नई दिल्ली, इंडिया विस्तार। एक शख्स को पैसे की जरूरत थी। इस कमी को पूरी करने के लिए उसने अपनी ही सगी भतीजी को किडनैप करने की साजिश रची। किडनैप की सुपारी दो लोगों को दी गई। लेकिन चार साल की मासूम बच्ची का अपहरण ना केवल नाकाम हो गया बल्कि पुलिस ने सभी बदमाशों को गिरफ्तार भी कर लिया है। मामला पूर्वी दिल्ली के शकरपुर का है।
जानकारी के मुताबिक 21जुलाई को पुलिस स्टेशन शकरपुर में एक बच्ची के अपहरण के प्रयास के बारे में एक सूचना मिली। मौके पर पहुंचने पर पता चला कि मासूम बच्ची का अपहरण करने की कोशिश करने वाला शख्स मोटरसाइकिल छोड़कर फरार हो गया। मोटरसाइकिल के साथ एक काले रंग का बैग भी था जिसमें देशी पिस्टल औऱ कारतूस पड़े हुए थे। मामले को सुलझाने के लिए एसीपी वीरेंद्र कुमार शर्मा की देखरेख मे शकरपुर एसएचओ इंस्पेक्टर संजीव शर्मा, के नेतृत्व में SI मनीष, SI मुकेश, कांस्टेबल नवीन, अरुण और विक्रांत की टीम बनाई गई। मामले पर डीसीपी जसमीत सिंह गहरी नजर बनाए हुए थे। चेसिस नंबर और इंजन नंबर की मदद से जांच के दौरान पता लगा कि मोटरसाइकिल धीरज नाम के शख्स का है। पुलिस धीरज के घर पहुंची, जहां यह पता चला कि धीरज ने 5 साल पहले किराए का मकान खाली कर दिया था। फिर पता लगा कि वह कृष्ण नगर, दिल्ली में रहता है, वहां पुलिस टीम पहुंची और पाया कि धीरज अपने माता-पिता से अलग रह रहा है ।
पुलिस टीम ने उससे सघन पूछताछ की। धीरज ने पुलिस को बताया कि अपहरण की साजिश बच्ची के सगे चाचा उपेन्द्र उर्फ बिट्टू ने रची थी। उसने धीरज और बब्बर और मधुपाल के साथ मिलकर अपने असली भाई तरुण गुप्ता की लड़की का अपहरण करने की साजिश रची। पुलिस टीम ने उपेंद्र उर्फ़ बिट्टू को गिरफ्तार किया। उसने खुलासा किया कि वह धन की भारी कमी में था। तरुण को उसके चाचा ने 15 साल की उम्र में गोद लिया था क्योंकि उसका कोई बेटा नहीं था। तरुण अपने चाचा का सारा बिज़नेस संभाल रहा था। इसलिए उसके पास पैसे थे। उम्मीद थी कि उससे मोटी रकम फिरोती के रूप में मिलेगी। इसलिए अपहरण की साजिश रची गई।