एक कलाकार मां ने इस तरह दी अपने कलाकार बेटे को अंतिम विदाई

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पूनम तिवारी प्रख्यात लोक कलाकार हैं। उनके बेटे सूरज का निधन हो गया। सूरज भी कलाकार थे. जब सूरज अंतिम सफर पर निकले तो पूनम ने उनका पसंदीदा गाना गाकर विदा किया। इस वाकये ने सबको निशब्द कर दिया है

मयंक

रायपुर।न तो इस मां की व्यथा सुनाने के लिए हमारे पास शब्द हैं और न कुछ लिख पाने की हिम्मत। बस इतना जान लीजिए कि इस मां की आत्मा जितना अपने बेटे को खोने के दर्द में रो रही है, उतना ही उसका कंठ तकलीफ में गा रहा है कि वो अपने बेटे को अंतिम बार उसका पसंदीदा गाना सुना पाए।

पूनम तिवारी प्रख्यात लोक कलाकार

अपने जिगर के टुकड़े को अपने आंचल में लेकर 22 देशों का सफर करने वाली मां जब उसे मृत्यु शय्या पर पर देखे, तो उसकी दशा क्या हो सकती है यह अनुमान लगाना भी मुश्किल है। लेकिन इससे भी कहीं ज्यादा मुश्किल है अपने जिगर के टुकड़े को उसकी पसंद के गीत सुना कर अंतिम विदाई देना। भावुक कर देने वाला ये क्षण था थियेटर की दुनिया की जानी-मानी हस्ती पूनम विराट के घर का. उनके बेटे सूरज तिवारी की मृत्यु हो गयी और अंतिम सफर पर निकलने से पहले पूनम ने उन्हें गाना गाकर विदाई दी। पूनम ने सूरज की पसंद का गीत गाया।

छत्तीसगढ़ लोक कला संस्कृति के थिएटर की जानी मानी हस्ती पूनम विराट के बेटे सूरज तिवारी का निधन शनिवार को हो गया। सूरज की अंतिम विदाई भी कई लोगों को झकझोर गई। मां पूनम तिवारी ने अपने बेटे को लोक गीत-संगीत के साथ अंतिम विदाई दी। मां होते हुए भी अपने पुत्र के जाने के दर्द को दिल के एक कोने में समेट कर उन्होंने पुत्र की इच्छा पूरी की।

पूनम तिवारी ने गीत संगीत के साथ ‘चोला माटी के राम एकर का भरोसा, चोला माटी के राम लोकगीत को अपनी आवाज में गा कर विदाई दी’

लोक कला को जीवित रखने के लिए संघर्षरत है परिवार

पूनम विराट थिएटर की कलाकार हैं। हबीब तनवर के साथ देश विदेशों में थिएटर कर चुकी पूनम छत्तीसगढ़ लोक कला और संस्कृति की धरोहर हैं। उनके पुत्र सूरज तिवारी भी छत्तीसगढ़ लोक कला मंच के जबरदस्त कलाकार थे। संगीत, गीत और मंच को लेकर पूरा परिवार समर्पित रहा है। इस बीच सूरज का हृदयघात से निधन हो गया। इस बात से पूरा परिवार स्तब्ध है। परिवार के किसी भी सदस्य को यकीन नहीं हो रहा है कि वह अब इस दुनिया में नहीं हैं। वहीं उनकी अंतिम विदाई को भी उनकी मां पूनम विराट ने कुछ इस कदर की कि उसे कोई नहीं भूल सकता।

अधूरी रह गई अंतिम इच्छा

सूरज तिवारी की अंतिम इच्छा थी कि वे छत्तीसगढ़ी में शहीद वीर नारायण सिंह पर फिल्म तैयार करें। इसके लिए वे कुछ दिनों से संघर्षरत थे। लगातार फिल्म तैयार करने के लिए वे अलग-अलग लोगों से संपर्क कर रहे थे। फिल्म तैयार करने के लिए कलाकारों के साथ प्रोड्यूसरों से भी संपर्क साध रहे थे। उनकी अंतिम इच्छा थी कि वह खुद इस फिल्म को तैयार करें और छत्तीसगढ़ के लोगों को शहीद वीर नारायण सिंह के जीवन से अवगत कराएं।

शब्दों में बयां नहीं कर सकते दर्द

सूरज तिवारी के मित्र पी कलिहारी का कहना है कि आज लोक कलाकार सूरज तिवारी को जिस तरीके से उनकी मां पूनम विराट ने विदाई दी है, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। लोक कलाकारों की पूरी फौज आज उनके अंतिम बेला में शामिल हुई लेकिन जो गाने सूरज तिवारी को पसंद थे, वो उनकी मां पूनम ने गाए।

अलग दुनिया में खो जाते थे मां-बेटे

पूनम विराट का कहना है कि सूरज तिवारी बहुत ही जीवट कलाकार थे और एक कलाकार होने के नाते उसे अंतिम विदाई गाकर ही दी जा सकती थी। उन्होंने कहा कि, ‘एक मां होने के बाद भी मैंने अपने दर्द को एक किनारे रख कर एक कलाकार होने के नाते अपने पुत्र को अंतिम विदाई दी है’। उनका कहना है कि, ‘सूरज तिवारी टीम का लीडर रहा है. वह काफी मजे लेकर गाता और बजाता था। जब हम मां और बेटे एक साथ गाते और बजाते थे, तो अलग ही दुनिया में खो जाते थे। कभी महसूस नहीं होता कि एक मां और एक बेटे की भूमिका में हैं इसलिए सूरज को अंतिम विदाई शब्द या आंसू से नहीं बल्कि संगीत से दी जा सकती थी। मैंने अपने मां होने के दर्द को दिल में समेटकर सूरज को संगीत से अंतिम विदाई दी है ताकि उसे भी यह महसूस ना हो कि मुझे अंतिम विदाई संगीत से नहीं दी गई’।

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