नई दिल्ली, इंडिया विस्तार
सुप्रीम कोर्ट के 46वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के तौर पर जस्टिस रंजन गोगोई ने शपथ ले लिया है। जस्टिस गोगोई इस पद पर पहुंचने वाले पूर्वोत्तर भारत के पहले मुख्य न्यायधीश है। जस्टिस गोगोई देश के 46वें प्रधान न्यायाधीश बनें हैं और 17 नंवबर, 2019 तक उनका कार्यकाल होगा। देश के नागरिकों को उन से काफी उम्मीदें हैं। वहीं अदालतों में पड़े करोड़ों मुकदमे और न्यायाधीशों के खाली पड़े पद उनके लिए बड़ी चुनौती होंगे।जस्टिस गोगोई बुधवार को जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ के साथ मुख्य न्यायाधीश की अदालत में मुकदमों की सुनवाई करने बैठेंगे। पहले दिन भले ही उनकी अदालत में सुनवाई के लिए कम मुकदमें लगे हों, लेकिन देश भर की अदालतों में लंबित 2.77 करोड़ मुकदमें नये मुखिया की नयी योजना का इंतजार कर रहे होंगे। इन मुकदमों में 13.97 लाख मुकदमें वरिष्ठ नागरिकों के हैं और 28.48 लाख मुकदमें महिलाओं ने दाखिल कर रखे हैं। इतना ही नहीं उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट मे लंबित 54000 मुकदमें भी अपने मुखिया की नयी कार्यप्रणाली और शीघ्र मुक्ति का इंतजार कर रहे हैं।
कौन है जस्टिस रंजन गोगोई
जस्टिस गोगोई ने 24 साल की उम्र से ही 1978 में वकालत शुरू कर दी थी। गुवाहाटी हाईकोर्ट में लंबे समय तक वकालत कर चुके 18 नवंबर 1954 को जन्मे जस्टिस गोगोई को सांविधानिक, टैक्सेशन और कंपनी मामलों का अच्छा-खासा अनुभव रहा है। वह 28 फरवरी 2001 को गुवाहाटी हाईकोर्ट में स्थायी जज बने थे। इसके बाद वह 9 सितंबर 2010 को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जज बने और यहीं 12 फरवरी 2011 को मुख्य न्यायाधीश बनाए गए। सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर वह 23 अप्रैल 2012 से कार्यरत रहे।
क्या होगी चुनौतियां
- नए सीजीआई के समक्ष कामकाज की सूची में सबसे ऊपर संवदेनशील अयोध्या विवाद का मामला है। इसे निपटाना उनके समक्ष एक बड़ी चुनौती होगी। देश के लिए यह एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर सबकी निगाहें होंगी। खास बात यह है कि अयोध्या मामले में 28 अक्टूबर को शीर्ष अदालत की तीन जजों की बेंच सुनवाई शुरू करने जा रही है। इस मामले में नए सीजीआई गोगोई को तीन बेंच के लिए जजों का ऐलान करना है।यह मामला पिछले आठ वर्षों से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
- उनकी दूसरी सबसे बड़ी चुनौती करीब एक दशक से न्यायपालिका में जजों के खाली पदों को भरने की है। जजों की कमी के कारण चुनौतियां लगातार बढ़ रही है। इसके अलावा जजों की नियुक्ति को लेकर न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट बल्कि हाई कोर्ट में भी नियुक्तियां करना एक चुनौती होगी।
- पदभार ग्रहण करने के बाद नए सीजीआई के समक्ष एक और बड़ी चुनौती न्यायिक कामकाज की भारी भरकम सूची को निपटाने की होगी। मौजूदा समय में करीब 30 करोड़ मामले लंबित पड़े हैं।
- सीजीआई के समक्ष एक और चुनौती होगी। केंद्रीय बजट की। देश की न्याययिक संस्थाओं में बुनियादी ढांचे समेत कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां बजट बढ़ाने की तुरंत चुनौती होगी। 2017-18 में केंद्रीय बजट का महज 4 फीसद ही न्यायिक व्यवस्था के लिए मिला है।
हालांकि गोगोई इससे पहले ही एक बयान के जरिए संकेत दे चुके हैं कि मुकदमों का बोझ कम करने के लिए कोई कारगर योजना लागू की जा सकती है। जो कि आने वाले समय में न्यायपालिका के उज्जवल भविष्य के लिए बेहतर होगी। गोगोई बुधवार को जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ के साथ मुख्य न्यायाधीश की अदालत में मुकदमों की सुनवाई करने बैठेंगे। इस वक्त देशभर की अदालतों में 2.77 करोड़ मुकदमे लंबित हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट में 54 हजार मुकदमें लंबित हैं।