delhi election result: दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणामों (delhi election result) ने बीजेपी का वनवास खत्म किया। इसके साथ ही 12 साल तक सत्ता का सुख भोगने वाली आम आदमी पार्टी के भविष्य पर एक बड़ा बहुत बड़ा सा सवालिया निशान भी लगा दिया है। केजरीवाल और उनकी टीम की हार की वजहें कई हैं। अहंकार और काम ना कर सिर्फ आरोप प्रत्यारोप तो है ही इसके अलावा भी दो बड़ी वजहों ने दिल्ली की राजनीति में केजरीवाल के परसेप्शन की बखिया उधेड़ दी। हम यहां उन दो वजहों का विश्लेषण करने की कोशिश करेंगे जिन्होंने केजरीवाल और उनकी पार्टी को वनवास की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है।
delhi election result: चमकदार सफर का अंत
शीशमहल और शराब ये दो ऐसी चीजें हैं जिनका विश्लेषण खुद केजरीवाल को भी करना होगा। कभी अरविंद केजरीवाल के गुरु रहे समाजसेवी अन्ना हजारे ने तो एजेंसी के साथ लंबी बातचीत में साफ साफ शराब की बात कही औऱ कहा कि जिस शराब के लिए हम लोगों ने आंदोलन किया केजरीवाल उसी की राह पर चलने लगे।
अब 13 साल पहले चलते हैं। 26 नवंबर 2012 को अन्ना हजारे का भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन खत्म हो चुका था। इसके तुरंत बाद ही केजरीवाल ने राजनीति में आने का ऐलान कर दिया था। उस समय केजरीवाल ने कहा था कि ‘ मजबूरी में हम लोगों को राजनीति में आना पड़ा। हमें राजनीति नहीं आती और हम इस देश के आम आदमी हैं जो भ्रष्टाचार और महंगाई से दुखी है’ केजरीवाल के इस बयान ने लोगों के दिल में बड़े सपने और उम्मीद के रूप में जन्म ही नहीं लिया बल्कि घर भी बना लिया। बड़े बड़े पत्रकार और अफसर भी इस बयान में बह गए।
इस बयान ने लोगों के सिर पर ऐसा जादू चढ़ाया कि 2013 के चुनाव में इस नई नवेली पार्टी आप ने 28 सीटें जीत लीं। तब केजरीवाल ने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई। साल 2015 के चुनाव में लोगों के दिलो में सपने की इमारत को और मजबूत करते हुए केजरीवाल ने अद्भुत और अकल्पनीय जीत हासिल की। उन्हें 70 में से 67 सीटों पर जनता ने जीत दिलाकर अपनी उम्मीद का बागडोर पूरी तर सौंप दिया।
इसके बाद ही आप ने राष्ट्रीय स्तर पर पांव पसारने शुरू किए थे। साल 2020 के चुनाव में भी आम आदमी ने आप पर भरोसा जताते हुए 48 सीटों का तोहफा दे दिया। एंटी इनकंबेंसी के बाद भी इतनी सीट केजरीवाल को मिली थी। शायद इसी जीत ने केजरीवाल और उनकी पार्टी को रास्ते से भटका दिया। पार्टी और नेता दोनों को लगने लगा कि वो अजेय हैं।
delhi election result जब उठने लगा शराब का मुद्दा
जरा याद कीजिए जब दिल्ली के लोगों को एक के साथ एक शराब की बोतल फ्री में मिल रही थी तो पूरे देश में इसकी चर्चा हो रही थी। जनता को लगा था कि ये तो गजब हो गया। आप ने इसे खूब भुनाया भी लेकिन कुछ समय के बाद ही इस स्कीम पर सवाल उठने लगे। cag कैग की रिपोर्ट लीक हुई। इस रिपोर्ट की बदौलत दावा किया गया कि शराब के चक्कर में दिल्ली को 2 हजार करोड़ की चपत लगी है।
इस कथित शराब घोटाले के चक्कर में केजरीवाल सहित पार्टी के कई दिग्गजों को जेल की हवा खानी पड़ी। इस चुनाव में वो सभी हार गए हैं। इस शराब ने पार्टी को कई बार डिफेंसिव मोड में ला खड़ा किया। अलग अलग अदालतें जमानत देने से मना करती रहीं। जेल जाने पर नहीं पर जेल से बाहर आने के बाद केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया। दावा किया कि वह जनता की अदालत में खुद को साबित करेंगे। इसी के बहाने दूसरी पार्टियां जनता को ये समझाने में कामयाब रहीं कि भ्रष्टाचार पर आप की नियत संदिग्ध है।
इसके बाद शीशमहल का मुद्दा भी करेले पर नीम चढ़ा साबित हो गया। इस पूरे चुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनो ने शीशमहल का मुद्दा जोर शोर से उठाए रखा। भाजपा ने हर दूसरे दिन शीशमहल के फोटो और वीडियो जारी कर इस मुद्दे को भी गर्म बना दिया। केजरीवाल इसका पर्याप्त जवाब देने की बजाय फ्री स्कीमें घोषित करने में व्यस्त रहे।
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