ai से दोस्ती ऐसे आपकी डिजिटल सुरक्षा के लिए है जरुरी

AI खतरों के युग में, केवल AI सुरक्षा ही डिजिटल सुरक्षा प्रदान कर सकती है। AI को हमारा दुश्मन नहीं बल्कि दोस्त बनाना चाहिए।

0
5
ai
ai
👁️ 14 Views

AI खतरों के युग में, केवल AI सुरक्षा ही डिजिटल सुरक्षा प्रदान कर सकती है। इसको हमारा दुश्मन नहीं बल्कि दोस्त बनाना चाहिए। AI ने साइबर अपराध को रफ्तार दे दी है, और हम इस नई चुनौती का सामना करने में अभी पीछे हैं। अब जब 80% से अधिक फ़िशिंग घोटाले AI की मदद से किए जा रहे हैं, तो खतरे का स्वरूप उस बुनियादी ढांचे से कहीं अधिक तेज़ी से विकसित हो चुका है जो इन्हें रोकने के लिए बनाया गया था।

ai की मदद ऐसे ले सकते हैं

साइबर क्राइम पुलिस स्टेशनों के लिए अत्यावश्यक उपकरण
AI-संचालित साइबर अपराध से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए, भारत भर के साइबर क्राइम थानों को इन उपकरणों की सख्त ज़रूरत है:

AI-आधारित खतरा पहचान प्रणाली
• मशीन लर्निंग द्वारा रियल-टाइम फ़िशिंग लिंक डिटेक्शन
• वित्तीय लेनदेन में व्यवहारिक विसंगतियों की पहचान
• डीपफेक और आवाज़ की नकल (voice cloning) पहचानने वाले टूल्स

  1. डिजिटल फोरेंसिक और लिंक विश्लेषण प्लेटफ़ॉर्म
    • Maltego या IBM i2 जैसे टूल्स से स्कैम नेटवर्क की मैपिंग
    • म्यूल अकाउंट्स और क्रिप्टो वॉलेट्स की ऑटोमेटेड ट्रेसिंग
    • सीमा-पार डिजिटल सबूतों का संग्रहण
  2. साइबर इंटेलिजेंस और मॉनिटरिंग डैशबोर्ड
    • AI-संचालित डैशबोर्ड से घोटालों के ट्रेंड्स और हॉटस्पॉट्स की निगरानी
    • डार्क वेब पर लीक किए गए डाटा और स्कैम किट्स की निगरानी
    • टाइपो-स्क्वाटिंग डोमेन की पहचान और ऑटोमेटेड रिमूवल सिस्टम
  3. तेज़ कार्रवाई वाला इन्फ्रास्ट्रक्चर
    • बैंकों और टेलीकॉम कंपनियों से तालमेल कर तुरंत अकाउंट फ्रीज़ करने की सुविधा
    • 1930 हेल्पलाइन के माध्यम से रीयल-टाइम अलर्ट सिस्टम
    • घटनास्थल पर जांच के लिए मोबाइल फोरेंसिक किट्स
  4. प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण
    • AI आधारित साइबर अपराध रणनीतियों पर विशेषज्ञ प्रशिक्षण
    • फ़िशिंग और सोशल इंजीनियरिंग की सिमुलेशन आधारित लर्निंग
    • पुलिस अकादमियों के लिए विशेष साइबर क्राइम पाठ्यक्रम
  5. जन-जागरूकता और सामुदायिक उपकरण
    • नागरिकों द्वारा रिपोर्टिंग व सत्यापन के लिए AI चैटबॉट
    • स्कूलों और ग्रामीण इलाकों में गेम आधारित जागरूकता अभियानों का संचालन
    • क्षेत्रीय भाषाओं में साइबर सुरक्षा शिक्षा
    केवल 2024 में ही भारत में ₹22,812 करोड़ की राशि साइबर अपराधों में खो चुकी है—यह आंकड़ा इस संकट की गंभीरता को स्पष्ट करता है। कुछ राज्यों जैसे गोवा ने AI टूल्स अपनाने की शुरुआत कर दी है, लेकिन अभी भी कई राज्यों के पास बुनियादी डिजिटल फोरेंसिक क्षमताएं भी नहीं हैं।

यह भी पढ़ेंः

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now