इस इंडो नाईजीरियन साइबर गैंग के बारे में जान लीजिए फिल्मी विलेन की कहानी को भूल जाएंगे आप रहिए सावधान, देखें वीडियो भी

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नई दिल्ली। आगरा पुलिस के हत्थे चढ़े एक साइबर गैंग की प्रोफाइल औऱ उनके कारनामे किसी फिल्मी विलेन के गैंग से कम नहीं। यह साइबर गैंग आगरा के आईजी ए सतीश गणेश की खास रणनीति से पुलिस के शिकंजे में आया है। इस फिल्मी टाइप गैंग में एक सदस्य ऐसा भी है जो कभी महिला होती थी और आपरेशन कराकर पुरूष बनी। इस साइबर गैंग का सरगना नाम से बेशक जाना जाता हो लेकिन कहां रहता है ये कोई नहीं जानता। गिरोह के सदस्यों से उसकी बातचीत सिर्फ संडे को होती है।  इस साइबर गैंग के चार लोग पुलिस के हत्थे चढ़े हैं और पूर गैंग की पहचान हो चुकी है। इस साइबर गैंग में विदेशी नागरिक बड़ी संख्या में हैं।

A satish ganesh

आगरा रेंज के आईजी सतीश गणेश के मुताबिक इस गिरोह ने साइबर अपराध की ट्रेनिंग भोपाल से ली है।  यह साइबर गैंग आजकल आगरा में सरकारी संस्थानों की वेबसाइट बनाकर लोगों को बड़े शातिराना तरीके से ठगता था। देश भर में सैकड़ो लोग इसके शिकार हुए हैं। यह गैंग वेबसाइट बनाकर लोगों से फेसबुक पर दोस्ती करता था। फेसबुक फ्रेंड बनने के बाद यह लाखों की पॉलिसी को दुबारा चालू करने का लालच देकर लोगों को ठगा करता था।

ऐसे लगा सुराग

साइबर गैंग के शिकार आगरा निवासी प्रताप सिंह ने आगरा साइबर पुलिस को शिकायत दी कि किसी ने उन्हें नामी कंपनियों का बीमा कराने का लालच दिया औऱ 30 लाख की बीमा करा दी। इन सभी कंपिनयों की पालिसी बांड उनके घर पर राजिस्टर्ड डाक से भेज दिए गए। यह सभी कार्रवाही मोबाइल फोन और आनलाइन हुई थी। मार्च 2017 में प्रताप सिंह के पास राजीव शुक्ला औऱ और जगदीश नेगी नामक दो लोगों के फोन आए । इन दोनों ने अपना परिचय मुंबई क्राइम ब्रांच के अफसरों के रूप में देते हुए कहा कि प्रताप सिंह को दी गई सारी पॉलिसियां फर्जी हैं। यह भी बताया गया कि फर्जी पॉलिसी देने वालों को गिरफ्तार कर लिया गया है। प्रताप सिंह को लालच दिया गया कि सभी पॉलिसियों का पैसा कई गुना बढ़ा कर उन्हें वापस करा दिया जाएगा। इसके बदले प्रताप सिंह से विभिन्न बैंक खातों में कुल 95 लाख रूपये जमा कार लिए गए। इसके बाद प्रताप सिंह का नंबर ब्लॉक कर दिया गया। बहुत दिनों बाद प्रताप सिंह को अपने साथ ठगी होने का अहसास हुआ औऱ उन्होंने साइबर थाने में शिकायत दी।

साइबर गैंग के लिए विशेष टीम

मामले की सूचना जब आगरा रेंज के आईजी ए सतीश गणेश तक पहुंची तो उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए विशेष टीम बनाई इस टीम में इंसपेक्टर शैलेश कुमार सिंह , सबइंसपेक्टर मोहित वर्मा, आशीष मलिक, चेतन भारद्वाज, एएसआईएम विशाल शर्मा, मुख्य आरक्षी इन्द्रदेव, आरक्षीगण सुशील,जितेन्द्र, नवीन, पुष्पेन्द्र, रवि मिश्रा. प्रवेश, शैलेन्द्र, शुभम, संजेश आदि की टीम बनाई। इस टीम ने उन खातों की जांच शुरू की जिनमें कारोबारी से पैसे जमा करवाए गए थे। काफी मशक्कत के बाद पुलिस को एक ऐसे गैंग का सुराग मिल ही गया जिसमें देश से लेकर विदेश तक के ठग शामिल थे। आईजी सतीश गणेश के मुताबिक गैंग का संचालन नाईजीरियन हैकर कर रहे हैं। मामले की जांच के बाद पुलिस ने नाइजीरियाई गुड्सटाइम संडे उर्फ बेंशन,  तरूण यादव, आसिफ औऱ जसपाल को गिरफ्तार किया।

