बीमा पॉलिसी लैप्स होना अपने आप में नुकसान है, लेकिन अब यह साइबर ठगों के लिए कमाई का जरिया बन चुका है। देशभर में ऐसे मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जहां ठग laps policy की असली जानकारी के आधार पर खुद को IRDAI, इंश्योरेंस ऑम्बड्समैन या बीमा कंपनी का अधिकारी बताकर लोगों को कॉल कर रहे हैं। रिफंड का झांसा दिया जाता है और फिर एक के बाद एक बहाने बनाकर पैसे ऐंठ लिए जाते हैं।
दिल्ली और मुंबई से सामने आए हालिया मामलों ने यह साफ कर दिया है कि यह ठगी अब छोटे स्तर पर नहीं, बल्कि संगठित नेटवर्क के जरिए की जा रही है।
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laps policy क्या होती है और ठग इसे क्यों निशाना बनाते हैं
जब किसी बीमा पॉलिसी का प्रीमियम समय पर जमा नहीं होता, तो वह laps policy कहलाती है। आमतौर पर पॉलिसीधारक को यह उम्मीद नहीं होती कि लैप्स पॉलिसी पर कोई बड़ा रिफंड मिलेगा। इसी भ्रम का फायदा ठग उठाते हैं।
ठग जानते हैं कि:
- laps policy धारकों को IRDAI की प्रक्रिया की जानकारी कम होती है
- पॉलिसी पुरानी होने के कारण लोग सतर्क नहीं रहते
- थोड़े से भरोसे पर व्यक्ति “रिफंड” के लालच में आ सकता है
कैसे शुरू होती है laps policy रिफंड ठगी
1. असली पॉलिसी डेटा का इस्तेमाल
ठगों के पास पॉलिसी नंबर, बीमाधारक का नाम, प्रीमियम राशि और laps policy की तारीख तक मौजूद होती है। इससे कॉल पहली ही बार में भरोसेमंद लगती है।
2. अधिकारी बनकर कॉल
कॉलर खुद को IRDAI, इंश्योरेंस ऑम्बड्समैन या बीमा कंपनी का सीनियर अधिकारी बताता है। कॉलर ID अक्सर स्पूफ की गई होती है।
3. “पेंडिंग रिफंड” की कहानी
कहा जाता है कि आपकी laps policy का रिफंड वर्षों से पेंडिंग है और अब सरकार के निर्देश पर उसे रिलीज किया जा रहा है।
4. पहले शुल्क की मांग
कभी “प्रोसेसिंग चार्ज”, कभी “फाइल एक्टिवेशन फीस”, कभी “GST” या “NOC” के नाम पर पैसे मांगे जाते हैं।
5. नए-नए बहाने
पहली रकम देने के बाद कहा जाता है कि फाइल RBI में अटक गई है, बॉन्ड फीस देनी होगी या टैक्स एडजस्टमेंट बाकी है।
6. अचानक संपर्क खत्म
जब बड़ी रकम निकल जाती है, तो फोन बंद, व्हाट्सऐप डिलीट और वेबसाइट गायब।
केस 1: दिल्ली — laps policy रिफंड के नाम पर ₹1.3 लाख की ठगी
दिल्ली में चार लोगों ने खुद को IRDAI और इंश्योरेंस ऑम्बड्समैन अधिकारी बताकर एक कैंसर पीड़ित व्यक्ति को कॉल किया। उसे बताया गया कि उसकी मेडिकल laps policy का रिफंड “प्रोसेसिंग चार्ज” देने पर मिलेगा। भरोसे में लेकर उससे ₹1.3 लाख ट्रांसफर करा लिए गए।
केस 2: मुंबई — सात laps policy, नुकसान ₹2.36 करोड़
मुंबई में एक सेवानिवृत्त नागरिक से ठगों ने IRDAI, NSDL और NPCI अधिकारी बनकर संपर्क किया। सात laps policy का रिफंड दिलाने का दावा किया गया। “RBI क्लियरेंस”, “बॉन्ड फीस” और “टैक्स एडजस्टमेंट” के नाम पर लगातार पैसे लिए जाते रहे। कुल ठगी ₹2.36 करोड़ तक पहुंच गई।
लोग laps policy ठगी में क्यों फंस जाते हैं
- कॉलर के पास असली पॉलिसी जानकारी होती है
- IRDAI और ऑम्बड्समैन जैसे नाम भरोसा पैदा करते हैं
- कॉलर ID स्पूफिंग से कॉल सरकारी लगती है
- रिफंड मिलने की उम्मीद फैसले को कमजोर कर देती है
सच्चाई जो हर laps policy धारक को जाननी चाहिए
- IRDAI कभी रिफंड के लिए कॉल नहीं करता
- इंश्योरेंस ऑम्बड्समैन कोई फीस नहीं मांगता
- laps policy रिफंड के लिए प्रोसेसिंग चार्ज, RBI बॉन्ड या फाइल फीस जैसी कोई चीज नहीं होती
- कोई भी भुगतान सीधे बीमा कंपनी के आधिकारिक चैनल से ही होता है
laps policy धारकों के लिए सुरक्षा चेकलिस्ट
✔ किसी भी रिफंड कॉल को अपनी बीमा कंपनी के आधिकारिक नंबर पर वेरिफाई करें
✔ अपनी पॉलिसी डॉक्यूमेंट या KYC किसी अनजान व्यक्ति को न भेजें
✔ UPI या बैंक ट्रांसफर की मांग होते ही सतर्क हो जाएं
✔ “आज नहीं तो रिफंड रुक जाएगा” जैसी बात ठगी का संकेत है
अगर ठगी हो जाए तो तुरंत क्या करें
- तुरंत 1930 पर कॉल करें
- शिकायत दर्ज करें: http://cybercrime.gov.in
- बैंक और UPI ऐप को तुरंत सूचित करें
जितनी जल्दी रिपोर्ट होगी, पैसे रिकवर होने की संभावना उतनी बढ़ेगी।
जरूरी चेतावनी संदेश
⚠️ IRDAI laps policy रिफंड के लिए कभी कॉल नहीं करता
⚠️ इंश्योरेंस ऑम्बड्समैन कोई शुल्क नहीं मांगता
⚠️ किसी भी “रिफंड फीस” की मांग सीधी ठगी है
अगर कोई laps policy रिफंड दिलाने के नाम पर पैसे मांगे — समझ लें, यह धोखाधड़ी है।









