सदर बाज़ार की तंग गलियों में रोज़ की तरह कारोबार चल रहा था। दुकानों में असली दवाओं के बीच वही ट्यूब रखी थीं, जिन पर डॉक्टर और मरीज भरोसा करते हैं। नाम वही, पैकिंग वही, कीमत भी वही। फर्क सिर्फ इतना था कि अंदर की दवा नकली थी। और इसी नकली भरोसे पर टिका था करोड़ों का धंधा।
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच साइबर सेल को जब इस खेल की भनक लगी, तब शायद खुद आरोपी भी अंदाज़ा नहीं लगा पाए थे कि उनका नेटवर्क जल्द ही बेनकाब होने वाला है।
भरोसेमंद सूचना, फिर सटीक निगरानी
साइबर सेल को मिली सीक्रेट जानकारी साधारण नहीं थी। इसके बाद ग्राउंड-लेवल इंटेलिजेंस, टेक्निकल सर्विलांस और लगातार निगरानी शुरू हुई। कड़ियां जुड़ती गईं और निशाना साफ होता गया।
डीसीपी आदित्य गौतम को सुनेंः
तेलीवाड़ा, सदर बाज़ार।
सदर बाज़ार में रेड और चौंकाने वाला खुलासा
रेड के दौरान जो सामने आया, वह सिर्फ कानून का मामला नहीं था, बल्कि सीधा आम लोगों की सेहत पर हमला था।
साइबर सेल ने भारी मात्रा में नकली Schedule-H ऑइंटमेंट बरामद कीं, जिनमें:
- बेटनोवेट-C
- क्लॉप-G
जैसी दवाएं शामिल थीं। ये वही दवाएं हैं, जो स्किन एलर्जी, सूजन और स्पोर्ट्स इंजरी में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होती हैं। मतलब साफ था, नकली दवाएं सीधे मरीजों तक पहुंच रही थीं।
दो चेहरे, लेकिन नेटवर्क बड़ा
जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ी, दो नाम सामने आए:
- गौरव भगत, लोनी, गाजियाबाद
- श्री राम उर्फ विशाल गुप्ता, दिल्ली
पूछताछ में साफ हो गया कि मामला सिर्फ री-पैकेजिंग तक सीमित नहीं है। नकली दवाएं यहीं नहीं बन रहीं थीं।
गाजियाबाद की फैक्ट्री, जहां बन रहा था नकली इलाज
फॉलो-अप इंटेलिजेंस टीम को लोनी के मीरपुर हिंदू गांव तक ले गई। यहां एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट चुपचाप नकली दवाओं का उत्पादन कर रही थी।
ड्रग इंस्पेक्टर और फार्मा कंपनियों के ऑथराइज्ड प्रतिनिधियों की मौजूदगी में जब यूनिट की तलाशी ली गई, तो वहां से:
- तैयार नकली दवाएं
- पैकिंग मटीरियल
- कच्चे केमिकल
- मैन्युफैक्चरिंग मशीनरी
बरामद हुई।
✔️ ड्रग अथॉरिटी की पुष्टि: दवाएं पूरी तरह फर्जी
दिल्ली और उत्तर प्रदेश के ड्रग इंस्पेक्टरों ने मौके पर सैंपल लेकर जांच की। नतीजा साफ था।
ये दवाएं न तो किसी अधिकृत कंपनी ने बनाई थीं, न सप्लाई की थीं। आरोपियों के पास ऐसा कोई लाइसेंस भी नहीं था, जो उन्हें दवा बनाने या बेचने की इजाज़त देता हो।
अब निशाने पर पूरी सप्लाई चेन
क्राइम ब्रांच की नजर अब सिर्फ गिरफ्तार आरोपियों तक सीमित नहीं है।
सेलर्स, डिलीवरी हैंडलर्स, होलसेलर्स और इस रैकेट से फायदा उठाने वाले हर कड़ी की पहचान की जा रही है। कई जगहों पर आगे भी रेड की तैयारी है।
ऑपरेशन के पीछे की टीम
क्राइम ब्रांच के डीसीपी आदित्य गौतम के मुकाबिक पूरे ऑपरेशन को एसीपी अनिल शर्मा की निगरानी औऱ इंस्पेक्टर मंजीत कुमार के नेतृत्व में SI परवेश, ASI कंवरपाल, HC विपिन, मनीष, विनोद, सोहनपाल, राजेश, अनुज और Ct. सचिन ने अंजाम दिया।










