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यह सत्य कहानी है लॉकडाउन के दौरान दो परिवारों को मिली बेइम्तहान ख़ुशी की । हुआ यूँ कि उत्तर प्रदेश में फ़तेहपुर निवासी अरूण कुमार पेशे से सामन्य चिकित्सक हैं । 2 जुलाई 2020 तारीख़ को वो घर से अपने क्लिनिक निकले।
तभी उन्हें रास्ते में घर से 3 किलोमीटर की दूरी पर एक पर्स मिला। उस पर्स में ₹5000 नकदी व ड्राइविंग लाइसेंस और जरूरी कागजात थे। जिससे कभी सोचते अपने पास रख लू कभी सोचते लोटा दू। कहते है न बुराई पर हमेशा अच्छाई की जीत होती है। और ऐसा ही अरुण कुमार जी के साथ हुआ। उन्होंने वह पर्स लौटाने का फैसला किया।
उन्होंने सोचा की लॉकडाउन का वक्त चल रहा है। इस समय हर व्यक्ति परेशान है। किसी गरीब व्यक्ति के लिए 5000 रूपये बहुत होते हैं और ड्राइविंग लाइसेंस भी बहुत मुश्किल से बनता उन्होंने ड्राइविंग लाइसेंस पर उनका नाम और पता देखा। व्यक्ति का नाम सुनील शुक्ला था। उनका घर शिव कुटी गांव में था जो इलाहबाद में पड़ता था। जो की अरुण जी के घर से काफी दूर था। सुनील शुक्ला जो कि एक अध्यापक है दरिया पुर प्राथमिक विद्यालय में टीचर है।
उन्होंने उस पर्स की जानकारी फेसबुक पर डालने की सोची क्योंकि फेसबुक बहुत बड़ा नेटवर्क है। अरुण कुमार ने सुबह 9 बजे पोस्ट डाला और साथ ही अपना फ़ोन नंबर भी शेयर कर दिया । उनका यह पोस्ट बहुत ही तेजी से वायरल हुआ और 24 घंटे के अंदर ही पीड़ित व्यक्ति के पास पहूँच गया और रात के 11 :30 बजे कॉल आई ।
अरुण जी का कहना है”वह व्यक्ति जिसका वह पर्स था। वह बहुत परेशान था और बिना खाए पिए ही सो गया था। तभी शुक्ला जी की पत्नी ने वायरल पोस्ट देखा। फिर तुरंत अपने पति को उठाया और मुझसे रात के 11:30 बजे बात की। “उसके बाद ही उस व्यक्ति ने खाना खाया और चैन की सांस ली। अगले दिन सुबह 10 बजे शुक्ला जी को 5000 रूपये व drive license दोनो दे दिया। अरुण कहते है ” वे बहुत ही सरल स्वभाव के व्यक्ति हैं जो पुरी ईमानदारी से बच्चों को पढाते है ये उनकी मेहनत का पैसा जो उनको मिलना चाहिए था। शुक्ला जी की ख़ुशी उनके लिए रुपयों से ज्यादा थी। “
आज के समाज में हमे ऐसे लोगो की बहुत जरूरत है जो स्वार्थी न होकर दूसरे की मदद का सोचते है।