नई दिल्ली, इंडिया विस्तार। कहते हैं न कि लीडर दूरदृष्टा हो तो ऐतिहासिक सकारात्मक परिवर्तन होने तय होते हैं। दिल्ली पुलिस पर यह बात इस समय बिल्कुल फीट बैठती है। दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव ने हाल फिलहाल में कुछ ऐसे फैसले लिए हैं जिससे दिल्ली पुलिस की कार्यशैली में आमूल सकारात्मक परिवर्तन होगा।
वीडियो कांफ्रेंसिंग
पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव की पहल पर ही दिल्ली के विभिन्न जिलो में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग फैसिलिटी का इस्तेमाल पुलिसिंग के कई आयाम को सुदृढ़ करने के लिए किया जा रहा है इसमें क्राइम रिव्यू मीटिंग और कोर्ट कार्रवाई के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा है। फिलहाल ऐसा कोरोना महामारी के मद्देनजर किया जा रहा है लेकिन आने वाले वक्त में इसका ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल हो दिल्ली पुलिस इसकी भी तैयारी कर रही है। सभी अदालतें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई कर रही हैं बेल मैटर से लेकर किसी भी एप्लीकेशन की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हो रही है आने वाले वक्त में इसको कैदियों की पेशी के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इस काम के संयोजन का जिम्मा क्राइम ब्रांच के स्पेशल सीपी प्रवीर रंजन के पास है।
जांच की गुणवत्ता के लिए लीगल सलाहकारों की नियुक्ति
पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव ने दिल्ली पुलिस के उन मामलों की गहनता से अध्ययन किया जो कोर्ट में पूरे विभाग के लिए परेशानी का सबब बनते हैं। उन्होंने इसी को देखते हुए सबडिवीजन स्तर पर लीगल कंसलटेंट नियुक्त करने का फैसला किया।
Quality investigation and high conviction rate is emphasised by Hon’ble Home Minister, time and again. Legal consultants being appointed at subdivision level, will help achieve that. With legal help available at hand, younger policemen will benefit the most. @HMOIndia @LtGovDelhi pic.twitter.com/PmHTi7uDa1
— CP Delhi #DilKiPolice (@CPDelhi) August 11, 2020
इस तरह के 75 लीगल कंसलटेंट की वैकेंसी निकाली जा चुकी है। यह कानूनी सलाहकार केस दर्ज होने से लेकर चार्जशीट दाखिल होने तक जांच अधिकारी को कानूनी दांव पेंच से संबंधित सलाह देंगे। इसके बदले उन्हें केस आधारित फीस देने की व्यवस्था की गई है। माना जा रहा है कि इससे सजा के दर में बड़े स्तर पर बेहत्तरी होगी। जल्द ही जांच के अन्य जरूरतों जैसे फारेंसिक आदि के लिए भी इस तरह की व्यवस्था की जा सकती है।
लापता बच्चों की तलाश
हाल ही में दिल्ली सीपी एस एन श्रीवास्तव ने लापता बच्चों को तलाश करने के मुद्दे पर ऐतिहासिक फैसला लिया। ऐसे पुलिसकर्मी जो साल भर में 50 से ज्यादा बच्चे तलाश करने में कामयाब होते हैं उन्हें अब बारी से पहले तरक्की मिलेगी। इस फैसले से दोहरा लाभ होगा। पहला तो यह कि लापता होने वाले ज्यादातर बच्चे गरीब या निम्न आय वर्ग के परिवार से ताल्लुक रखते हैं। ऐसे परिवार जिनके बच्चे लापता होते हैं वो अक्सर थानों के चक्कर काटते नजर आते हैं। एस एन श्रीवास्तव के इस फैसले से पुलिसकर्मी ऐसे बच्चों को तलाशने में दिलचस्पी लेंगे। इस फैसले का दूसरा लाभ उन पुलिसकर्मियों को मिलेगा जो वर्षों तक तरक्की पाने का इंतजार करते रहते हैं। बारी से पहले तरक्की के रूप में उन्हें जल्दी प्रोन्नत होने का रास्ता मिल गया है।
पिछले दो महीने में ही 18 साल से कम उम्र के 724 बच्चे लापता हुए यद्यपि इसी दौरान 537 बरामद भी हुए। वे पुलिसकर्मी जो 12 महीने में 50 बच्चे बरामद करेंगे उन्हें बारी से पहले पदोन्नति प्रोत्साहन के रूप में दिया जाएगा। इससे अपराध रोकने में मदद मिलेगी।@LtGovDelhi @HMOIndia @DelhiPolice pic.twitter.com/iVrVKJGL3j
— CP Delhi #DilKiPolice (@CPDelhi) August 9, 2020
क्राइम की जड़ तक
दिल्ली सीपी एस एन श्रीवास्तव ने क्राइम की जड़ तक जाने का फैसला किया। इसके मद्देनजर दिल्ली के हरेक पुलिसकर्मी को मामले की तह तक जाने का स्पष्ट निर्देश है। यही वजह है कि दिल्ली में विभिन्न अपराधो में लिप्त मुख्य आरोपी को ही नहीं बल्कि उसको साथ देने वाले हरेक शख्स की गिरफ्तारी लगभग तय हो गई है। इसके परिणास्वरूप बड़ी संख्या में चोरी का सामान और हथियार के अवैध कारोबार में लिप्त लोगो को सलाखों के पीछे पहुंचाया गया है।
हरेक पुलिसकर्मी को सम्मान
क्राइम औऱ इंसानियत के लिए काम करने वाले हरेक पुलिसकर्मी को दिल्ली सीपी एस एन श्रीवास्तव निजी रूप से सम्मानित करते हैं। इसके परिणाम स्वरूप पुलिस फोर्स के अंतिम शख्स तक सकारात्मक संदेश जा रहा है।
उपरोक्त के अलावा कई ऐसे फैसले लिए जा रहे हैं जिससे पुलिस में सकारात्मक बदलाव आने लगे हैं। अगर यह बदलाव अच्छे परिणा भी लाने लगेंगे तो जाहिर है सबकी नजर में दिल्ली पुलिस की अहमियत बढ़ेगी।