करतारपुर साहिब कॉरीडोर- कहां तक पहुंचा निर्माण कार्य जानें सच, देखें वीडियो

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आलोक वर्मा, नई दिल्ली। करतारपुर साहिब कॉरिडोर मसले पर एक तरफ जहां विचार विमर्श का दौर जारी है वहीं दूसरी तरफ विकास के सारे कामों की रफ्तार भी भारत की तरफ से जबरदस्त तेज कर दी गई है। 4-लेन डेरा बाबा नानक – करतारपुर गलियारा राजमार्ग पर पचास प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा हो चुका है तो पंजाब के डेरा बाबा नानक के यात्री टर्मिनल परिसर में निर्माण कार्य भी पूरे जोरों पर है।

करतारपुर साहिब कॉरिडोर के लिए पंजाब के डेरा बाबा नानक में 500 करोड़ रुपये के पैसेंजर टर्मिनल कॉम्प्लेक्स का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। निर्माण कार्य प्रतिष्ठित कंपनी एम/एस शापूरजी एवं पल्‍लोंजी प्राइवेट लि. द्वारा लैड पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया, गृह मंत्रालय की देखरेख में किया जा रहा है। नवंबर 2019 में श्री गुरु नानक देव जी की 550 वीं जयंती के उपलक्ष्य में इस परियोजना को 31 अक्टूबर तक पूरा किया जाएगा।
15 एकड़ जमीन पर पैसेंजर टर्मिनल कॉम्प्लेक्स बनाया जा रहा है। इसमें प्रतिदिन लगभग 5,000 यात्रियों को आसानी से गुजरने के लिए सभी सार्वजनिक सुविधाएं होंगी।
पैसेंजर टर्मिनल कॉम्प्लेक्स की विशेषताएं
1. पूरी तरह से वातानुकूलित इमारत 16000 वर्गमीटर (लगभग 13000 वर्गमीटर भूतल + 3000 वर्गमीटर मध्‍यतल)। मुख्य इमारत जो हवाई अड्डे की इमारतों के समान है: –
क) प्रतिदिन 5000 तीर्थयात्रियों की यात्रा की सुविधा के लिए 54 अप्रवासी काउंटर।
ख) 2000 तीर्थयात्रियों के बैठने की पर्याप्त बैठने की क्षमता।
ग) सभी आवश्यक सार्वजनिक सुविधाएं जैसे कियोस्क, वॉशरूम, चाइल्ड केयर, प्राथमिक चिकित्सा सुविधा, प्रार्थना कक्ष और मुख्य भवन के अंदर स्नैक्स काउंटर।
घ। 10 बसों, 250 कारों और 250 दो पहिया वाहनों के लिए विशाल पार्किंग स्थल।
च) सीसीटीवी निगरानी और पब्लिक एड्रेस सिस्‍टम के द्वारा साथ मजबूत सुरक्षा प्रणाली।
छ) जल निकायों के साथ लैंडस्केप क्षेत्र, कलाकृतियों, स्थानीय संस्कृति की मूर्तियां, बैठने की जगह, कैनोपी, शून्य बिंदु तक बेंच इत्‍यादि।

2. अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर एक 300 फीट का राष्ट्रीय ध्वज ।
250 से अधिक मजदूरों और 30 इंजीनियरों, जो 3 शिफ्टों में काम कर रहे हैं तथा  बैच मिक्सिंग प्लांट मशीनरी की सहायता से पैसेंजर टर्मिनल कॉम्प्लेक्स का निर्माण कार्य किया जा रहा है।
पूरे परिसर की नींव की खुदाई का कार्य लगभग पूर्ण हो गया है जबकि मुख्य यात्री भवन के लिए प्लिंथ और कॉलम आरसीसी पहले ही शुरू हो चुका है। विभिन्न गतिविधियों को एक साथ पूरा करने के लिए समानांतर रूप से काम किया जा रहा है।
प्लिंथ, नींव और स्तंभों का निमार्ण साइट पर किया जाएगा जबकि बाकी इस्पात संरचना को अन्य स्थानों पर कारखानों में बनाया जाएगा और सीधे साइट पर ले जाकर स्थापित किया जाएगा।

आर्किटेक्चर स्कूलों से संपर्क
मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और प्लंबिंग कार्यों के लिए वेंडर और उपकेंद्रों को अंतिम रूप दिया गया है और छत के लिए स्टील संरचना, ग्लेज़िंग और एल्यूमीनियम शीटिंग के आदेश दिए गए हैं। एयर-कंडीशन, हीटिंग और वेंटिलेशन के विक्रय को भी अंतिम रूप दिया गया है।


समृद्ध पंजाबी विरासत, श्री गुरु नानक देवजी के जीवन और कार्यों के प्रदर्शन के लिए तथा अत्याधुनिक भवन की संरचना के लिए अमृतसर के आर्किटेक्चर स्कूलों से परामर्श लिया गया है।

राजमार्ग पर भी काम तेजी पर

गुरदासपुर-अमृतसर हाईवे से डेरा बाबा नानक को अंतर्राष्ट्रीय सीमा से जोड़ने वाले चार-लेन राजमार्ग पर निर्माण कार्य पूरे जोरों पर चल रहा है। 4.19 किलोमीटर लंबे इस राजमार्ग को 120 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहा है।
भारत सरकार ने 22.11.2018 को करतारपुर साहिब कॉरिडोर परियोजना के विकास को मंजूरी दी और 26.11.2018 को भारत के माननीय उपराष्ट्रपति, श्री एम वेंकैया नायडू द्वारा इसकी आधारशिला रखी गई।
परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया 14.01.2019 को शुरू की गई और 21.05.2019 को संपन्न हुई।
अब तक परियोजना का 50% काम पूरा हो चुका है और राजमार्ग 30 सितंबर 2019 तक पूरा हो जाएगा।
भारत की ओर पुल का सबस्ट्रक्चर निर्माण कार्य यानि की पाइलिंग, पाइल कैप को पूरा किया गया है। गियर्स कास्टिंग के काम के साथ-साथ पियर्स और पियर्स कैप कास्टिंग का काम चल रहा है।
 तीन तकनीकी स्तर की वार्ताएं

इस परियोजना से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए पाकिस्तानी तकनीकी टीम के साथ अब तक तीन तकनीकी स्तर की वार्ता हुई है जिसमें जीरो प्‍वाइंट निर्देशांक, सड़क समाप्त स्तर, जीरो प्‍वाइंट पर पुल की चौड़ाई आदि पर चर्चा हुई। पाकिस्तान के अधिकारियों को अवगत कराया गया कि अंतर्राष्ट्रीय सीमा के भारतीय हिस्से में रावी क्रीक पर भारत एक पुल का निर्माण कर रहा है और पाकिस्तान की तरफ से बुद्धी रवि चैनल पर पुल का निर्माण करने का अनुरोध किया गया।
पाकिस्तान की ओर से शुरू में तटबंध और बाद में पक्‍की सड़क प्रस्तावित की गई लेकिन ये दोनों विकल्प स्वीकार्य नहीं हैं क्योंकि बाढ़ की स्थिति में भारत की तरफ रिहाइशी इलाकों को खतरा होगा, और सभी मौसमों में सड़क भी नहीं होगी।

देखें राजमार्ग का वीडियो

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