अब देश में कहीं भी कार्यकारी डीजीपी नियुक्त नहीं होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और सभी राज्यों को आदेश दिया है की वो कहीं भी एक्टिंग डीजीपी नियुक्त नहीं करें ये कदम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन होगा कोर्ट ने कहा है कि राज्य, पद रिक्त होने से तीन महीने पहले यूपीएससी को टॉप आईपीएस अफसरों की सूची भेजेंगे राज्य उसी अफसर को डीजीपी बनाएंगे जिसका कार्यकाल दो साल से ज्यादा का होगा । सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य कोर्ट के आदेशों का दुरुपयोग कर रहे हैं ग़ौरतलब है की2006 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि डीजीपी का कार्यकाल कम से कम दो साल होगा।
एडवोकेट जनरल के वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया कि ज्यादातर राज्य रिटायर होने की कगार पर पहुंचे अफसरों को एक्टिंग डीजीपी नियुक्त करते हैं और फिर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देकर नियमित डीजीपी बना देते हैं क्योंकि इससे अफसर को दो साल और मिल जाते हैं।
सिर्फ पांच राज्य तमिलनाडु, आंध्रा, राजस्थान, तेलंगाना और कर्नाटक ने ही 2006 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक DGP की नियुक्ति के लिए यूपीएससी से अनुमति ली है जबकि 25 राज्यों ने ये नहीं किया ।
पुलिस सुधार पर दिया गया आदेश लागू नहीं करने पर दायर कि गई अवमानना याचिका कि सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। याचिका में कहा गया है कि साल 2006 में पुलिस सुधार पर दिए गए अदालत के आदेश को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अभी तक लागू नहीं किया है।अदालत ने डीजीपी और एसपी का कार्यकाल तय करने जैसे कदम उठाने की सिफारिश कि थी।
साल 2006 में प्रकाश सिंह के मामले में अदालत द्वारा दिए गए आदेश को लागू नहीं किया गया है। अश्वनी उपाध्याय ने मॉडल पुलिस बिल 2006 को भी लागू करने की मांग की। पूर्व अटार्नी जनरल सोली सोराबजी कि अध्यक्षता वाली समिति ने इस बिल का मसौदा तैयार किया था। उपाध्याय के अलावा पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह ने भी 2014 में अवमानना याचिका दायर कि थी।
पूर्व डीजीपी ने 1996 में जनहित याचिका दायर कि थी। जिसके कारण पुलिस सुधार बिल को तैयार किया गया था। अदालत ने प्रकाश सिंह और दूसरे डीजीपी एनके सिंह कि याचिका पर 2006 में निर्देश दिया था। इसमें राज्य सुरक्षा अयोग का गठन किया जाना भी शामिल था।