TRAI और DoT की नई CNAP योजना
भारत में मोबाइल कॉलिंग को सुरक्षित और पारदर्शी बनाने के लिए TRAI और दूरसंचार विभाग (DoT) ने Calling Name Presentation (CNAP) योजना शुरू की है। इसके तहत अब हर कॉल पर कॉल करने वाले व्यक्ति का सत्यापित नाम आपकी स्क्रीन पर दिखाई देगा।
Truecaller जैसे ऐप्स में जो अनुमानित या crowd-sourced नाम दिखते हैं, उसकी जगह अब मोबाइल नेटवर्क खुद यह नाम दिखाएगा। यह नाम वही होगा जो कॉलर ने SIM लेते समय अपनी पहचान में दर्ज कराया था।
CNAP क्या है और कैसे काम करता है
CNAP (Calling Name Presentation) का उद्देश्य कॉल की पारदर्शिता बढ़ाना और फर्जी कॉल्स को रोकना है।
- वर्तमान स्थिति: अभी फोन पर केवल नंबर दिखता है, कॉलर की पहचान नहीं।
- नई व्यवस्था: CNAP के तहत नंबर के साथ कॉलर का सत्यापित नाम भी दिखेगा।
- डिफ़ॉल्ट रूप से सक्रिय: सभी उपयोगकर्ताओं के लिए यह सुविधा अपने आप सक्रिय होगी।
- लागू करने की प्रक्रिया: टेलीकॉम कंपनियां इसे 4G और 5G नेटवर्क पर चरणबद्ध तरीके से लागू करेंगी।
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नागरिकों और एजेंसियों को बड़े फायदे
रियल-टाइम में फ्रॉड की पहचान:
जब स्क्रीन पर “बैंक मैनेजर” या “पुलिस अधिकारी” जैसा नाम दिखे, नागरिक तुरंत पहचान सकते हैं कि कॉल असली है या नहीं।
विश्वसनीय कॉल्स पर भरोसा बढ़ेगा:
सरकारी, बैंकिंग और सेवा कॉल्स की विश्वसनीयता बढ़ेगी, जिससे धोखाधड़ी के मामलों में कमी आएगी।
कमज़ोर वर्गों की सुरक्षा:
बुजुर्ग, ग्रामीण और डिजिटल रूप से कम साक्षर नागरिकों को कॉल फ्रॉड से बचाव में मदद मिलेगी।
कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सहयोग:
फर्जी कॉल्स को ट्रेस करना और स्कैम नेटवर्क की पहचान करना आसान होगा।
डिजिटल स्वच्छता को बढ़ावा:
SIM पंजीकरण में जिम्मेदारी बढ़ेगी और फर्जी पहचान के दुरुपयोग पर रोक लगेगी।
CNAP साइबर अपराध पर कैसे लगाम लगाएगा
| साइबर अपराध प्रकार | CNAP का प्रभाव |
|---|---|
| फर्जी पहचान वाले स्कैम | फर्जी कॉलर नाम तुरंत उजागर होंगे |
| सेक्सटॉर्शन / डिजिटल अरेस्ट | डर फैलाने वाली फर्जी पहचान का असर घटेगा |
| OTP चोरी और बैंकिंग फ्रॉड | कॉलर का असली नाम देखकर पहचान संभव |
| SIM स्वैप और म्यूल नेटवर्क | SIM मालिक का पता लगाना आसान होगा |
| स्कैम कॉल सेंटर | गुमनामी और धोखाधड़ी दोनों पर रोक लगेगी |
CNAP योजना भारत में मोबाइल सुरक्षा को नई दिशा देने वाली पहल है। इससे साइबर फ्रॉड, फर्जी पहचान और डिजिटल ठगी के मामलों पर रोक लगेगी।
यह सिर्फ एक तकनीकी बदलाव नहीं, बल्कि डिजिटल भरोसे की नई शुरुआत है।
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