नैना हत्याकांड की गुत्थी सुलझी-यूपी पुलिस की ऑनर किलिंग थ्योरी गलत निकली

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नई दिल्ली, इंडिया विस्तार। दो साल पहले हुई दिल्ली की बहुचर्चित नैना हत्याकांड का खुलासा हो गया है। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने इस हत्याकांड के राज से पर्दा उठाते हुए यूपी पुलिस की ऑनर किलिंग थ्योरी को गलत ठहरा दिया है। इस मामले में एक ही परिवार के चार लोगों की हत्या की गई थी औऱ मामला दर्ज किया गया था परिवार की लड़की नैना की हत्या का और यूपी पुलिस नैना की हत्या का शक उसके लापता परिजनों पर कर रही थी। नैना की लाश हापुड़ के दुराना में मिली थी।

मारे गए चारो लोग लाल घेरे में

यूपी पुलिस की लापरवाही

जुलाई 2016 में यूपी के दौलाना थाना पुलिस को नहर में नैना की कार समेत लाश मिली। जांच में यूपी पुलिस को परिवार के सभी लोग नदारद मिले। खानापूर्ति में जुटी यूपी पुलिस मान बैठी की मामला ऑनर किलिंग का है । और लड़की के पिता वेदप्रकाश, मा साधना और भाई शुभम को ही उसका कातिल मान लिया और केस को ऑनर किलिंग का केस मान कर जांच पड़ताल करती रही। जबकि हकीकत यह है कि साल 2016 की उस रात सिर्फ नैना का कत्ल नही हुआ था बल्कि उसके माता पिता और भाई की भी उसी रात हत्या की गई थी। यह राज ढाई साल बाद दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की गिरफ्तारी से खुला है।  दिल्ली क्राइम ब्रांच ने अभिषेक नाम के एक युवक को गिरफ्तार किया है जिसने  पूछताछ में नैना हत्या मामले की जो असल सच्चाई बताई है। 

इस तरह मिला सुराग

मालूम हो कि यूपी पुलिस इस मामले को ऑनर किलिंग का मामला बता कर चार्जशीट भी दायर कर चुकी है लेकिन दिल्ली क्राइम ब्रांच की माने तो इस मामले में पैसे की लेन देन की वजह से पिता वेदप्रकाश पत्नी साधना बेटा शुभम और बेटी नैना की हत्या की गई । इस मामले को सुलझाने में क्राइम ब्रांच के डीसीपी भीष्म सिंह की निगरानी में एसीपी आदित्य गौतम की देखरेख में इंस्पेक्टर सुनील जैन के नेतृत्व में एसआई राकेश, विमल, एएसआई कंवल महेश, राजेन्द्र,संतराज, श्रीओम, हनुमान, राजेश, हवलदार योगेश, रामदास, गंगाधर, रामकुमार, सिपाही ओमप्रकाश, कुलदीप औऱ सुनील कुमार ने भूमिका निभाई। एएसआई कंवर सिंह को सबसे पहले इस मामले की प्रारंभिक जानकारी मिली जिसके बाद पुलिस टीम ने जांच की तो पता लगा कि नैना के पिता वेदप्रकाश की दिल्ली के मजनू के टीले पर कपड़े की दुकान थी साथ ही वेदप्रकाश ब्याज पर पैसे देने का काम भी करता था.. वेदप्रकाश मी दुकान पर काम करने वाले रितेश ने अपने एल दोस्त अभिषेक को ब्याज पर 3 से 4 लाख रुपये वेदप्रकाश से दिलवाए थे.. लेकिन अभिषेक वेदप्रकाश के पैसे नही लोटा पा रहा था। इस कर्जे से मुक्ति के लिए  अभिषेक ने अपने कुछ क्रिमिनल साथियो के साथ मिल कर वेद प्रकाश की हत्या का प्लान बनाया।

साजिश

अभिषेक ने अपने साथियों के साथ मिल कर किसी बहाने से पहले वेदप्रकाश को बुलाया और अपने साथियों के साथ मिलकर वेदप्रकाश का कत्ल कर दिया । लेकिन आखरी बार वेदप्रकाश को अभिषेक के साथ जाते बेटे शुभम ने देख लिया था तब इन लोगो ने बेटे शुभम को भी रास्ते से हटाने की ठान ली । बदकिस्मती से इस बार मा साधना ने बेटे शुभम को अभिषेक के साथ देख लिया तब इन्होंने बहाने से मा को बुलाया और मा साधना का भी कत्ल कर दिया । इसी बीच बेटी नैना ने भी क्योकि उन्हें मा को ले जाते देख लिया था इसलिए इन्होंने उसे भी मार दिया और उसे कत्ल करके लाश कार समेत गंग नहर में फेंक दी।

हालांकि बाकियो की लाश भी इन्होंने वही ठिकाने लगाई लेकिन दौलाना पुलिस को केवल लड़की की लाश मिली और यूपी पुलिस ने मान लिया कि ये मामला ऑनर किलिंग का है । जबकि हकीकत ये थी कि परिवार के सभी लोग भी मारे जा चुके थे जिन्हें यूपी पुलिस हत्यारा मान कर फरार घोषित कर चुकी थी । दिल्ली क्राइम ब्रांच के इस खुलासे में बाद अब पीडित परिवार यूपी पुलिस की के उन अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग कर रहा है जिन अधिकारियों में मृतक माता पिता और भाई को ही उनकी बेटी का कातिल करार दे दिया था।

 

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