सितारे चले गए, विरासत रह गई: एंटरटेनमेंट वर्ल्ड की भावुक विदाई

2025 मनोरंजन जगत के लिए भावनात्मक विदाई का साल रहा। इस साल जिन सितारों को हमने खोया, उनकी कहानियाँ और विरासत आज भी ज़िंदा हैं।
year of goodbyes 2025
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साल 2025 को एंटरटेनमेंट की दुनिया लंबे समय तक याद रखेगी। इस साल बॉलीवुड, हॉलीवुड, संगीत और पॉप कल्चर से जुड़े कई ऐसे नाम सामने आए, जिन्हें लेकर दुनिया ने भावुक विदाई की और उनकी विरासत को याद किया यानि year of goodbyes 2025

year of goodbyes 2025 जो चले गए

साल 2025 के अंत में प्रकाशित विशेष City Showbiz पेज ने मनोरंजन जगत की उन हस्तियों को एक साथ याद किया, जिनका असर सिनेमा और संस्कृति पर गहरा रहा। यह सूची केवल नामों की नहीं, बल्कि दशकों की यादों, किरदारों और कहानियों की है।बॉलीवुड: एक युग की झलक

इस सूची में सबसे ऊपर धर्मेंद्र का नाम आता है, जिन्हें हिंदी सिनेमा का “ही-मैन” कहा जाता रहा। उनकी फिल्में आज भी टीवी और ओटीटी पर उतनी ही लोकप्रिय हैं जितनी अपने दौर में थीं।

मनोज कुमार, जिन्हें ‘भारत कुमार’ के नाम से जाना गया, देशभक्ति सिनेमा की पहचान बने।
सतीश शाह और असरानी जैसे कलाकारों ने कॉमेडी और कैरेक्टर रोल्स को नई ऊंचाई दी।

वरिष्ठ अभिनेत्री कामिनी कौशल और अभिनेता पंकज धीर ने अपने सशक्त अभिनय से अलग पहचान बनाई, वहीं अच्युत पोद्दार और राजीव जवांदा जैसे नामों ने थिएटर और सपोर्टिंग सिनेमा में अहम योगदान दिया।

शेफाली जरीवाला, जिनका नाम पॉप कल्चर में खास पहचान रखता है, इस साल की सबसे भावुक चर्चाओं में रहीं।

🎵 संगीत और पॉप कल्चर

सूची में जुबीन गर्ग और सुलेखा पंडित जैसे नाम भी शामिल हैं, जिन्होंने संगीत और अभिनय दोनों क्षेत्रों में अपनी छाप छोड़ी।

🌍 हॉलीवुड और अंतरराष्ट्रीय सितारे

वैश्विक स्तर पर यह साल हॉलीवुड के लिए भी भावनात्मक रहा।
हलक होगन, जिनका नाम रेसलिंग और पॉप कल्चर का पर्याय रहा,
मिशेल ट्रैक्टेनबर्ग,
रॉब राइनर,
ओज़ी ऑसबोर्न,
वैल किल्मर,
जीन हैकमैन
और डायने कीटन जैसे दिग्गज नाम इस विशेष सूची में शामिल रहे।

इसके अलावा भारतीय मूल के अंतरराष्ट्रीय रेसलर वरिंदर सिंह घुमन का नाम भी इस साल की चर्चाओं में रहा।

विरासत जो आगे बढ़ती रहेगी

इन सभी नामों को जोड़ने वाली एक ही कड़ी है — उनकी कला।
फिल्में, गाने, संवाद और किरदार आज भी लोगों की यादों में ज़िंदा हैं। यही वजह है कि 2025 को केवल “विदाइयों का साल” नहीं, बल्कि “विरासतों को याद करने का साल” भी कहा जा रहा है।

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