दिल्ली पुलिस 27 फरवरी 2019 को मिली लड़की की लाश के मामले में पूरक चार्जशीट दाखिल करने वाली है। इस मामले में सरिता विहार पुलिस ने फरार आरोपी धीरेन्द्र को भी गिरफ्तार कर लिया है। मामला 25 साल की लड़की की हत्या से जुड़ा है। इस मामले में अपने एक दोस्त की हवस मिटाने की आदत ने एक साजिश को जन्म दिया था। साजिश का ताना बाना ऐसे बुना गया था कि एक बार तो पुलिस भी चकरा कर रह गई थी। मगर साउथ इस्ट दिल्ली पुलिस की तेजतर्रार टीम ने काफी सूझ बूझ से इस मामले को सुलझा लिया था।
यह था मामला
27 फरवरी 2019 को शाम 3.40 मिनट पर पुलिस कंट्रोल रूम को एक कॉल मिली। कॉल थी कि सरिता विहार रेलवे लाइन के नजदीक संदिग्ध हालत में बोरी के पड़े होने के बारे में थी। आनन-फानन में पुलिस मौके पर पहुंची बोरी से करीब 25 साल की एक युवती की लाश मिली। उसके गले पर जख्म के निशान थे। जींस की पैंट और शर्ट में लड़की पढ़ी लिखी मालूम पड़ रही थी। उसकी शिनाख्त हो जाए इसके लिए पुलिस ने उसकी तलाशी लेनी शुरू की। पैंट की जेब से पुलिस को एक मोबाइल फोन औऱ कागज पर लिखा एक नोट मिला। शव को एम्स में सुरक्षित रखवा दिया गया और सरिता विहार में 83/19 नंबर की एफआईआर दर्ज कर ली गई। मौके के हालात से पुलिस ने अनुमान लगाया था कि लड़की की हत्या कहीं और कर लाश को सरिता विहार में ठिकाने लगाया गया है।
पुलिस टीम
मामले की संवेदनशीलता और लड़की से जुड़ा मामला होने के कारण दिल्ली के दक्षिण-पूर्व जिला पुलिस उपायुक्त चिन्मॉय विस्वाल ने
सरिता विहार एसीपी ढाल सिंह की देखरेख में तत्कालीन एसएचओ इंस्पेक्टर अजब सिंह, सुमन कुमार, एसआई सतीश. एएसआई लायक अली, हवलदार केशव सिपाही विक्रम और सतीश की टीम बनाई।
पुलिस टीम ने सबसे पहले लड़की की पहचान की कवायद शुरू की तो पता लगा की लड़की का नाम माया (काल्पनिक नाम) है और वह दिल्ली के दक्षिण पुरी की रहने वाली है। पुलिस को ये भी पता लगा कि माया 26 फरवरी को घर से नौकरी के लिए इंटरव्यू देने की बात कह कर निकली थी।
पैंट से निकले खत का मजमून
पुलिस टीम को सुराग के नाम पर लडकी की जिंस पैंट से एक नोट मिला था। इस नोट के हस्तलेख की जांच के लिए पुलिस टीम ने माया के घर वालों से उसकी हैंडराइटिंग एकत्रित की। प्रारंभिक जांच में इस बात की पुष्टि हो गई की नोट माया के हाथ से ही लिखे गए हैं।
नोट में जो बातें लिखी तीं उससे पुलिस को लग रहा था कि मामला सुलझ गया है। नोट में माया ने आशू, आकाश औऱ आरूष नाम के तीन युवकों का नाम लिखा था। माया ने लिखा था कि उसकी जान को खतरा है और उसे उपरोक्त तीनों युवक साजिश के तहत नुकसान पहुंचा सकते हैं। अब सवाल था कि वो तीनों युवक कौन हैं और उनकी माया से क्या दुश्मनी है। इसी बीच जिले के डिप्टी कप्तान के रूप में कुमार ज्ञानेश ने कार्य भार संभाल लिया था।
तीन युवक और लड़की का संबंध (4)
