नई दिल्ली, इंडिया विस्तार। शांत, सुलझे और स्पष्ट स्वभाव वाले जगत प्रकाश नड्डा आज औपचारिक रूप से बीजेपी के 14 वें अध्यक्ष की कुर्सी संभाल लेंगे। पटना में जन्मे और बीए तक की पढाई पटना में ही करने वाले जे पी नड्डा छात्र जीवन में ही एवीबीपी से जुड़ गए थे। पहली बार 1993 में हिमाचल से विधायक बने थे।
उनका निर्वाचन आम सहमति से हो रहा है। ताजपोशी से पहले राजधानी में देश के कई राज्यों के कार्यकर्ताओं ने डेरा डाल दिया है। सोमवार को ही पार्टीशासित सभी राज्यों के सीएम, डिप्टी सीएम, केंद्रीय मंत्री, केंद्रीय संगठन से जुड़े नेता, राज्यों के अध्यक्ष और संगठन मंत्री राजधानी पहुंचे। दोपहर बाद नड्डा को अध्यक्ष निर्वाचित होने की घोषणा की जाएगी।
परीक्षा
पर चर्चा के बाद पीएम दोपहर बाद पार्टी मुख्यालय पहुंचेंगे। निर्वाचण प्रक्रिया
पूर्ण होने के बाद पीएम मुख्यालय में ही कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे। पार्टी
सूत्रों का कहना है कि नड्डा अपनी नई टीम का गठन दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद
करेंगे। नई टीम में बड़े बदलाव की जगह उनकी प्राथमिकता रिक्त पदों को भरने की
होगी।
जेपी आंदोलन से
सुर्खियों में आए थे नड्डा
जेपी आंदोलन से
सुर्खियों में आए जगत प्रकाश नड्डा के अध्यक्ष बनने के साथ ही पहली बार भाजपा की
कमान हिमाचल का कोई नेता संभालेगा। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के अलावा नवनियुक्त
प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल समेत तकरीबन सभी बड़े नेताओं ने दिल्ली में डेरा
डाल दिया है। वहीं, नड्डा के परिवार के सदस्य और रिश्तेदार भी दिल्ली
पहुंच गए हैं।
जेपी नड्डा 1977 से 1979 तक रांची में रहे।
उनके पिता रांची विश्वविद्यालय के कुलपति व पटना विवि के प्रोफेसर रहे। 1975 में जेपी आंदोलन में
भाग लेने के बाद जगत प्रकाश नड्डा बिहार में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में
शामिल हुए।
1977 में छात्र संघ का चुनाव लड़ा और सचिव बने थे।
पटना से स्नातक के बाद नड्डा ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई
की। 1983 में पहली बार हिमाचल
प्रदेश विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव में वह विद्यार्थी परिषद के अध्यक्ष चुने
गए।
भाजपा के राष्ट्रीय
अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचने वाले जगत प्रकाश नड्डा 1993 में हिमाचल विधानसभा
चुनाव लड़ने के बाद भाजपा विधायक दल के नेता बने थे। 1998 में विधानसभा चुनाव
जीतने के बाद नड्डा को पार्टी सीएम बनाना चाह रही थी लेकिन उनके पीछे हटने से
प्रेम कुमार धूमल का नाम प्रस्तावित किया गया। 2009 में मंत्री पद छोड़कर वह दिल्ली चले गए।