जिसने 21 साल सीने में दबाए रखी बदले की आग

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udham Singh

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नई दिल्ली ,इंडिया विस्तार। 13 अप्रैल, 1919 को पंजाब के जलियांवाला बाग में रॉलेट एक्ट का विरोध कर रहे हजारों निर्दोष भारतीयों को जब अंग्रेज गोलियों से भून रहे थे, तो एक सरदार ने अपनी मिट्टी से वादा किया था कि वो इस नरसंहार का बदला लेकर रहेगा।

अपने वादे को पूरा करने के लिए भारत मां का यह लाल 21 सालों तक बदले की आग में जलता रहा और आखिरकार 13 मार्च, 1940 को लंदन में माइकल ओ ड्वायर को मौत के घाट उतार कर अपनी कसम पूरी की। माइकल ओ ड्वायर जलियांवाला कांड के वक्त पंजाब प्रांत के गवर्नर थे।

यह वीर देशभक्त जिन्हें पूरा देश सरदार उधम सिंह के नाम से जानता है, उनका असली नाम था शेर सिंह। 13 मार्च को उधम सुबह से ही अपनी योजना को अंजाम देने के लिए पूरी तरह तैयार थे। माइकल ओ ड्वायर को एक सभा में हिस्सा लेने के लिए तीन बजे लंदन के कैक्सटन हॉल में जाना था। उधम वहां समय से पहुंच गए। वो अपने साथ एक किताब ले कर गए थे, जिसके पन्नों को काट कर उन्होंने बंदूक रखने की जगह बनाई थी। उन्होंने धैर्य के साथ सभी के भाषण खत्म होने का इंतजार किया और आखिर में मौका पाते ही किताब से बंदूक निकाल कर ड्वायर के सीने में धड़ाधड़ गोलियां दाग दीं। ड्वायर को दो गोलियां लगीं और मौके पर ही उनकी मौत हो गई।
ड्वायर की तत्काल मौत हो गई। इस दौरान तीन अन्य अधिकारी भी घायल हो गए, जिनमें भारत के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट भी शामिल थे। उधम सिंह का 21 साल लंबा इंतजार पल भर में खत्म हो गया, लेकन अभी उन्हें अपने साहस की सजा मिलनी बाकी थी। उन्हें तुरंत पकड़ कर हिरासत में ले लिया गया। उधम सिंह ने खुलेआम अपना गुनाह कबूल करते हुए लिखा कि,’मैंने उसे मारा क्योंकि मुझे उससे नफरत थी। वो इसी लायक था। मैं किसी समाज का नहीं। मैं किसी के साथ नहीं। मरने के लिए बूढ़े होने का इंतजार क्यों करना? मैं देश के लिए अपनी जान दे रहा हूं।’ केवल दो महीने चले मुकदमे के बाद 31 जुलाई, 1940 को उन्हें पेंटनविले जेल में फांसी दे दी गई।

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