पुलिस के सामने चुनौती थी उन तीन लड़कों को तलाशने की भी और माया के साथ उनके संबंधों की जांच की भी। आखिरकार पुलिस किसी तरह कॉल डिट्लेस आदि के सहारे न तीन नामजद युवकों तक भी पहुंच गई लेकिन जब जांच शुरू हुई तो पता लगा कि उनमें से कोई भी उस लड़की को जानता तक नहीं था। अलबत्ता 25 तारीख को इन तीनों आरूष, आकाश औऱ आशू के फोन पर किसी लड़की ने फोन या एसएमएस जरूर किए थे। पुलिस फिर उलझ गई लड़की की लाश ही नहीं उसके हाथ से लिखे नोट की बातें भी झूठी साबित हो रही थीं।
एसएमएस का राज
एसीपी ढाल सिंह और उनकी टीम एक बार फिर माया के फोन कॉल्स की जांच शुरू की और 25 तारीख को उसके नंबर पर आए 5 एसएमएस पर पुलिस की नजर टिक गई। ये एसएमएस संगम विहार में रहने वाले दिनेश नाम के युवक की मोबाइल से किए गए थे। जांच में पता लगा कि दिनेश पहले नौ मामलों में आरोपी रहा है। लेकिन दिनेश माया से परिचय होने की बात से इंकार करता रहा। पुलिस ने जब सख्ती से पूछताछ की तो जो कहानी सामने आई वो रोंगटे खड़ी करने के लिए काफी है। दिनेश की निशानदेही पर पुलिस ने कत्ल में शामिल उसके साथी सौरभ भारद्वाज, चंद्रकेश उर्फ बंटी और रहीमुद्दीन उर्फ रहीम को भी गिरफ्तार कर लिया। इनका साथी धीरेन्द्र फरार हो गया।
जांच में खुलासा
चोरी और झपटमारी के मामले में दिनेश तिहाड़ जेल में बंद हुआ। जेल में ही उसकी दोस्ती धीरेन्द्र नामक बदमाश से हुई। जेल में ही धीरेन्द्र की दुश्मनी बंटी नामक शख्स से हो गई थी। जेल से बाहर आने के बाद दिनेश और धीरेन्द्र ने बंटी को सबक सिखाने की ठानी। इस साजिश में सौरभ भारद्वाज को भी सामिल कर लिया गया। उधर धीरेन्द्र को रोज एक लड़की के साथ रहने का वहशियाना शौक था। वह दिनेश से भी लड़की लाने के लिए कहता रहता था। उधर दिनेश की एक महिला मित्र की सहेली माया को नौकरी की सख्त जरूरत थी। इस बात का पता दिनेश को भी था। एक सोची समझी साजिश के तहत 25 फरवरी को दिनेश ने एक नए मोबाइल फोन से माया को नौकरी के लिए साक्षात्कार देने के बहाने एक फ्लैट पर बुला लिया। फ्लैट पर पहुंचते ही दिनेश, धीरेन्द्र और सौरभ ने उसे बंधक बना लिया। इसके बाद इन्होंने माया के साथ बारी बारी से दुष्कर्म भी किया। माया ने जब हाथ पांव जोड़ तो इन लोगो ने उससे जबरदस्ती फोन करवाए औऱ उससे उपरोक्त नोट लिखने के लिए भी कहा। नोट में आरूष का नाम इसलिए लिखवाया गया क्योंकि वह उस बंटी का भाई था जिससे धीरेन्द्र की रंजिश थी। नोट लिखवाने के बाद तीनों ने मिलकर माया की हत्या कर दी। लाश को ठिकाने लगाने के लिए पहले प्लास्टिक बैग और फिर बोरे में बांधा गया। दिनेश ने माया के मोबाइल से अपने नंबर भी डीलीट कर दिए और अपना नया मोबाइल फोन नाले में फेंक दिया। लाश को ठिकाने लगाने के लिए उन्होंने रहीम से 4 हजार रुपये में होंडा सिटी कार किराए पर ली। इसके बाद साकेत सिटी मॉल से शराब लेकर उन्होंने जमकर दारू भी पी और लाश सरिता विहार रेलवे लाइन के पास फेंक दिया।