सोशल मीडिया पर एक ग्रुप, 12 हजार सदस्य, 15 हजार से ज्यादा थाने और बदमाशों की शामत

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आलोक वर्मा

नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर 50 लोगों से शुरू हुए एक ग्रुप में अब 12 हजार लोग हैं। सोशल मीडिया के एप्प टेलीग्राम पर चल रहे इस ग्रुप में अब 12 हजार लोग हैं। यह ग्रुप देश भर के 15661 थानों को कवर कर रहा है। ग्रुप का मकसद बदमाश औऱ बदमाशी पर लगाम कसना है। इस मकसद में यह ग्रुप कामयाब भी तेजी से हो रहा है। संगठन में शक्ति है औऱ जब शक्ति पुलिस की हो तो बदमाशों के छक्के छुटने तो तय है ही।

इस ग्रुप का नाम है नेशनल पुलिस ग्रुप। देश के किसी भी हिस्से में किसी भी तरह के क्राइम और क्रिमिनल की जानकारी जैसे ही इस ग्रुप में पोस्ट होती है ग्रुप के सदस्य सक्रिय हो जाते हैं। इस आपसी साझेदारी की वजह से अब तक हजारों बदमाश शिकंजे में लिए जा चुके हैं। यह आपसी साझेदारी केवल बदमाशों की सूचना तक ही सीमित नहीं है बल्कि छापेमारी के लिए अगर कोई किसी के इलाके में पहुंचता है तो उसकी पूरी मदद की जाती है। ग्रुप में घटना से संबंधित सीसीटीवी फुटेज, क्राइम के बदलते तौर तरीके और भी ढेर सारी काम की बातें शेयर की जाती हैं जो एक पेशेवर जांच अधिकारी के काफी काम आती हैं।

साल 2014 में 50 पुलिस अफसरों के साथ शुरू हुए इस ग्रुप में अब 12 हजार पुलिककर्मी हैं। सिपाही से पुलिस कमिश्नर स्तर के लोगों का यह ग्रुप देश के 15661 थानों तक फैला हुआ है। यह पुलिस थाने देश के 28 राज्यों और 9 केंद्रशासित प्रदेश के 735 जिलो में स्थित हैं। इस ग्रुप में ना केवल पुलिस के बल्कि सीबीआई, साइबर एक्सपर्ट, आईबी, मिलिट्री इंटेलीजेंस, एनसीबी, एनएचआरसी, एनएचएआई, सेना, कस्टम, नेवी, एयरफोर्स,  सभी पैरामिलिट्री फोर्स, एनआईए,डीआरआई, रेलवे सुरक्षा बल, जीआरपी, तकनीकी एकस्पर्ट, नेपाल पुलिस औऱ मिसिंग एक्सपर्ट भी शामिल हैं। नेशनल के अलावा सभी राज्यों और सुरक्षा बलों में भी अलग से ग्रुप बनाए गए है। इसके अलावा क्राइम और क्रिमिनल की तौर तरीकों पर आधारित ग्रुप भी इसी बैनर के अंतर्गत बनाए गए हैं। ग्रुप के सदस्यों को संबंधित राज्य से मदद के लिए प्रशंसा पत्र देने का रिवाज भी इस ग्रुप में है। ग्रुप के सदस्यों में आपसी तालमेल बना रहे इसके लिए हर साल एक गेट-टूगेदर का आयोजन भी किया जाता है। जहां ग्रुप के सदस्य अपराध औऱ आपराधिक सूचनाओं या डाटा को साझा करते हैं। इसी तरह महिलाओं के लिए भी अलग से ग्रुप काम कर रहा है जिसमें सभी राज्यों से सिपाही से आईजी स्तर तक के 400 महिलाएं हैं। यहां ग्रुप एडमिन ना होकर एडमिन का समूह होता है। सभी राज्यों औऱ केंद्रशासित प्रदेश से 4-5 लोगों को एडमिन बनाया जाता है। इसके तहत एक कोर ग्रुप भी है जो फैसले लेने का काम करता है। इसी तरह ये ग्रुप फेसबुक पर भी काम करता है। फेसबुक पर इस समय इसके 4 हजार से ज्यादा सदस्य हैं।

हर गुजरते दिन के साथ,समूह बड़ा और बड़ा होता जा रहा है, और आने वाले समय में,इसका महत्व और उपयोगिता कैसी होगी इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं।

अपराध और अपराधियों पर नकेल कसने वाले इस ग्रुप की परिकल्पना दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर राज पाल डबास,यूपी पुलिस के अधिकारी विनोद सिंह सिरोही, उत्तराखंड के हरपाल सिंह ने की थी। तक हम पंछी एक डाल के नामक व्हाट्सएप्प ग्रुप बनाया गया था। बाद में सदस्यों की संख्या बढ़ती गई तो हरियाणा पुलिस के यशवंत,सुरेंद्र, केवल सिंह और महाराष्ट्र पुलिस के श्रीराम घोडके आदि भी सक्रिय हुए औऱ टेलीग्राम एप्प पर इस ग्रुप का संचालन शुरू हुआ। समूह आपसी विश्वास के सिद्धांत पर काम करता है और सदस्यों से एक-दूसरे की हरसंभव मदद करने की अपेक्षा की जाती है। समूह में कई सुपरकॉप औऱ एक्सपर्ट हैं।

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