
पाक आतंकी ने कई राज्यों में नेटवर्क फैला लिया था। पिछले 12-13 सालो में वह कई माडयूल तैयार कर चुका है। पाक आतंकी ने कई युवाओं को बरगला कर ट्रेनिंग के लिए सीमा पार भी भेजा है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल अब उससे पूछताछ कर पूरे नेटवर्क के बारे में पता लगा रही है। अब तक की पूछताछ में पता लगा है कि पाक आतंकी अलग-अलग राज्यो में अलग-अलग नामों से रहता था। माडयूल तैयार करने और आतंकी हमले को अंजाम दिलवाने के बाद पाक आतंकी उस राज्य से गायब हो जाता था। पुलिस को आशंका है कि कई आतंकी वारदातो में पाक आतंकी मोहम्मद अशरफ उर्फ अली अहमद नूरी शामिल रहा हो सकता है। गौरतलब है कि अशरफ को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया है। उसे कोर्ट ने स्पेशल सेल की हिरासत में 14 दिनो के लिए भेज दिया है। पाक आतंकी के मजबूत नेटवर्क का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि उसने साल 2013 में ही भारतीय पासपोर्ट तक बनवा लिया था।
दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के डीसीपी प्रमोद कुशवाह के मुताबिक आतंकी गतिविधियों पर निगरानी के दौरान दो माह पहले पाक नागरिक द्वार संचालित स्लीपर सेल के बारे में सूचना मिली थी। इस सूचना के आधार पर एसीपी ललित मोहन नेगी और ह्रदय भूषण की देखरेख में इंस्पेक्टर रविन्द्र कुमार त्यागी, विनोद बडोला के नेतृत्व में एसआई सुंदर गौतम और यशपाल भाटी आदि की विशेष टीम का गठन किया गया।
गठित विशेष टीम को सूचना मिली की पाक नागरिक को भारत में आतंकी वारदातों को अंजाम देने के लिए निर्देश दिया गया है। पुलिस को यह भी पता चला कि आतंकी हमले की तैयारी में अब गोला बारूद और हथियार मंगाने की बात चल रही है। पाक आतंकी की पहचान मोहम्मद अशरफ उर्फ अली अहमद नूरी के रूप में हुई । पुलिस को यह भी पता लगा कि अशरफ हथियार और गोला बारूद का इंतजाम कर रहा है और उसने फर्जी कागजातों के जरिए भारतीय पहचान भी हासिल कर ली है। इन दिनो वह दिल्ली के लक्ष्मी नगर में पीर मौलाना के रूप में रह रहा था। 11 अक्टूबर को पुलिस टीम ने छापेमारी कर अशरफ को दबोचने में कामयाबी हासिल की। उसके कब्जे से एक एके 47 राइफल, एक हैंडग्रेनेड, 60 राउंड मैगजीन, दो पिस्टल 50 राउंड कारतूस कई भारतीय पहचान के कागजात बरामद किए गए हैं।
प्रारंभिक पूछताछ में उसकी पहचान पाकिस्तान के पंजाब निवासी मोहम्मद अशरफ के रूप में हुई। वह भारत में स्लीपर सेल के मुखिया के रूप में काम कर रहा था। त्योहारों के दौरान आतंकी हमला करने की जिम्मेवारी उसे सौंपी गई थी। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने उसे भारत में आतंकी हमलो की जिम्मेवारी दी थी।
गिरफ्तार पाक आतंकी को साल 2004 में आईएसआई के नासिर ने सियालकोट में प्रशिक्षण दिया था। ट्रेनिंग के बाद वब भारत में प्रवेश कर गया। सिलीगुडी सीमा से भारत में आने के बाद वह अजमेर गया वहां उसने स्थानीय मस्जिद के मौलवी से दोस्ती गांठ ली। इसी मौलवी के साथ 2006 में वह दिल्ली पहुंच गया। मौलवी के एक फैक्टरी मालिक की मदद से वह फैक्टरियो मे दैनिक भत्ते पर काम करने लगा। धीरे धीरे वह सबका विश्वास जीतने में कामयाब हो गया। इस दौरान आईएसआई एजेंट नासिर उसे हवाला के जरिए पैसे भी भेजने लगा।