पिछले कुछ वर्षों में भारत जिन डिजिटल अपराधों से जूझ रहा है, वे किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं। धोखेबाज, जो देश में बैठे भी नहीं, भारतीय नंबरों का इस्तेमाल करके फ़िशिंग, प्रतिरूपण और डिजिटल अरेस्ट जैसे अपराध कर लेते हैं। sim binding इसीलिए जरुरी है।
यही वो जगह है जहां Telecommunication Cybersecurity Amendment Rules, 2025 एक बड़ा मोड़ बनकर सामने आए हैं।
सरल शब्दों में, सरकार ने तय किया है कि अब कोई भी मैसेजिंग ऐप तब तक नहीं चलेगा, जब तक आपकी SIM मौजूद है और सक्रिय है।
अब तक ऐप SIM हटाने के बाद भी चलता रहता था। इसी जगह साइबर अपराधियों को खेलने की जगह मिलती थी। नया नियम उस खिड़की को बंद कर देता है।
नया नियम आखिर करता क्या है
DoT ने कहा है कि हर कम्युनिकेशन ऐप को उस SIM से लगातार लिंक रहना होगा, जिससे अकाउंट रजिस्टर किया गया है।
अगर SIM निकाल दी जाती है या निष्क्रिय हो जाती है, तो ऐप बंद हो जाएगा और दोबारा प्रमाणीकरण करना पड़ेगा।
तकनीकी भाषा में इसे SIM Binding कहा जाता है, लेकिन इसका असर तकनीकी नहीं, बेहद व्यावहारिक है —
आपका मोबाइल नंबर अब सिर्फ डिजिटल पहचान नहीं, बल्कि एक भौतिक सुरक्षा ताला बन गया है।
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भारत को इसकी जरूरत क्यों पड़ी?
कुछ रुझान देखकर तस्वीर साफ होती है:
- ऑनलाइन प्रतिरूपण
- डिजिटल अरेस्ट स्कैम
- विदेशी लोकेशन से भारतीय नंबरों का दुरुपयोग
- रिमोट एक्सेस वाले गैंग
- सोशल इंजीनियरिंग और फ़िशिंग
- निवेश और ट्रेडिंग धोखाधड़ी
अपराधियों की ताकत ये थी कि वे हजारों किलोमीटर दूर बैठकर भी भारतीय नंबर चलाते रहते थे।
SIM Binding इस दूरी को काट देती है।
नए नियम के मुख्य बिंदु
- सभी मैसेजिंग और कम्युनिकेशन ऐप्स में SIM लिंकिंग अनिवार्य
- प्लेटफार्म को 90 दिन का समय
- वेब वर्ज़न हर 6 घंटे में ऑटो लॉगआउट
- हर भारतीय मोबाइल नंबर आधारित ऐप पर लागू
- बैंकिंग और UPI पहले से इसी मॉडल पर काम करते हैं
ये बदलाव डिजिटल सुरक्षा में क्या नया जोड़ते हैं?
1. गुमनामी की दीवार टूटेगी
मैसेजिंग अकाउंट चलाने के लिए SIM की भौतिक उपस्थिति अनिवार्य होने से नकली या गुमनाम अकाउंट बनाना आसान नहीं रहेगा।
2. विदेशी साइबर गैंग्स की पहुंच खत्म
चीन, कंबोडिया, म्यांमार या दुबई में बैठकर भारतीय नंबर चलाना अब लगभग असंभव हो जाएगा।
यही नेटवर्क सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रहे थे।
3. स्पैम और फ़िशिंग में तेज़ गिरावट
Bulk SIM पर आधारित स्कैम ऑपरेशन अब महंगे और जोखिमभरे हो जाएंगे।
स्पैम और बड़े पैमाने पर होने वाली मैसेजिंग धोखाधड़ी में कमी का असर सीधा दिखेगा।
4. लंबी रिमोट सेशन गतिविधियाँ खत्म
6 घंटे के रिफ्रेश और SIM Binding से लंबे रिमोट एक्सेस को रोका जा सकेगा।
दूसरे देश से लगातार लॉगिन पर रोक लग जाएगी।
5. राष्ट्रीय सुरक्षा की मजबूत परत
SIM की अनिवार्य मौजूदगी से पहचान की पुष्टि आसान होगी और संदिग्ध गतिविधियों का पता जल्दी चलेगा।
6. उपयोगकर्ता की गोपनीयता मजबूत
अकाउंट हाईजैकिंग, पहचान चुराना, बिना SIM के WhatsApp/Telegram चलाना — ये सब काफी कठिन हो जाएगा।
7. ऐप कंपनियों की जवाबदेही बढ़ेगी
अब प्लेटफार्म को लगातार SIM चेक करना होगा।
यह उद्योग में एक समान और मजबूत सुरक्षा मानक स्थापित करेगा।
कुछ वास्तविक चुनौतियाँ भी हैं
- बार बार SIM बदलने वाले लोग
- डुअल SIM फोन की जटिलताएँ
- विदेश यात्रा के दौरान री-ऑथेंटिकेशन
- कुछ ऐप कंपनियों की तकनीकी और गोपनीयता चिंताएँ
COAI ने साफ किया है कि Wi Fi पर ऐप्स सामान्य रूप से चलेंगे और विदेशी SIM या यात्रियों को कोई समस्या नहीं होगी।
अंत में: डिजिटल सुरक्षा के लिए बड़ा कदम
Mandatory SIM Binding एक साधारण तकनीकी अपडेट नहीं है, बल्कि भारत के डिजिटल स्पेस में एक नई परत जोड़ने जैसा है।
यह सुधार:
- साइबर अपराध नेटवर्क को कमजोर करेगा
- प्रतिरूपण और डिजिटल अरेस्ट स्कैम को कम करेगा
- राष्ट्रीय सुरक्षा को नई मजबूती देगा
- उपयोगकर्ताओं की डिजिटल पहचान को सुरक्षित करेगा
1.4 अरब लोगों के लिए यह एक और सुरक्षित डिजिटल इकोसिस्टम की दिशा में मजबूत कदम है।










