safe city in india को cyber crime से मुक्त करने के लिए ये है सरकार की योजना

safe city in india को लेकर सरकार बहुत ही गंभीर है। safe city in india को cyber crime से मुक्त करने के लिए भी खास योजना पर सरकार का काम चल रहा है।

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safe city in india
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safe city in india को लेकर सरकार बहुत ही गंभीर है। safe city in india को cyber crime से मुक्त करने के लिए भी खास योजना पर सरकार का काम चल रहा है। इसके लिए हाल ही में हुई साइबर सुरक्षा की तैयारी पर हुई बैठक में कई अहम मुद्दे उठे। “हर शहर में एक चीफ इन्फॉर्मेशन सिक्योरिटी ऑफिसर (CISO) होना चाहिए, ताकि डेटा और सिस्टम को साइबर खतरे से सुरक्षित किया जा सके,” यह बात केंद्रीय गृह सचिव श्री गोविन्द मोहन ने भारत के शहरों की साइबर सुरक्षा तैयारी पर एक बैठक में कही।

safe city in india के लिए सतर्कता जरुरी

केंद्रीय गृह सचिव ने उपरोक्त बैठक में कहा कि “राज्य और शहर प्रशासन को साइबर खतरों को लेकर हमेशा सतर्क रहना चाहिए, अपने सिस्टम और नेटवर्क सुरक्षा की नियमित ऑडिट करनी चाहिए, और केवल परामर्शदाताओं पर निर्भर रहने के बजाय तकनीकी एकीकरण के लिए अपनी आंतरिक क्षमता विकसित करनी चाहिए।”
उन्होंने बाहरी निर्भरता से आंतरिक तैयारियों की ओर बदलाव पर भी जोर दिया:
“अब शहर साइबर सतर्कता को आउटसोर्स करने का जोखिम नहीं उठा सकते; उन्हें आंतरिक क्षमता चाहिए — CISO हमारी पहली रक्षा पंक्ति होंगे।”
एक शहर के CISO की भूमिका
• पूरे शहर में साइबर जोखिम प्रबंधन के लिए एकमात्र उत्तरदायी अधिकारी के रूप में कार्य करना।
• शहर के नेटवर्क पर लगातार कमजोरियों की जांच और पेनिट्रेशन टेस्टिंग करना।
• सभी विभागों में साइबर हाइजीन नीतियों को लागू करना और उनका पालन कराना (जैसे मजबूत प्रमाणीकरण, डेटा एन्क्रिप्शन)।
• स्थानीय पुलिस और आईटी टीमों के साथ मिलकर वास्तविक समय की निगरानी और इमरजेंसी रेस्पॉन्स ड्रिल का नेतृत्व करना।
• Stake holders को प्रशिक्षित करके और राज्य/राष्ट्रीय CERTs के साथ समन्वय करके आंतरिक क्षमता तैयार करना।
मुख्य लाभ
• साइबर हमलों का तेज़ी से पता लगाना और प्रतिक्रिया देना, जिससे आवश्यक सेवाओं में कम डाउनटाइम हो।
• परिवहन, यूटिलिटी, प्रॉपर्टी रिकॉर्ड जैसे क्षेत्रों में एक समान सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करना।
• नागरिकों की निजी जानकारी को सुरक्षित रखकर उनके भरोसे को मजबूत करना।
• कमियों को समय रहते पकड़कर बड़े रैनसमवेयर या डेटा लीक से बचना और दीर्घकालीन लागत घटाना।
• खुफिया एजेंसियों (जैसे IB, UIDAI) के साथ खतरे की जानकारी साझा करने में बेहतर सहयोग।

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