नई दिल्ली, इंडिया विस्तार। लाल आतंक के इस खतरनाक हथियार से किसी पर 100 मीटर की दूरी से हमला किया जा सकता है। इस हथियार का खुलासा 10 फरवरी को हुआ है। असल में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल यानि कोबरा की टीम ने लाल आतंक के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की थी। इसी कार्रवाई के दौरान कोबरा टीम बीजापुर के पामेड थाना की सीमाओं के पास इर्रपल्ली गांव पहुंची। गांव के पास नक्सलियों के पीएलजीए बटालियन का मुख्य़ प्रशिक्षण शिविर चल रहा था। इस कार्रवाई के दौरान सीआरपीएफ की टीम को नक्सलियों के सबसे खतरनाक हथियार निर्माण के बारे में पता लगा। इस हथियार को शार्ट फार्म में आरपीजी कहते हैं। आरपीजी यानि इम्प्रूव्ड रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड्स (RPG) । नक्सलियों के पीएलजीए बटालियन को आरपीजी बनाने के लिए जाना जाता है। इन्हें एरिया हथियार भी कहा जाता है। यह हथियार कई मौकों पर मौकों पर कोबरा कमांडो के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है। जंगल के इलाकों में यह हथियार अत्यधिक प्रभावी हैं। इम्प्रूवमाइज रॉकेट रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड (आरपीजी) नक्सल के शस्त्रागार में हथियार है।
आरपीजी स्थानीय रूप से उपलब्ध सामग्री के साथ बनाना आसान है। स्थानीय कच्चे माल जैसे स्टील बैरल, अन्य सामग्री स्थानीय बाजार में स्वतंत्र रूप से उपलब्ध हैं। इसमें भरे जाने वाले विस्फोटक सामग्री को बाहर से तस्करी करके आरपीजी में उपयोग किया जाता है।
आरपीजी में नाखून, धातु के टुकड़े आदि का इस्तेमाल तेजधार के रूप में किया जाता है।आरपीजी से नक्सली लगभग 100 मीटर की दूरी से फायर कर सकते हैं। पीएलजीए बटालियन ने ओडिशा, झारखंड, महाराष्ट्र से नक्सल के कैडर का चयन कर उन्हें आरपीजी बनाने का प्रशिक्षण दिया।
एक रॉकेट-प्रोपेल्ड ग्रेनेड (आरपीजी) कंधे के सहारे चलाया जाता है। इसके माध्यम से विस्फोटक वारहेड से लैस रॉकेट को फायर किया जाता है। अधिकांश आरपीजी को एक व्यक्ति द्वारा ले जाया जा सकता है। इन वॉरहेड्स को एक रॉकेट मोटर से चिपका दिया जाता है, जो आरपीजी को लक्ष्य की ओर ले जाता है।
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