jharkhand news today-वन विभाग के इस प्रयास से मिल रहा रोजगार

jharkhand news today-झारखंड वन विभाग (jharkhand forest department) की एक कोशिश से किसानों को रोजगार मिलने लगा है। वन विभाग ने लाह की खेती में ही नहीं बल्कि लाह की प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर उसके बाजार की व्यवस्था भी करने लगा है।

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jharkhand news today-झारखंड वन विभाग (jharkhand forest department) की एक कोशिश से किसानों को रोजगार मिलने लगा है। वन विभाग ने लाह की खेती में ही नहीं बल्कि लाह की प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर उसके बाजार की व्यवस्था भी करने लगा है। दवा से लेकर कास्मेटिक तक में काम आने वाले लाह की प्रोसेंसिग यूनिट ने झारखंड के 12 जिलों के किसानों को रोजगार की नई राह दिखाई है।

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झारखंड वन विभाग द्वारा किए जा रहे कार्यों की ग्राउंड सच्चाई जानने के लिए http://indiavistar.com के संपादक आलोक वर्मा यानि मैंने कई जिलों का दौरा किया। इसी क्रम में  झारखंड वन विभाग की  बहुकांक्षी परियोजना के तहत धनबाद टुंडी वन क्षेत्र में लगाया गया लाह प्रोसेसिंग यूनिट को देखने का मौका मिला। वास्तव में रोजगार के लिए जंगल पर निर्भर रहने वालों के लिए इस तरह की यूनिट वरदान साबित हो रही हैं। (वीडियो देखें)

मात्र दो तीन साल पहले ही शुरू किए गए इस यूनिट में रेवन्यू भी आना शुरू हो गया है। कुछ इलाकों में लाह की खेती और उसकी यूनिट से किसान अच्छा खासा कमा रहे हैं। धनबाद वन प्रमंडल अधिकारी विकास कुमार पालीवाल औऱ एसीएफ अजय कुमार मंजुल के मुताबिक परसाटांड इको वन विकास वन समिति लाह की खेती करती है।

साल 2020-21 में शुरू किए गए इस यूनिट में चार तरह की मशीनें हैं। इनमें लाह की धुलाई, पिसाई और शुद्धीकरण का काम होता है। लाह का उपयोग कास्मेटिक से लेकर सिमेंट, पालिश और दूसरी कई चीजों में होता है। अनुमान है कि झारखंड में लाह की खेती से जुड़े किसानों की संख्या 5 लाख से ज्यादा है। इनकी कुल आय में लाह की खेती का हिस्सा तकरीबन 25 प्रतिशत बताई जाती है।

धनबाद के कुण्डी इलाके में लगी इस यूनिट में ही इस साल रेवन्यू के 26 हजार रुपये से अधिक जमा हुए हैं। आरंभ में लाह के बीज आदि के लिए वन विभाग ने किसानों की मदद की। लेकिन अब लाह प्रोसेसिंग यूनिट संचालित करने वाले खुद भी काफी सक्षम हो गए हैं। लाह प्रोसेसिंग के लिए मौजूद इस यूनिट से उत्पादित लाह की मार्केटिंग की भी उचित व्यवस्था की गई है ताकि प्रोसेसिंग के बाद उसकी कीमत मिल सके। वन प्रमंडल के अधिकारी लाह की खेती से लेकर प्रोसेसिंग तक की ट्रेनिंग और बाजार में बेचने में किसानों की मदद करते हैं।

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