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देश आपको कभी नहीं भूल सकता APJ Abdul Kalam
नई दिल्ली ,इंडिया विस्तार।आज 27 जुलाई डॉ. APJ Abdul Kalam की 5 वीं पुण्यतिथि है। भारत के वैज्ञानिक डॉ. APJ Abdul Kalam, इनके जैसा वैज्ञानिक पाना भारत के लिए गर्व की बात रही। उन्होंने कई वैज्ञानिक खोजें थी जिनमें इन्होंने अपना सहयोग प्रदान किया और भारतीय विज्ञान के पन्नों में अमर हो गए। भूतपूर्व राष्ट्रपति स्व. डॉ कलाम जी भारत के नौजवानों के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं। उन्हें “मिसाइल मैन” भी कहा जाता है। उनका न्यूक्लियर हथियारों के क्षेत्र में योगदान यह नाम रखने के पीछे कारण था। इन्होंने डॉ कलाम ने देश के लिए कई मिसाइल्स बनायी और वैज्ञानिक क्षेत्र में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया, यही कारण है की अब भी उन्हें मिसाइल मैन के नाम से ही जाना जाता है।
हर साल एपीजे अब्दुल कलाम के जन्मदिन पर पूरी दुनिया में 15 अक्तूबर का दिन विश्व छात्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।
26 मई 2005 को कलाम ने स्विट्जरलैंड का दौरा किया था। इसके बाद से उस दिन को स्विट्जरलैंड में ‘विज्ञान दिवस’ (Science Day) के रूप में मनाया जाने लगा।
कलाम ने सादगी, मितव्ययिता और ईमानदारी की कई अनुकरणीय मिसालें छोड़ी हैं। ये प्रेरणा भी हो सकती हैं और आईना भी।
एक बार APJ Abdul Kalam के कुछ रिश्तेदार उनसे मिलने राष्ट्रपति भवन आए। कुल 50-60 लोग थे। स्टेशन से सब को राष्ट्रपति भवन लाया गया जहां उनका कुछ दिन ठहरने का कार्यक्रम था। उनके आने-जाने और रहने-खाने का सारा खर्च कलाम ने अपनी जेब से दिया। संबंधित अधिकारियों को साफ निर्देश था कि इन मेहमानों के लिए राष्ट्रपति भवन की कारें इस्तेमाल नहीं की जाएंगी। यह भी कि रिश्तेदारों के राष्ट्रपति भवन में रहने और खाने-पीने के सारे खर्च का ब्यौरा अलग से रखा जाएगा और इसका भुगतान राष्ट्रपति के नहीं बल्कि कलाम के निजी खाते से होगा।एक हफ्ते में इन रिश्तेदारों पर हुआ तीन लाख चौवन हजार नौ सौ चौबीस रुपये का कुल खर्च देश के राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने अपनी जेब से भरा था।
अपना कार्यकाल पूरा करके कलाम जब राष्ट्रपति भवन से जा रहे थे तो उनसे विदाई संदेश देने के लिए कहा गया। उनका कहना था, ‘विदाई कैसी? मैं अब भी एक अरब देशवासियों के साथ हूं।’
इसी तरह एक बार APJ Abdul Kalam आईआईटी (बीएचयू) के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि बनकर गए थे। वहां मंच पर जाकर उन्होंने देखा कि जो पांच कुर्सियां रखी गई हैं उनमें बीच वाली कुर्सी का आकार बाकी चार से बड़ा है। यह कुर्सी राष्ट्रपति के लिए ही थी और यही इसके बाकी से बड़ा होने का कारण भी था। कलाम ने इस कुर्सी पर बैठने से मना कर दिया। उन्होंने वाइस चांसलर (वीसी) से उस कुर्सी पर बैठने का अनुरोध किया। वीसी भला ऐसा कैसे कर सकते थे? आम आदमी के राष्ट्रपति के लिए तुरंत दूसरी कुर्सी मंगाई गई जो साइज में बाकी कुर्सियों जैसी ही थी।
आज कलाम नहीं हैं। फिर भी वे एक अरब देशवासियों के साथ हैं। उनके ये किस्से आज भी कइयों को प्रेरणा देने का काम कर रहे हैं।