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नई दिल्ली, इंडिया विस्तार। वह डॉन बनना चाहता था…दिल्ली एनसीआर का ऐसा डॉन जिसके नाम का सिक्का चले। इसके साथ ही अपनी आपराधिक गतिविधियों को कवर करने के लिए वह एक ढाबा भी खोलना चाहता था। इसके लिए उसे पैसों की जरूरत भी थी। जेल में हुई दोस्ती ने उसे इसका रास्ता भी दिखाया। रास्ता था अपने विरोधी गैंग के सरगना का खात्मा। लॉकडाउन के बीच वह औऱ उसके दोस्तों ने मिलकर विरोधी गैंग के सरगना और उसके साथी पर अंधाधुंध गोलियां बरसाई। इस गोलीबारी में विरोधी गैंग का सरगना बच गया। बस उसके बयान के आधार पर पुलिस हमालवरों तक पहुंचने में कामयाब हो गई। डॉन बनने का सपना देखने वाला यब बदमाश अब जेल में है। मामला द्वारका का है।
गिरफ्तारी
एसीपी जोगिन्दर सिंह जून की देखरेख में इंस्पेक्टर नवीन कुमार के नेतृत्व में एसआई राजीव त्यागी, बिजेन्दर, महेन्द्र, एएसआई उमेश, सिपाही जितेन्द्र, उपेन्द्र, रवि, संदीप, कुलभूषण और मनोज ने गुलफाम उर्फ गुल्लू नाम के बदमाश को पालम के दादा देव अस्पताल के पास से गिरफ्तार किया।
क्या था मामला
20 मई को लाकडाउन के दौरान डाबड़ी थाना इलाके के सीतापुरी में शाम करीब 6.30 बजे पुलिस को गोलीबारी की सूचना मिली। जांच में पता लगा कि गोलीबारी में दो लोग घायल हुए हैं। उन्हें अस्पताल ले जाया गया। उनमें से एक गौरव उर्फ काकू को डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। घायल दूसरे शख्स की पहचान विक्की उर्फ टक्कर के रूप में हुई। इलाज के दौरान पुलिस पूछताछ में विक्की उर्फ टक्कर ने नीतिश तिवारी और उसके दो साथियों का नाम लिया। पुलिस जांच में यह भी पता लगा कि विक्की का भी आपराधिक इतिहास रहा है। मामले की जांच शुरू कर दी गई।
जांच
द्वारका पुलिस की स्पेशल स्टाफ ने कोविड-19 में अन्य कामों के साथ साख सरेआम गोलीबारी करने वालों की तलाश शुरू की। मगर लॉकडाउन की वजह से पुलिस को जांच में कोई मदद नहीं मिल रही थी। दूसरी तरफ हमलावर और शिकार दोनों के क्रिमिनल बैकग्राउंड को देखते हुए गैंगवार की आशंका के मद्देनजर पुलिस की एक टीम को इस मामले के सुलझाने का जिम्मा सौंपा। पुलिस टीम ने सीसीटीवी फुटेज आदि की जांच की गई औऱ पुलिस की कोशिशों का नतीजा 29 तारीख को मिला। पुलिस को पता लगा कि डाबडी इलाके में एक सुपारी किलर गुलफाम उर्फ गूल्लू आने वाला है। पुलिस ने जाल बिछाकर गूल्लू को गिरफ्तार कर लिया गया।
पूछताछ
गूल्लू मूल रूप से मुजफ्फर नगर का निवासी है। 5 वीं कक्षा तक पढ़ाई करने वाला गूल्लू दस साल पहले दिल्ली आया था। उसके पिता कबाड़ी का काम करते हैं। उसकी संगत शुरू से ही खराब थी। महंगी सिगरेट औऱ शराब के आदि गूल्लू शुरू से ही छोटे मोटे आपराधिक गतिविधियों में लिप्त रहता था। अपहरण, हत्या और हत्या की चेष्टा में उसे राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में गिरफ्तार किया जा चुका है। पिछले साल मई में ही वह जेल से रिहा हुआ था। आपराधिक गतिविधियों को कवर करने के लिए वह एक ढाबा खोलने के फिराक में था इसके साथ ही वह अपराध की दुनिया में भी कुख्यात होना चाह रहा था इसीलिए वह अवैध हथियार भी रखा करता था। कुछ साल पहले जेल में उसकी दोस्ती नितीश तिवारी से हुई थी।
नीतीश ने ही उसे बताया कि उनके साथ उनका दोस्त अंकित भी है और अगर वह अपने विरोधी बदमाश विक्की को मार देते हैं तो द्वारका की आपराधिक दुनिया में उनका कब्जा हो जाएगा। उसके काम होने पर उसे एक लाख रूपये देने की भी लालच दी। खूब पैसे और डॉन बनने का इच्छुक गूल्लू इसके लिए तैयार हो गया। 20 मई को तीनों सीतापुरी पहुंचे। वारदात के लिए नीतीश ने उसे एक पिस्टल और गोलियां भी मुहैया कराईं थीं।