बालिकाएं किसी भी समाज के कल्याण, विकास में अहम भूमिका निभाती हैं। एक बालिका जो स्वस्थ वातावरण में बढ़ी होती है, वहीं एक काबिल स्त्री बनती है। यह स्त्री परिवार, समाज और देश को स्वस्थ रखने की दिशा में अपना योगदान देती हैं। आज लड़कियां लगभग हर क्षेत्र में कार्यरत हैं और अपनी स्थिति को मजबूत कर रही हैं लेकिन एक दौर ऐसा भी था जब बच्चियों को गर्भ में ही मार दिया जाता था। इस कारण लिंग असमानता की समस्या बढ़ी। जन्म के बाद उनका बाल विवाह कर देते, जिसकी वजह से वह अपना बचपन खो देती हैं। शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास से वंचित रह जाती हैं और साथ ही कम उम्र में गर्भवती होने से किशोरी और शिशु दोनों के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है। इन सभी का असर देश के विकास पर भी होता है। बालिकाओं के खिलाफ होने वाली इन्हीं कुरीतियों के अंत और किशोरियों को समाज के प्रथम पायदान पर लाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष जनवरी माह में राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाते हैं। सरकार और यूनिसेफ मिलकर बालिकाओं के लिए कई योजनाएं चला रहे हैं, ताकि उनका सर्वांगीण विकास हो सके और बालिकाओं के रहने लायक सुरक्षित समाज बन सके। आज आपको बताते हैं राष्ट्रीय बालिक दिवस के बारे में वो सारी बातें जो अब तक आप नहीं जानते-
राष्ट्रीय बालिका दिवस कब
प्रतिवर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाते हैं। राष्ट्रीय बालिका दिवस को मनाने की शुरुआत 2009 में हुई थी, जब पहली बार महिला बाल विकास मंत्रालय ने देश में बालिका दिवस मनाया था।
क्यों मनाते हैं बालिका दिवस?
देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की वजह से ही 24 जनवरी को बालिका दिवस मनाया जाने लगा। 1966 में जब इंदिरा गांधी पहली बार देश की प्रधानमंत्री बनीं तो उनका शपथ ग्रहण समारोह 24 जनवरी को ही हुआ था। यह दिन भारत के इतिहास में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए अहम है। इस दिन को यादगार बनाने के लिए राष्ट्रीय बालिका दिवस 24 जनवरी को मनाने का फैसला लिया गया।
महत्व
विश्व में बालिकाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने व किशोरियों के बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा और करियर के लिए मार्ग बनाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 11 अक्तूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य महिलाओं को उनके अधिकारों और महिला सशक्तिकरण के प्रति जागरूक करना है।