यह है पूरा गैंग

पूछताछ में पुलिस को पता चला है कि इस साइबर गैंग में 6 और विदेशी नागरिक शामिल हैं। इस गैंग का सरगना जॉन स्टेन्ले नामक व्यक्ति है। गैंग साईबर ठगी का खतरनाक गिरोह चला रहा है। गैंग पहले फर्जी सरकारी वेबसाइट बना लेता है। जो लोग इन फर्जी साइट को खोलते हैं उनका ईमेल फोन नंबर आदि मिलते ही यह गैंग उनसे संपर्क करता है। फिर उन्हें पॉलिसी के बदले मोटी रकम दिलाने का लालच दिया जाता है। लालच में फंसने वाले शख्स से कमीशन, कार्रवाही शुल्क आदि के बहाने बैक खातों में रकम जमा करा ली जाती है फिर यह गैंग उस रकम को हड़प लेता है। गैंग के लोग जाल में फंसे लोगो से अमेरिका या इंगलैंड में रहने वाली लड़की बनकर मिलते हैं।  ठगी की रकम जमा कराने के लिए यह गैंग खरीदे या किराए पर लिए हुए खाते का इस्तेमाल करता है।  जिस खाते का इस्तेमाल किया जाता है उस खाता धारक को ठगी रकम का 8 प्रतिशत दिया जाता है। गिरफ्तार लोगो में जसपाल अपने खाते के इस्तेमाल के बदले 8 प्रतिशत की रकम लेता था। गिरफ्तार तरूण यादव जसपाल औऱ संडे के बीच की कड़ी है उसे 7 प्रतिशत दिया जाता था। गिरफ्तार संडे उर्फ बेंशन को 10 प्रतिशत मिलता है जबकि 75 प्रतिशत हिस्सा विदेश में बैठे साइबर गैंग सरगना को भेज दिया जाता है। गैंग से बरामद लैपटाप की जांच से पता लगा है कि ये लोग कई सौ रकम की ठगी कर चुके हैं।  हाल ही में इस साइबर गैंग ने 50 करोड़ रुपया विदेश भेजा है।

गैंग का खास सदस्य

तरूण यादव साइबर गैंग का खास सदस्य है । उसका काम गैंग के लिए खाते का इंतजाम करना है। वह पहले महिला हुआ करता था और महिला के रूप में ही गैंग के लिए खाते का इंतजाम करता था। बाद में उसने स्तन का आपरेशन करवाया और कृत्रिम पुरूष अंग लगाने लगा। यही नहीं उसने शादी भी की और आईबीएफ से उसे अएक संतान भी है। उसके पास से 15 पहचान पत्र बरामद हुए हैं।

गैंग सरगना किसी फिल्मी विलेन से कम नहीं   

साइबर गैंग का सरगना जॉन स्टेन्ले केवल बेंशन से ही मिला करता है। साइबर गैंग के बाकि सदस्यों ने उसे देखा तक नहीं है। वह विदेश के नंबरों से व्हाट्सऐप्प कॉल के माध्यम से मिलने की जगह औऱ समय बताता है। बेंशन का काम है कि ठगी की रकम का 75 प्रतिशत हिस्सा बैग में रखकर साइबर गैंग के सरगना जॉन के बताए स्थान पर रखकर चला जाए। इनसे पूछताछ में ये भी पता चला है कि इस तरह का एक गैंग पहले मोटी रकम कमाकर वापस जा चुका है जाते समय उसने आने वाले गैंग से तरूण यादव औऱ दूसरे लोगों को मिलवा दिया। इससे पता लगता है कि साइबर गैंग आते जाते रहते हैं और सबके संपर्क एक दूसरे से हैं।

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