Phishing SMS Syndicate कैसे काम करता है? CBI की कार्रवाई से हुआ SMS फैक्ट्री का खुलासा

CBI ने हाल ही में भारत की सबसे बड़ी 'SMS फैक्ट्री' का भंडाफोड़ किया है। जानें कैसे यह Phishing SMS Syndicate हजारों SIM कार्ड्स और हाई-टेक सर्वर के जरिए हर दिन लाखों लोगों को ठगने का जाल बुनता है। इस लेख में समझें इनके काम करने का तरीका और इस बड़े डिजिटल फ्रॉड से बचने के उपाय।"
Phishing SMS Syndicate
👁️ 16 Views

आज के डिजिटल दौर में एक छोटा सा SMS आपका बैंक अकाउंट खाली कर सकता है। हाल ही में CBI (Central Bureau of Investigation) ने भारत के अब तक के सबसे बड़े SMS ब्लास्टिंग प्लांट का पर्दाफाश किया है। यह कोई साधारण ऑफिस नहीं, बल्कि एक अत्याधुनिक ‘फ्रॉड फैक्ट्री’ थी।

आइए विस्तार से समझते हैं कि यह Phishing SMS Syndicate कैसे काम करता है और इनका पूरा ढांचा (Infrastructure) कैसा होता है।

इंफ्रास्ट्रक्चर सेटअप: एक गुप्त SMS फैक्ट्री

यह सिंडिकेट किसी बड़ी टेलीकॉम कंपनी की तरह इंडस्ट्रियल स्केल पर काम करता था। इनके सेटअप में शामिल थे:

  • रैक माउंटेड सर्वर: हाई-स्पीड स्क्रिप्ट चलाने के लिए।
  • USB हब और मोबाइल डिवाइस: सैकड़ों फोन एक साथ कनेक्टेड।
  • GSM मॉडेम: हजारों सक्रिय SIM कार्ड्स के साथ SMS भेजने के लिए।
  • रिमोट एक्सेस टूल: ताकि ऑपरेटर कहीं से भी इस सिस्टम को कंट्रोल कर सके।

2. SIM कार्ड्स का खेल: फर्जी KYC और रोटेशन

बिना “ईंधन” के गाड़ी नहीं चलती, और इस फ्रॉड का ईंधन है फर्जी SIM कार्ड्स

  • ये लोग चोरी किए गए या फर्जी दस्तावेजों (KYC) पर SIM खरीदते हैं।
  • जैसे ही कोई नंबर ब्लॉक होता है, SIM Bank ऑटोमैटिक दूसरे नंबर पर स्विच कर देता है।
  • पुलिस से बचने के लिए SIM कार्ड अक्सर दूसरे राज्यों से मंगाए जाते हैं।

3. डर पैदा करने वाला कंटेंट (Phishing Content)

यह सिंडिकेट मनोवैज्ञानिक दबाव (Psychological Pressure) का इस्तेमाल करता है। इनके पास पहले से तैयार टेम्पलेट्स होते हैं:

  • Bank Account Block: “आपका खाता आज बंद हो जाएगा, KYC अपडेट करें।”
  • Electricity/Fastag: “बिजली कट जाएगी” या “फास्टैग ब्लैकलिस्ट हो गया है।”
  • Dynamic Links: हर यूजर के लिए अलग लिंक ताकि एंटी-स्पैम फिल्टर इन्हें पहचान न सकें।

4. ऑटोमेटेड ब्लास्ट मैकेनिज़्म: Fire and Forget

इन्हें मैन्युअली मैसेज नहीं भेजना पड़ता। इनके सर्वर पर स्क्रिप्ट्स चलती हैं जो:

  1. SIM बैंक से एक्टिव नंबर चुनती हैं।
  2. पीक आवर्स (जब लोग फोन ज्यादा देखते हैं) में लाखों SMS भेजती हैं।
  3. Sender ID बदलती रहती हैं ताकि मैसेज असली बैंक जैसा दिखे।

5. डिजिटल जाल और क्लोन वेबसाइट्स

जैसे ही कोई पीड़ित लिंक पर क्लिक करता है, वह एक असली दिखने वाली Fake Website पर पहुँच जाता है। ये वेबसाइट्स ‘बुलेटप्रूफ होस्टिंग’ पर होती हैं जिन्हें ट्रैक करना मुश्किल होता है। यहाँ आपसे आपकी बैंकिंग डिटेल्स, मोबाइल नंबर और OTP चुराया जाता है।

6. फ्रॉड डेस्क: रियल टाइम चोरी

डेटा मिलते ही इनका “Fraud Desk” एक्टिव हो जाता है।

  • OTP चोरी: लाइव वेबसाइट या कॉल स्पूफिंग के जरिए OTP हासिल किया जाता है।
  • Immediate Transfer: पैसे तुरंत ‘म्यूल अकाउंट्स’ (Mule Accounts) या क्रिप्टो वॉलेट में भेज दिए जाते हैं।

7. मनी लॉन्ड्रिंग: पैसे का गायब होना

चुराया गया पैसा वापस पाना नामुमकिन होता है क्योंकि:

  • इसे UPI चेन के जरिए कई छोटे हिस्सों में बांटा जाता है।
  • अंत में इसे ATM कैश आउट या क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर अनट्रेसएबल बना दिया जाता है।

सावधान रहें और सुरक्षित रहें

CBI द्वारा इस इंफ्रास्ट्रक्चर को पकड़ना एक बड़ी जीत है, लेकिन जालसाज नए तरीके ढूंढते रहते हैं।

  • किसी भी अनजान SMS लिंक पर क्लिक न करें।
  • बैंक कभी भी SMS पर निजी जानकारी या OTP नहीं मांगता।
  • संदिग्ध गतिविधि दिखने पर 1930 पर कॉल करें या http://cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें।

Latest Posts