसे पहले नंबर आता है प्रिवेंशन का। इसके लिए पुलिस ऐसी जगहों की पहचान कर रही है जहां महिलाओं और बच्चों की आवाजाही ज्यादा हो उन पर खतरे की आशंका ज्यादा हो। थाना स्तर पर ऐसी जगहें जहां इनके खिलाफ अपराध हो सकता है की पहचान करना जरूरी है। ऐसी जगहों पर पहचान कर वहां महिला पुलिस, दूसरी पुलिस की पर्याप्त संख्या में तैनाती आवश्यक है। दिल्ली के सीपी एस एन श्रीवास्तव का स्पष्ट निर्देश है कि महिलाओं से संबंधित शिकायत पर त्वरित कार्रवाई की जाए और सरकारी मार्ग निर्देश का पालन हो। इसमें समयबद्ध जांच भी कारगर है।

लापता बच्चों के बारे में दिल्ली पुलिस में व्यापक काम हो रहा है। इस मामले में लापता बच्चों की तलाश करने वालों की बिना बारी के तरक्की तक भी हो रही है।

क्राइम प्रिवेंशन और क्राइम डिटेक्शन-

दिल्ली को सुरक्षित बनाने के लिए स्ट्रीट क्राइम पर फोकस करना बहुत जरूरी है। दिल्ली के पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव के मुताबिक इसके लिए केस स्टडी किया जा रहा है। कोई अपराधी अनट्रैस ना रहे इसका ध्यान रखने के लिए कार्य योजना पर जोर दिया जा रहा है। इसीलिए किसी भी मामले को सुलझाने वाले पुलिसकर्मियों को पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश करने के निर्देश हैं। जेल से रिहा होने वाले बदमाशों की पहचान कर उन पर कड़ी नजर रखी जा रही है।

संगठित अपराध

ड्रग्स, अवैध शराब औऱ हथियारों की तस्करी संगठित अपराधों की श्रेणी में आते हैं। इस मामले में दिल्ली पुलिस को पेशेवर अपराधियों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा गया है। पुलिस की ठोस कार्ययोजना का ही परिणाम है कि  इस साल 30 सितंबर तक 2787 लोग अवैध हथियारों की तस्करी में गिरफ्तार हो चुके हैं।

इसके साथ ही साइबर क्राइम और आर्थिक अपराधों पर नियंत्रण के लिए क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। किसी शहर की कानून और व्यवस्था बिना नागरिकों की मदद के संभव नहीं है। दिल्ली पुलिस को अच्छे लोगों को संपर्क में रखने के लिए कहा गया है। ऐसे लोगों से नियमित मिलने जुलने और उनसे चर्चा करने के लिए कहा गया है। पुलिस को यह भी निर्देश है कि सोशल मीडिया के जरिए मिलने वाली शिकायत पर भी निर्धारित समय में कार्रवाई करें और उस पर जवाब दिया जाए। रेजीडेंट वेलफेयर एशोसिएशन और मार्केट वेलफेयर एशोसिएशन के लोगों के साथ निरंतर बातचीत आवश्यक है। एक्शन प्लान थाना स्तर पर भी बनाया जा रहा है। यहां तक की ट्रेफिक पुलिस को भी अवैध कब्जे आदि के बारे में कार्य योजना बनाने के लिए कहा गया है।

 

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