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AI ने साइबर क्राइम का रुप पूरी तरह से बदल दिया है। इसके दूसरे शब्दों में यूं कहा जा सकता है कि AI ने साइबर क्राइम को बढ़ाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। पहले जो हमले मैनुअल और अवसरवादी थे, अब वे स्वचलित और मापनीय बन चुके हैं। डाटा चोरी होने के बाद नकली चीज भी असली की तरह दिखाई देती है।
AI ने ऐसे बदला साइबर क्राइम को
- Synthetic identities: AI चुराए गए डेटा और डिपफेक तकनीक का उपयोग करके बेहद असली दिखने वाले नकली व्यक्ति बना सकता है।
- Phishing at scale: Generative AI ultra-personalized emails तैयार करता है, जिसमें टोन, logos, और यहां तक कि आवाज़ की नकल शामिल होती है, ताकि फिल्टर भी पकड़ ना सके।
- Repeaters & botnets: हमलावर AI-driven bots का इस्तेमाल करते हैं जो बार-बार slight variations के साथ defenses को test करते हैं और पारंपरिक पहचान के तरीकों को चकमा दे देते हैं।
- Malware evolution: AI ऐसे self-learning malware को सक्षम बनाता है जो real-time में खुद को बदलकर एंटी वायरस से बच जाता है।
ये तकनीकें basic defenses जैसे firewalls और rule-based fraud detection को overwhelm कर देती हैं, जिससे organizations को AI-powered countermeasures अपनाने पड़ते हैं।
Quantum Computers & Encryption Risk
Quantum computing अब केवल सैद्धांतिक नहीं रही — यह व्यवहारिक उपयोग की ओर बढ़ रही है। और जब ये तैयार हो जाएंगी, तब ये RSA और ECC जैसे widely-used encryption protocols को break कर सकती हैं: - Why? Quantum algorithms (जैसे Shor’s) बड़े prime numbers को classical computers की तुलना में exponentially faster तरीके से factor कर सकते हैं।
- What’s vulnerable? TLS (जो HTTPS में use होता है), VPNs, digital signatures, और यहां तक कि blockchain systems।
- When? अनुमान अलग-अलग हैं — कुछ कहते हैं 2035 तक, तो कुछ चेतावनी देते हैं कि rapid breakthroughs के कारण यह और जल्दी हो सकता है।
“Harvest Now, Decrypt Later” Attacks
यह हिस्सा वाकई डरावना है: - हमलावर पहले से ही encrypted data — जैसे emails, financial records, और health info — जमा कर रहे हैं, उन्हें पता है कि वे अभी crack नहीं कर सकते।
- लेकिन जैसे ही quantum computers तैयार हो जाएंगी, वे इस डेटा पर वापसी करेंगे और उसे retroactively decrypt कर देंगे।
- Targets में governments, banks, healthcare systems, और लंबे समय तक संवेदनशील data रखने वाले individuals शामिल हैं।
यह रणनीति एक time bomb जैसा है — आज जो डेटा secure लगता है, वह वर्षों बाद खुल सकता है।
समाधान क्या है? - Post-quantum cryptography (PQC): NIST ऐसे नए algorithms को standardize कर रहा है जो quantum attacks के प्रति प्रतिरोधी हों।
- Crypto-agility: Systems को encryption methods को तेजी से बदलने योग्य होना चाहिए, जैसे-जैसे threats evolve करें।
- AI vs. AI: वास्तविक समय में fraud detect करने और नए attack patterns के साथ adapt करने के लिए defensive AI tools को deploy किया जा रहा है।
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