क्या आपका फोन वाकई सुरक्षित है? संचार साथी ऐप बताएगा सच और बचाएगा स्कैम से

संचार साथी ऐप मोबाइल सुरक्षा को एक नए स्तर पर ले जा रहा है। यह सिर्फ एक ऐप नहीं बल्कि ऐसी डिजिटल शील्ड है जो फोन चोरी, नकली IMEI और फ्रॉड कॉल जैसे दिखने में साधारण लेकिन गंभीर खतरों से सुरक्षा देती है। हर मोबाइल उपयोगकर्ता को इसके बारे में जानना जरूरी है।
संचार साथी ऐप
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ज्यादातर लोग मान लेते हैं कि उनका मोबाइल पूरी तरह सुरक्षित है। स्क्रीन लॉक, पासवर्ड और एंटीवायरस होने से सुरक्षा पूरी हो जाती है। लेकिन असल खतरों की शुरुआत यहीं से होती है।
फोन चोरी हो जाए, IMEI क्लोन कर लिया जाए, या किसी अनजान कॉल पर क्लिक भर कर दिया जाए, तो कुछ सेकंड में बैंक अकाउंट खाली हो सकता है और पहचान से जुड़ा डेटा गलत हाथों में पहुंच सकता है।

इसी चुनौती को देखते हुए दूरसंचार विभाग ने संचार साथी ऐप को हर स्मार्टफोन में अनिवार्य करने का निर्णय लिया है। यह कदम सिर्फ नियम नहीं बल्कि डिजिटल सुरक्षा के मॉडल में बदलाव है।

यह ऐप खास क्यों है

संचार साथी (https://sancharsaathi.gov.in/ ) ऐप कई स्तरों पर काम करता है और मोबाइल उपयोगकर्ता को पहली बार रीयल-टाइम सुरक्षा देता है:
• मोबाइल चोरी या गुम होने पर IMEI से लोकेशन और ब्लॉकिंग
• IMEI क्लोनिंग की पहचान, जिसे अक्सर बड़े साइबर नेटवर्क इस्तेमाल करते हैं
• संदिग्ध स्रोतों से आने वाली कॉल और SMS को फ़िल्टर करना
• धोखाधड़ी रिपोर्ट करने की आसान सुविधा और टेलीकॉम शिकायतों का तेज निपटारा

इससे फर्क सबसे ज्यादा उन लोगों पर पड़ेगा जो रोजमर्रा में ऐसे खतरों को देखने के बावजूद अनदेखा करते हैं।

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यह बदलाव हमारे जीवन में कैसे असर डालेगा

संचार साथी ऐप सुरक्षा पैच की तरह नहीं, निरंतर ढाल की तरह काम करेगा।

• खोया फोन ढूंढने के लिए सोशल मीडिया पोस्ट या पुलिस स्टेशन के चक्कर नहीं
• गुमनाम नंबरों के डर और स्कैम कॉल की परेशानी कम
• बुजुर्ग और कम तकनीकी जानकारी वाले लोगों को सुरक्षा का भरोसा
• बच्चों के फोन की सुरक्षा पर बेहतर नियंत्रण

यह बदलाव घर, ऑफिस, स्कूल और हर जगह मोबाइल सुरक्षा के स्तर को बढ़ाएगा।

गोपनीयता का सवाल जो सबसे पहले आता है

लोगों का सबसे आम सवाल यह है कि कहीं यह ऐप हमारे फोन को मॉनिटर तो नहीं करेगा।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि ऐप पूरी तरह ऑप्ट-इन है। बिना पंजीकरण यह सक्रिय नहीं होता और न्यूनतम डेटा के सिद्धांत पर काम करता है।

इसका उद्देश्य निगरानी नहीं बल्कि सुरक्षा है।

लागू होने की प्रक्रिया

• नए स्मार्टफोन में ऐप पहले से मौजूद रहेगा
• पुराने फोन में सॉफ़्टवेयर अपडेट के जरिए आएगा
• यह हटाने योग्य होगा या नहीं, तकनीकी दिशानिर्देश जल्द तय होंगे
• उपयोगकर्ता की गोपनीयता प्रोटोकॉल बने रहेंगे

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