cybercrime चुनौती बेशक बना है। मगर इससे सामना करने के लिए सरकारी उपाय भी जमकर हो रहे हैं। यहां हम कुछ ऐसे प्रभावी उपाय बता रहे हैं जिन पर अमल कर cybercrime पर प्रभावी अंकुश लगाया जा सकता है। इसमें सरकार के साथ साथ आम लोगों की सहभागिता भी जरुरी है।
cybercrime से बचने के ये हैं उपाय
भारत साइबर अपराध की बढ़ती चुनौती से निपटने के लिए मज़बूत और प्रणालीगत उपायों की ओर बढ़ रहा है—खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, जहाँ डिजिटल साक्षरता कम है और संवेदनशील जनसंख्या को साइबर अपराधी निशाना बना रहे हैं।
यहाँ कुछ प्रमुख उपाय दिए गए हैं जिन्हें विस्तार देकर साइबर अपराध पर प्रभावी रूप से अंकुश लगाया जा सकता है:
कानूनी और नियामक ढांचे को मज़बूत करें
- भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत साइबर अपराध को “संगठित अपराध” के रूप में मान्यता दी जाए, और इसमें AI आधारित धोखाधड़ी, डीपफेक और सीमा-पार घोटालों को शामिल किया जाए।
डिजिटल और वित्तीय साक्षरता का विस्तार करें - ग्रामीण क्षेत्रों में लक्षित जागरूकता अभियान चलाएं: स्थानीय भाषाओं और गेमिफाइड कंटेंट के माध्यम से फिशिंग, ओटीपी धोखाधड़ी और नकली ऐप्स के बारे में जानकारी दी जाए।
पहचान और प्रवर्तन को मज़बूत करें - AI आधारित खतरे की पहचान प्रणाली लागू करें: व्यवहारिक विसंगति पहचान और DoT द्वारा विकसित FRI जैसे धोखाधड़ी जोखिम संकेतकों का उपयोग बढ़ाया जाए।
- राष्ट्रीय धोखाधड़ी रजिस्ट्री की स्थापना करें: धोखाधड़ी से जुड़े मोबाइल नंबर, बैंक खाते और IP पतों की रीयल-टाइम ब्लैकलिस्ट तैयार की जाए।
रीयल-टाइम फंड फ्रीज़िंग को सक्षम करें - बैंकों, UPI प्लेटफॉर्म और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को एकीकृत किया जाए ताकि रिपोर्ट की गई धोखाधड़ी पर तुरंत कार्रवाई हो सके।
नागरिकों को उपकरण और पहुंच से सशक्त बनाएं - राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (http://cybercrime.gov.in) और हेल्पलाइन 1930 को बढ़ावा दें।
- “संदिग्ध गतिविधि रिपोर्ट करें” फीचर लॉन्च करें: उपयोगकर्ता संदिग्ध नंबर, URL और सोशल मीडिया हैंडल को फ्लैग कर सकें।
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