जानकी जयंती का जानिए महत्व औऱ सारी बातें

बिहार के मिथिला इलाके में जानकी जयंती की धूम रहती है।  इसके अलावा नेपाल में भी इसको लेकर उत्सव का माहौल रहता है। कई जगहों पर रामायण के नाट्य रूपांतरण का भी आयोजन किया जाता है।

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जानकी जयंती

बिहार के मिथिला इलाके में जानकी जयंती की धूम रहती है।  इसके अलावा नेपाल में भी इसको लेकर उत्सव का माहौल रहता है। कई जगहों पर रामायण के नाट्य रूपांतरण का भी आयोजन किया जाता है। झांकियां सजाई जाती हैं। जानकी जयंती पर सुहागिन महिलाएं विशेश रूप से व्रत करती हैं। जानकी माता के व्रत से घर में सुख शांति आती है और और पति की लंबी उम्र भी होती है। 

धार्मिक मान्यता है कि फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को राजा जनक की पुत्री और भगवान श्रीराम की पत्नी माता सीता का प्राकट्य हुआ था। तभी से इस दिन को जानकी जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व को सीता अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। माता सीता को जानकी के नाम से भी जाना जाता है। माता सीता अपने त्याग एवं समर्पण के लिए पूजनीय हैं। जानकी जयंती के दिन भगवान राम और माता सीता की पूजा-उपासना करने से सभी तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं। मान्यता है कि इस सौभाग्यशाली दिन माता सीता की पूजा अर्चना प्रभु श्री राम के साथ करते हैं तो भगवान श्री हरि विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। आइए जानते हैं जानकी जयंती की तिथि, पूजा मुहूर्त और पूजन विधि…जानकी जयंती तिथि 2023
फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 13 फरवरी को सुबह 8 बजकर 15 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 14 फरवरी को सुबह 7 बजकर 40 मिनट पर खत्म होगी। उदया तिथि को मानते हुए जानकी जयंती 14 फरवरी को मनाई जाएगी।

इस दिन को माता सीता के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने घर की सुख शांति और अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। मान्यता है कि इस दिन जो भी व्यक्ति भगवान श्री राम और माता सीता की पूजा करता है उसे सोलह महा दान का फल और पृथ्वी दान का फल प्राप्त होता है।

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