इंडिया विस्तार, नई दिल्ली
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने ओएनजीसी(आयल एंड नेचुरल गैस कारपोरेशन) में नौकरी दिलाने के नाम पर युवाओं के साथ चल रहे ठगी के बड़े रैकेट का खुलासा किया है। इस सिलसिले में ग्रामीण विकास मंत्रालय के दो कर्मचारियों सहित 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके कब्जे से 27 मोबाइल फोन, दो लैपटाप, फर्जी वोटर आई कार्ड और 45 सिम बरामद हुए हैं।
ओएनजीसी ने दिल्ली के वसंत कुंज नार्थ थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि नौजवानों को सहायक इंजीनियर की नौकरी दिलाने के नाम पर जालसाजी की जा रही है। मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी गई थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए डीसीपी भीष्म सिंह की देखरेख में एसीपी आदित्य गौतम, इंसपेक्टर सुनील जैन, रिछिपाल, एसआई अरविंद, विमल दत, एएसआई महेश, श्रीओम, राजेश, हवलदार रामदास, योगेश, सिद्धार्थ सिपाही परमिंदर और परमजीत की टीम बनाई गई।
जांच में पता चला कि नौजवानों को ओएनजीसी के अधिकारिक मेल से सूचना आती थी और उनका साक्षात्कार कृषि भवन में होता था। उन्हें एक रणधीर सिंह उर्फ कुणाल किशोर से मिलवाया जाता था और वह उनसे 22 लाख रूपये लेता था लेकिन बाद में रणधीर सिंह गायब हो गया। पुलिस ने इस मामले में जगदीश राज, संदीप कुमार, वसीम, अंकित गुप्ता, विशाल गोयल, सुमन सौरभ और किशोर कुणाल को गिरफ्तार किया है।
पुलिस के मुताबिक सिंडिकेट चलाने वाले यह लोग मार्डन तकनीक का इस्तेमाल कर रहे थे। हैदराबाद के कंसलटेंसी फर्म में काम करने वाला रवि चंद्रा नौकरी चाहने वाले नौजवानों को जाल में फांसता था। कुणाल लोगो को भरोसा दिलाता था कि उसके एक रिश्तेदार ओएनजीसी में हैं और नौकरी के इच्छुक लोगों से कागजात आदि लेकर फर्जी इंटरव्यू आयोजित करता था। विशाल गोयल साफ्टवेयर इंजीनियर था इसलिए उसकी मदद से ईमेल बनाई जाती थी। कृषि भवन में इंटरव्यू होने की वजह से लोगों को यकीन हो जाता था और पैसे दे देते थे।