ed raid में जब्त हुईं लग्जरी कारें और सुपर बाइक जानें क्या है मामला

ed raid: पोर्श, कैयेन, मर्सिडीज़, बेंज जीएलसी, बीएमडब्ल्यू एक्स7, ऑडी ए3, मिनी कूपर, होंडा गोल्ड विंग बाइक यानि जस महंगी लग्जरी कारें और सुपर बाइक ईडी के शिमला जोनल कार्यालय ने जब्त किए हैं।

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ed raid: पोर्श, कैयेन, मर्सिडीज़, बेंज जीएलसी, बीएमडब्ल्यू एक्स7, ऑडी ए3, मिनी कूपर, होंडा गोल्ड विंग बाइक यानि जस महंगी लग्जरी कारें और सुपर बाइक ईडी के शिमला जोनल कार्यालय ने जब्त किए हैं। इस जब्ती के पीछे 1396 करोड़ रुपये के लोन का फर्जीवाड़ा कारण बना है। ईडी ने 30 अगस्त को भुवनेश्वर और उड़ीसा में छापेमारी के दौरान यह कार्रवाई की।

आरोपी शक्ति रंजन दास के आवास और उनकी कंपनियों मेसर्स अनमोल माइंस प्राइवेट लिमिटेड (एएमपीएल) और मेसर्स अनमोल रिसोर्सेज प्राइवेट लिमिटेड (एआरपीएल) के व्यावसायिक परिसर पर छापेमारी की गई थी।

ये तलाशी मेसर्स इंडियन टेक्नोमैक कंपनी लिमिटेड (आईटीसीओएल) में चल रही धन शोधन जाँच से जुड़ी हैं। कार्रवाई के दौरान, ईडी अधिकारियों ने ₹13 लाख नकद, ₹1.25 करोड़ से अधिक मूल्य के आभूषण, संपत्ति के दस्तावेज़ और अन्य आपत्तिजनक रिकॉर्ड ज़ब्त किए। दो लॉकर भी ज़ब्त किए गए हैं, जिन्हें अभी खोला जाना बाकी है। इसके खुलने के बाद ही पता लग सकेगा कि इसमें क्या क्या है।

हिमाचल सीआईडी के बाद ed raid

ईडी के सूत्र के मुताबिक इस मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में सबसे पहले हिमाचल प्रदेश पुलिस की सीआईडी के द्वारा मामला दर्ज किया गया था और तफ्तीश की जा रही है। उसी मामले की गंभीरता को देखते हुए इस मामले को  मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज करके ईडी की इंट्री हुई।  ईडी की जांच की शुरुआत में ही हिमाचल प्रदेश पुलिस द्वारा दर्ज FIR में पता चल गया था कि ITCOL और उसके निदेशकों ने बैंकों से ऋण लेने के लिए फर्जी प्रोजेक्ट रिपोर्ट और नकली बिक्री दिखाकर धोखाधड़ी की। इस मामले में साल 2009 से लेकर 2013 के दौरान बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम से लिए गए इन लोन का सही उपयोग नहीं किया गया और लोन की रकम को डाइवर्ट करके मनी लॉन्ड्रिंग की गई है।

मुख्य आरोपी?
इस मामले में धोखाधड़ी की कुल राशि लगभग 1396 करोड़ रूपये की थी। हालांकि जांच एजेंसी द्वारा इसी मामले में पहले भी कार्रवाई करते हुए करते हुए करीब 310 करोड़ की संपत्तियों को अटैच किया जा चुका है। उस अटैच की गई संपत्तियों में से करीब 289 करोड़ की सम्पत्ति को अप्रैल 2025 में उन बैंकों को वापस भी किया जा चुका है, जिससे आरोपी और उसकी कंपनी द्वारा लोन लिया गया था। जांच में पता चला कि ITCOL और उसकी शेल कंपनियों ने लगभग 59.80 करोड़ रुपये ओडिशा की कंपनी AMPL के बैंक खातों में ट्रांसफर किए । ED के अनुसार, AMPL के एमडी शक्तिरंजन दास ने ITCOL के प्रमोटर राकेश कुमार शर्मा की मदद से बैंक लोन की रकम माइनिंग गतिविधियों में लगाई और अवैध धन को वैध दिखाने का प्रयास किया।

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