आप भी जानिए adhar card पर आधारित UPI प्रमाणीकरण की कमियां और इसके सुधार के उपाय

adhar card पर आधारित UPI प्रमाणीकरण की कमियां और सुधार बताने वाला यह पोस्ट कटिहार में डीएसपी के पद पर तैनात कन्हैया कुमार से साभार लिया गया है।

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adhar card पर आधारित UPI प्रमाणीकरण की कमियां और सुधार बताने वाला यह पोस्ट कटिहार में डीएसपी के पद पर तैनात कन्हैया कुमार से साभार लिया गया है। adhar card पर आधारित यूपीआई के प्रमाणीकरण की कमियां और सुधार बताने वाला इस पोस्ट की http://indiavistar.com पर प्रस्तुति दिल्ली पुलिस में तैनात इंस्पेक्टर रमण कुमार सिंह के सौजन्य से की जा रही है। adhar card पर आधारित प्रमाणीकरण की इन कमियों से आपको भी अवगत होना चाहिए।

adhar card पर आधारित प्रमाणीकरण की कमियों को ऐसे किया जा सकता है दूर

आधार-आधारित UPI प्रमाणीकरण में मौजूद कमजोरियों को कम करने और इन प्रणालियों की समग्र सुरक्षा को मजबूत करने के उपाय:

  1. सुधारित मल्टी-फैक्टर प्रमाणीकरण (MFA):
    o कड़ी सत्यापन:
    UPI PIN रीसेट के लिए केवल आधार संख्या के पहले छह अंक ही नहीं, बल्कि अतिरिक्त सुरक्षा परतों—जैसे बायोमीट्रिक सत्यापन या डायनामिक और स्टेटिक प्रमाणपत्रों के संयोजन—की आवश्यकता होनी चाहिए, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि अनुरोध करने वाला वास्तविक मालिक ही है।
    o डिवाइस बाइंडिंग:
    UPI लेन-देन और PIN रीसेट अनुरोधों को विश्वसनीय उपकरणों से जोड़ा जाए। इसमें डिवाइस फिंगरप्रिंटिंग या SIM-बाइंडिंग जैसी तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है, ताकि मोबाइल डिवाइस चोरी होने पर भी अनधिकृत पहुंच रोकी जा सके।
  2. सुरक्षित रिकवरी प्रक्रिया:
    “आधार भूल गए” सुविधा के लिए अतिरिक्त सुरक्षा जांच:
    केवल पंजीकृत मोबाइल नंबर और नाम पर निर्भर रहने के बजाय, पूर्ण आधार संख्या प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त सत्यापन चरण—जैसे सुरक्षा प्रश्नों के उत्तर देना या इन-ऐप पुष्टिकरण प्रक्रिया को शामिल करना—जोड़े जाएं। इससे धोखेबाजों के लिए संवेदनशील जानकारी एकत्र करने में अतिरिक्त बाधा उत्पन्न होगी।
    o डायनामिक OTP मेकेनिज्म:
    आधार प्राप्ति और UPI PIN रीसेट दोनों के लिए समय-संवेदनशील और संदर्भ-जागरूक OTPs का उपयोग किया जाए, ताकि अगर कोई अनधिकृत व्यक्ति मोबाइल डिवाइस तक पहुंच भी प्राप्त कर ले तो भी वह प्रणाली का आसानी से दुरुपयोग न कर सके।
  3. UIDAI गाइडलाइंस के साथ सख्त एकीकरण:
    o नियमित ऑडिट और अनुपालन:
    प्राधिकरणों और वित्तीय संस्थाओं को अक्सर सुरक्षा ऑडिट करने चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आधार प्रमाणीकरण प्रक्रिया UIDAI की विकसित होती सुरक्षा नीतियों और अनुशंसाओं का कड़ाई से पालन करती हो।
    o अनिवार्य सुरक्षा उन्नयन:
    यह अनिवार्य किया जाए कि आधार का उपयोग करके प्रमाणीकरण क्रेडेंशियल रीसेट करना एक मजबूत सत्यापन पाइपलाइन का पालन करे, जिसमें नवीनतम एन्क्रिप्शन, बायोमीट्रिक्स और सुरक्षित संचार चैनलों का उपयोग शामिल हो।
  4. उपयोगकर्ता जागरूकता और शिक्षा:
    o उपयोगकर्ताओं को सूचित करना:
    ऐसे शिक्षा अभियान चलाए जाएं जो उपयोगकर्ताओं को आधार के माध्यम से अनधिकृत UPI PIN रीसेट से जुड़े संभावित जोखिमों के प्रति जागरूक करें। साथ ही, उन्हें किसी भी संदिग्ध गतिविधि या खोए हुए मोबाइल डिवाइस की तुरंत रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
    अच्छी सुरक्षा आदतों को बढ़ावा देना:
    उपयोगकर्ताओं को सलाह दी जाए कि वे अपने मोबाइल फ़ोन्स को मजबूत पासवर्ड, बायोमीट्रिक लॉक के साथ सुरक्षित रखें और अपने ऐप्स को नियमित रूप से अपडेट करते रहें, ताकि डिवाइस की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
  5. नियामक और उद्योग सहयोग:
    o कड़ी नियामक निगरानी:
    नियामकों को UPI PIN रीसेट मेकैनिज्म पर अधिक कड़े नियंत्रण लगाने पर विचार करना चाहिए, जिसमें प्रक्रिया संबंधी दिशानिर्देशों का पुनरावलोकन कर कमजोरियों को दूर किया जाए।
    o उद्योग-आंतर सहयोग:
    वित्तीय संस्थाओं, भुगतान गेटवे, और आधार प्राधिकरणों को मिलकर एक संयुक्त सुरक्षा फ्रेमवर्क विकसित करना चाहिए, जो डिजिटल भुगतान और पहचान सत्यापन दोनों स्तरों पर कमजोरियों का समाधान कर सके।
    इन उपायों को सामूहिक रूप से लागू करने से वित्तीय धोखाधड़ी का जोखिम कम किया जा सकता है, क्योंकि इस तरह आधार से जुड़े UPI प्रमाणीकरण को कड़ा, उच्च सत्यापन मानकों का पालन करने वाला और उपयोगकर्ता डेटा की बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करने वाला बनाया जा सकता है—यहाँ तक कि यदि कोई मोबाइल डिवाइस खो जाए या चोरी हो जाए।

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