combodia से चल रहे दो स्कैम को जानना आपके लिए भी जरुरी है। combodia से संचालित इन दो स्कैम की वजह से भारतीय नागरिकों पर साइबर खतरा मंडरा रहा है। मीडिया अभियानों और सार्वजनिक चेतावनियों के बावजूद, combodia से उत्पन्न दो परिष्कृत प्रकार की ठगियाँ भारत में लोगों की ज़िंदगियाँ तबाह कर रही हैं।
combodia से चल रही हैं ये ठगियां
कंबोडिया से चल रही ठगी का शिकार विशेष रूप से आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में बन रहे हैं। ये ठगियाँ न केवल आर्थिक रूप से विनाशकारी हैं, बल्कि मानसिक रूप से भी शोषणकारी हैं, जो विश्वास, डर और डिजिटल कमजोरियों का फायदा उठाती हैं। आइए बताते हैं आपको इन दो ठगियों के बारे में। 1. पिग बचरिंग स्कैम: धन का भ्रम
क्या है यह:
सूअर को काटने से पहले मोटा करने की प्रक्रिया से प्रेरित इस स्कैम में, ठग लंबे समय तक भावनात्मक रूप से पीड़ित को फर्जी निवेश प्लेटफॉर्म में फँसाते हैं।
प्रयोग की गई रणनीतियाँ:
• स्कैमर्स डेटिंग ऐप्स, व्हाट्सएप या लिंक्डइन पर प्रेमी या वित्तीय सलाहकार बनकर संपर्क करते हैं।
• वे पीड़ित को नकली ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म (अक्सर क्रिप्टो या फॉरेक्स) से परिचित कराते हैं, जहाँ झूठे मुनाफे दिखाए जाते हैं।
• पीड़ित को अधिक निवेश करने के लिए प्रेरित किया जाता है, लेकिन अंत में उनका पैसा फँस जाता है या गायब हो जाता है।
यह क्यों जारी है:
• ये ऑपरेशन कंबोडिया के साइबर क्राइम हब से चलाए जाते हैं, जहाँ अक्सर मानव तस्करी के शिकार लोग काम करने को मजबूर होते हैं।
• प्लेटफॉर्म पेशेवर दिखते हैं और असली एक्सचेंज की तरह प्रतीत होते हैं।
• पीड़ित शर्म और कानूनी डर के कारण चुप रहते हैं।
प्रभाव:
• प्रति पीड़ित ₹5 लाख से ₹5 करोड़ तक की हानि।
• भावनात्मक आघात और सामाजिक कलंक से नुकसान और बढ़ता है।
• कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ सीमा पार जांच में बाधाओं का सामना करती हैं।
2. डिजिटल अरेस्ट स्कैम: डर को हथियार बनाना
क्या है यह:
ठग खुद को पुलिस या सरकारी अधिकारी बताकर पीड़ित को डराते हैं कि वे किसी अपराध में शामिल हैं और गिरफ्तारी से बचने के लिए पैसे देने होंगे।
प्रयोग की गई रणनीतियाँ:
• पीड़ित को नकली पुलिस, सीबीआई या कूरियर कंपनियों से कॉल आती है।
• उन्हें बताया जाता है कि उनका आधार या बैंक खाता किसी अपराध से जुड़ा है।
• नकली वर्दी और जाली दस्तावेज़ों के साथ वीडियो कॉल से विश्वसनीयता बढ़ाई जाती है।
• पीड़ित को तुरंत पैसे ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया जाता है।
यह क्यों जारी है:
• स्क्रिप्ट इस तरह बनाई जाती हैं कि पीड़ित घबरा जाए।
• स्कैमर्स डिजिटल साक्षरता की कमी और अधिकारियों पर भरोसे का फायदा उठाते हैं।
• डर के कारण पीड़ित बिना पुष्टि किए पैसे भेज देते हैं।
प्रभाव:
• छात्र, पेशेवर और बुजुर्ग नागरिक मुख्य लक्ष्य हैं।
• पीड़ित अपनी जीवन भर की बचत, पेंशन या उधार लिया पैसा खो देते हैं।
• शर्म और डर के कारण कई लोग अपराध की रिपोर्ट नहीं करते।
⚠️ क्यों अभियान पर्याप्त नहीं हैं
मीडिया, साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों और सरकारी एजेंसियों के प्रयासों के बावजूद ये स्कैम लगातार बढ़ रहे हैं। इसके पीछे कारण हैं:
• स्थानीय जागरूकता की कमी: अभियान अक्सर क्षेत्रीय भाषाओं या सांस्कृतिक संदर्भों को नज़रअंदाज़ करते हैं।
• कम डिजिटल साक्षरता: कई उपयोगकर्ता प्लेटफॉर्म या कॉलर की पहचान की पुष्टि करना नहीं जानते।
• सीमा पार जटिलता: कंबोडिया के स्कैम सेंटर भारत की कानूनी पहुँच से बाहर हैं।
• भावनात्मक शोषण: पीड़ितों को चुप रहने के लिए मानसिक रूप से तैयार किया जाता है या धमकाया जाता है ।
क्या बदलाव ज़रूरी है
इस साइबर महामारी से लड़ने के लिए बहु-स्तरीय रणनीति आवश्यक है:
• अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म्स (जैसे Binance, Meta, टेलीकॉम प्रदाता) के साथ सहयोग कर स्कैम नेटवर्क को ट्रेस और ब्लॉक करें।
• मजबूत साइबर कूटनीति, जिससे कंबोडिया पर दबाव बनाया जा सके कि वह स्कैम हब को बंद करे।
• समुदाय आधारित रिपोर्टिंग सिस्टम, जो पीड़ितों को शर्म और प्रतिशोध से बचाते हैं।
• पूर्व-सक्रिय सेवा मॉडल, जो स्कैम बढ़ने से पहले ही उपयोगकर्ताओं को चेतावनी देते हैं।
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