नई दिल्ली, इंडिया विस्तार। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने खलिस्तान लिबरेशन फ्रंट के एक मॉडयूल का भंडाफोड़ किया है। पुलिस के मुताबिक यह माडयूल पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर कई राज्यों में कत्लेआम औऱ जबरन वसूली की साजिश रच रहा था। इनके निशाने पर शिवसेना नेता सहित कम से कम तीन लोग थे। इस मॉडयूल के तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके कब्जे से 3 पिस्टल औऱ कारतूस भी बरामद किए गए।
स्पेशल सेल के डीसीपी संजीव कुमार यादव के मुताबिक इन्हें एसीपी जसबीर सिंह औऱ इंस्पेक्टर पंकज कुमार की टीम ने गिरफ्तार किया है। पकड़े गए लोगो के नाम मोहिन्दर पाल सिंह, गुरतेज सिंह और लवप्रीत है। इनके कब्जे से कई कागजात औऱ कई तरह के वीडियो भी बरामद हुए हैं।
पुलिस के मुताबिक मोहिन्दर पाल सिंह के बारे में गुप्त सूचना मिली थी कि वह दिल्ली में आतंकी गतिविधि को अंजाम देना चाहता है। इस सूचना के आधार पर हस्तसाल के पास 15 जून को जाल बिछा कर मोहिन्दर को दबोचा गया। पूछताछ में उसने बताया कि वह जम्मू काश्मीर के बारामूला का रहने वाला है। उसके पास से पुलिस को पिस्टल बरामद हुआ। उसकी निशानदेही पर पंजाब के सामना से लवप्रीत को गिरफ्तार किया गया उसके पास से भू दो तमंचे और 5 कारतूस बरामद हुए।इन दोनों की निशानदेही पर पुलिस ने पंजाब के मंसा से गुरतेज को गिरफ्तार किया। पूछताछ में तीनो ने खलिस्तान लिबरेशन फ्रंट के नेताओं से संपर्क होने की बात कही और कहा कि आईएसआई के इशारे पर कुछ लोगों की हत्या और एक्सटार्शन की साजिश की गई थी।
पुलिस के मुताबिक गुरतेज का जन्म 1979 में असम में हुआ था। उसके पिता सेना में सूबेदार थे। वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के अबदुल्ला और प्रतिबंधित सिक्ख फार जस्टिस के अवतार सिंह पन्नू और हाफिज सईद के करीबी गोपाल सिंह चावला के संपर्क में था। 2019 में वह चंडीगढ़ में नारायण सिंह चौरा से मिला और खलिस्तान आंदोलन में अपना योगदान देने की इच्छा जताई। इसके बाद गुरतेज सिंह को हवारा की 21 सदस्यीय कमेटी में शामिल किया गया। इसके बाद वह युवाओं को इस आंदोलन में शामिल करने के लिए फुसलाने लगा। लवप्रीत सहित अब तक वह पांच युवाओं को इस आंदोलन में शामिल कर चुका था।
पूछताछ में उसने बताया कि राम रहीम के एक समर्थक के अलावा अमृतसर के शिव सेना नेता और जगतार सिंह हवारा को थप्पर मारने वाले शख्स की पहचान कर चुका था। इसके अलावा उसने अपनी स्थानीय जानपहचान से पिस्टल का इंतजाम कर लिया था और दो कारोबारियों से दस लाख रुपये वसूलने की भी योजना थी।
आईएसआई एजेंट अबदुल्ला ने उसे युवाओं को शामिल करने का निर्देश दिया था। उसने उसे एके 47 देने का वादा भी किया था। इसके बाद लवप्रीत और दूसरो को पाकिस्तान में ट्रेनिंग देने की भी साजिश थी। इसके लिए वह तरन तारन इलाके से बार्डर पार करने वाले थे। इसके बाज पेशावर के पास बने आईएसआई ट्रेनिंग सेंटर में उनका प्रशिक्षण होता।
लॉकडाउन की वजह से उनका प्लान अभी सफल नहीं हो पाया था। मोहिन्दर पाल का जन्म बारामूला में 1991 में हुआ था। 2007 में वह दिल्ली पढाई करने आया लेकिन स्कूल में फेल हो गया। 2013 में गुरबख्स सिंह खालसा ने मोहाली में 6 सिक्खों की रिहाई के लिए 44 दिन की भूख हड़ताल की थी। मोहिन्दर भी भूख हड़ताल में शामिल होने गया और उसके बाद से खलिस्तान समर्थक गतिविधियों में शामिल होने लगा। जगतार सिंह हवारा और दया सिंह लोहिया की सुनवाई के दौरान वह पटियाला हाउस कोर्ट भी जाता रहा जहां उसका संपर्क केएलएफ के तत्कालीन भारतीय अध्यक्ष हरमिंदर सिंह मिंटो और मेरठ निवासी तिरथ सिंह से भी हुआ। तिरथ सिंह ने उसे बताया कि वह केएलएफ चीफ हरमीत सिंह उर्फ हैप्पी के संपर्क में भी है जो पाकिस्तान में रहकर आईएसआई के इशारे पर भारत में कत्लेआम करने की साजिश रच रहा है। इसके लिए मोहिन्दर को एक तमंचे का इंतजाम करना था। हरमीत की मौत के बाद मोहिन्दर केएलएफ के गुरूशरणवीर सिह के संपर्क में आया।