कोई भी दिन ऐसा नहीं गुजरता जब आप किसी मीडिया माध्यम में digital arrest scam के बारे में नहीं पढ़ते या सुनते। सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी digital arrest scam क्यों नहीं थम रहा है, सवाल बहुत बड़ा है। यह भी सोचना होगा कि इसे खत्म करने के लिए क्या किया जा सकता है ?
digital arrest scam को कैसे समाप्त करें
जागरूकता अभियानों के बावजूद यह स्कैम क्यों जारी है मनोवैज्ञानिक दबाव और डर का माहौल
• ठग आतंकवाद या मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर मामलों का नाटक कर डर फैलाते हैं।
• लगातार वीडियो कॉल, नकली वारंट और गिरफ्तारी की धमकी से पीड़ित को अलग-थलग कर देते हैं।
• शिक्षित व्यक्ति भी लगातार मानसिक दबाव में निर्णय लेने की क्षमता खो बैठते हैं।
सोशल इंजीनियरिंग की महारत
• ठग CBI, ED, पुलिस या टेलीकॉम कंपनियों के अधिकारी बनकर नकली दस्तावेजों के साथ सामने आते हैं।
• AI से बनी आवाज़ें और नकली कॉलर ID से कॉल को असली जैसा बना देते हैं।
• पीड़ित को गोपनीयता बनाए रखने को मजबूर किया जाता है, जिससे परिवार या पुलिस समय पर हस्तक्षेप नहीं कर पाते।
तत्काल सत्यापन के साधनों की कमी
• पीड़ित के पास कॉल या दस्तावेज़ की वैधता जांचने का आसान तरीका नहीं होता।
• एक केंद्रीकृत, नागरिक-अनुकूल सत्यापन पोर्टल की अनुपस्थिति भ्रम को बढ़ाती है।
रिपोर्टिंग में देरी और शर्म का भाव
• पीड़ित अक्सर शर्म या सामाजिक बदनामी के डर से देर से रिपोर्ट करते हैं।
• इस देरी से ठग बड़ी रकम निकाल लेते हैं, इससे पहले कि खाते फ्रीज़ किए जा सकें।
सीमा पार संचालन और म्यूल नेटवर्क
• कई स्कैम दक्षिण-पूर्व एशिया से संचालित होते हैं, भारतीय खातों और टेलीकॉम खामियों का उपयोग करते हैं।
• सीमाओं और समय पर समन्वय की कमी से कार्रवाई बाधित होती है।
II. स्कैम को समाप्त करने के रणनीतिक उपाय
A. नागरिक-केंद्रित हस्तक्षेप
• “डर से पहले सत्यापन करें” पोर्टल लॉन्च करें हेल्पलाइन 1930 अत्यंत सुलभ हो कॉल मिलाने में कोई दिक्कत पीड़ित को न हो 112 की तरह मल्टीप्ल चैनल्स हो और बिना देरी के कॉल कनेक्ट हो सके।
एक बहुभाषी, मोबाइल-अनुकूल वेबसाइट जहाँ कोई भी कानूनी नोटिस, कॉलर ID या गिरफ्तारी दावा तुरंत सत्यापित कर सके।
• बैंकिंग ऐप्स पर अनिवार्य पॉप-अप चेतावनी
उच्च-मूल्य लेन-देन या संदिग्ध गतिविधि के दौरान डिजिटल अरेस्ट स्कैम की चेतावनी दिखाएं।
• सार्वजनिक संकल्प और गवाही अभियान
पीड़ितों को अपनी कहानी गुमनाम रूप से साझा करने के लिए प्रेरित करें ताकि रिपोर्टिंग सामान्य हो और शर्म का भाव कम हो।
B. मनोवैज्ञानिक और व्यवहारिक उपाय
• AI-सक्षम चैटबॉट संकट की स्थिति में
एक 24×7 चैटबॉट जो पीड़ित को सत्यापन की प्रक्रिया में मार्गदर्शन करे और हेल्पलाइन 1930 से जोड़े।
• डिजिटल अरेस्ट सिमुलेशन वर्कशॉप्स
स्कूलों, बैंकों और कानूनी संस्थानों में मॉक ड्रिल आयोजित कर मानसिक मजबूती विकसित करें।
C. प्रवर्तन और प्रणालीगत सुधार
• रीयल-टाइम म्यूल अकाउंट ब्लैकलिस्टिंग
बैंकों और UPI प्लेटफॉर्म्स के साथ सहयोग कर शिकायत के कुछ मिनटों में संदिग्ध खातों को फ्रीज़ करें।
• टेलीकॉम API के माध्यम से कॉलर वैधता सत्यापन
सरकारी नंबरों की कॉलर ID को तुरंत सत्यापित करने की सुविधा Sanchar Saathi के माध्यम से दें।
• सीमा पार साइबर संधि सक्रिय करें
दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से डेटा साझा करने और अपराधियों के प्रत्यर्पण के लिए समझौते तेज़ करें।
“डिजिटल अरेस्ट कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं है—यह डर फैलाने वाला जाल है। किसी भी धमकी भरे कॉल पर तुरंत 1930 पर शिकायत करें।”
निष्कर्ष
डिजिटल अरेस्ट स्कैम केवल साइबर अपराध नहीं है—यह मानसिक युद्ध है। इसकी निरंतरता यह दर्शाती है कि जागरूकता और वास्तविक समय की नागरिक सुरक्षा के बीच अभी भी अंतर है।
व्यवहारिक अंतर्दृष्टि, तकनीकी एकीकरण और बहु-क्षेत्रीय समन्वय के माध्यम से हम इस डर आधारित धोखाधड़ी तंत्र को समाप्त कर सकते हैं।
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