नई दिल्ली, इंडिया विस्तार। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने मध्य प्रदेश केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन (एमपीसीडीए), इंदौर केमिस्ट एसोसिएशन (आईसीए), हिमालय ड्रग कंपनी ((एचडीसी) और इंटास फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड (आईपीएल) के साथ-साथ उनके कुछ पदाधिकारियों/अधिकारियों को भी प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के प्रावधानों का उल्लंघन करने का दोषी पाया है।
आयोग ने अधिनियम की धारा 27 के तहत इन संघों (एसोसिएशन) के कार्यकलापों पर रोक लगाने का निर्देश जारी करने के अलावा एमपीसीडीए पर 4,18,404 रुपये और आईसीए पर 39,142 रुपये का मौद्रिक जुर्माना लगाया है। इसके अलावा, इन संघों (एसोसिएशन) के कुछ पदाधिकारियों द्वारा निभाई गई भूमिका को ध्यान में रखते हुए इन पदाधिकारियों पर जुर्माना लगाया गया। आयोग ने हिमालय ड्रग कंपनी और इंटास फार्मास्युटिकल लिमिटेड के प्रतिस्पर्धा रोधी कारकों को ध्यान में रखते हुए इन कंपनियों पर क्रमशः 18,59,58,000 रुपये और 55,59,68,000 रुपये का जुर्माना लगाया। इन कंपनियों के कुछ पदाधिकारियों पर भी जुर्माना लगाया गया। हालांकि, आयोग को कुछ अन्य संघों (एसोसिएशन) और दवा कंपनियों की ओर से प्रावधानों का उल्लंघन करने का कोई सबूत नहीं मिला।
इसके अलावा, आयोग ने एमपीसीडीए को अपने सदस्यों के लिए मध्य प्रदेश में छह माह की अवधि में कम से कम पांच प्रतिस्पर्धा जागरूकता और अनुपालन कार्यक्रम आयोजित करने का भी निर्देश दिया। इसी तरह आयोग ने आईसीए को इंदौर जिले में एक प्रतिस्पर्धा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही आयोग ने एचडीसी और आईपीएल को एक प्रतिस्पर्धा अनुपालन कार्यक्रम शुरू करने और आयोग के समक्ष अनुपालन रिपोर्ट पेश करने का भी निर्देश दिया।
इस आशय की कार्रवाई तब की गई जब मेसर्स मध्य प्रदेश केमिस्ट्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन द्वारा आयोग के समक्ष एक विशिष्ट सूचना दर्ज कराई गई थी जिसमें एमपीसीडीए और कुछ दवा कंपनियों सहित अन्य द्वारा अधिनियम की धारा 3 के प्रावधानों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था। ये आरोप लगाए गए थे कि उपर्युक्त संघ (एसोसिएशन) स्टॉकिस्टों की नियुक्ति से पहले ‘अनापत्ति प्रमाणपत्र’ ( एनओसी)/सहमति पत्र (एलओसी) को अनिवार्य करने के अपने तौर-तरीकों के जरिए विभिन्न फार्मास्युटिकल उत्पादों तक उपभोक्ताओं की पहुंच को सीमित करके और बाजार में दवाओं की आपूर्ति को नियंत्रित करके बाजार में प्रतिस्पर्धा को बाधित कर रहे थे। आयोग ने प्रथम-दृष्टया राय बनाने के बाद महानिदेशक के कार्यालय को इस मामले की जांच करने का निर्देश दिया।
महानिदेशक द्वारा की गई जांच में उपर्युक्त संघों (एसोसिएशन) और कुछ दवा कंपनियों द्वारा उल्लंघन किए जाने की पुष्टि हुई औ इन्हें इस तरह के प्रतिस्पर्धा रोधी तौर-तरीकों को बढ़ावा देने का दोषी पाया गया। महानिदेशक ने कुछ व्यक्तियों और उपर्युक्त संघों (एसोसिएशन) एवं दवा कंपनियों के पदाधिकारियों/अधिकारियों को भी अधिनियम की धारा 48 के तहत उत्तरदायी माना।
आयोग ने 03.06.2019 को इस आशय का आदेश दिया।